चंडीगढ़/लंदन। 1984 में भारत के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए चलाए गए "ऑपरेशन ब्लू स्टार" में ब्रिटेन की भूमिका की खुद ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग द्वारा किए जाने के बाद न केवल पंजाब बल्कि देश के लोग सकते में हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि स्वर्ण मंदिर परिसर से आतंकवादियों को बाहर निकालने की कार्रवाई में कांग्रेसी सरकार के ब्रिटेन की सरकार से सलाह लिया जाना देशद्रोह से कम नहीं। बादल ने यहां जारी बयान में कहा कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहाकि किसी संप्रभु देश की प्रधानमंत्री अपने ही लोगों को इस तरह अपमानित करेंगी। अपने ही लोगों के खिलाफ सैन्य विकल्प का इस्तेमाल करेंगी।
यह सिखों, पंजाबियों और देश के लोगों के खिलाफ किया गया एक घोर पाप था। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी इस संबंध में किए गए ब्रिटिश सरकार के खुलासे के बाद कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में किया गया आपरेशन ब्लू स्टार पंजाबियों के खिलाफ जघन्य कृत्य था।
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा किदेश में अंदरूनी मामले में विदेशी सलाह लेकर पूर्व प्रधानमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया और लोगों को धोखा दिया। ऎसा करके इंदिरा गांधी ने स्पष्टरूप से देश की संप्रभुता के साथ समझौते का एक उदाहरण पेश किया।
मालूम हो कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने मंगलवार को ब्रिटिश संसद में कहा कि 1984 में भारत के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए चलाए गए "ऑपरेशन ब्लू स्टार" में ब्रिटेन की भूमिका "विशुद्ध रूप से सलाहकारी और सीमित थी" और उसका सीमित प्रभाव ही था।
भारत ने इस ऑपरेशन में ब्रिटेन की सलाह के अनुरूप कोई कार्रवाई भी की हो, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। ब्रिटिश विदेश मंत्री ने यह दावा 200 फाइलों और 23,000 दस्तावेजों की पड़ताल के बाद किया है। इसके साथ ही तत्कालीन संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों से साक्षात्कार भी किया गया। हालांकि इनका नाम नहीं बताया गया।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने गोपनीय दस्तावेजों को "30 साल बाद सार्वजनिक किए जाने के नियम" के तहत इस घटना से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक होने के बाद जांच के आदेश दिए थे। इस दस्तावेज में कहा गया है कि एलिट स्पेशल एयर सर्विस के एक अधिकारी ने दिल्ली की यात्रा की थी और फरवरी 1984 में आतंकवादियों को निकालने की योजना तैयार करने में भारत सरकार को सलाह दी थी।
लंदन के राष्ट्रीय अभिलेखागार से दो पत्र सार्वजनिक किए गए हैं, दोनों अति गोपनीय और निजी दस्तावेज की श्रेणी में रखे गए थे। एसएएस द्वारा भारतीय अधिकारियों को दी गई सलाह के ब्योरे का इससे खुलासा हुआ है। इसमें से एक दस्तावेज वह पत्र है, जिसे तत्कालीन विदेश मंत्री जीयोफ्री होव के निजी सचिव ने "होम ऑफिस" में अपने समकक्ष पदाधिकारी को लिखा था। इसमें चेतावनी दी गई थी कि ऑपरेशन से ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय में तनाव फैल सकता है, खासतौर पर उस वक्त, जब एसएएस की संलिप्तता सार्वजनिक हो जाएगी।
यह स्पष्ट नहीं है कि इन दस्तावेजों में जिक्र की गई योजना का इस्तेमाल भारत सरकार ने किया या नहीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के कुछ महीने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने संभवत: बदले की भावना से हमला कर हत्या कर दी थी।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि स्वर्ण मंदिर परिसर से आतंकवादियों को बाहर निकालने की कार्रवाई में कांग्रेसी सरकार के ब्रिटेन की सरकार से सलाह लिया जाना देशद्रोह से कम नहीं। बादल ने यहां जारी बयान में कहा कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहाकि किसी संप्रभु देश की प्रधानमंत्री अपने ही लोगों को इस तरह अपमानित करेंगी। अपने ही लोगों के खिलाफ सैन्य विकल्प का इस्तेमाल करेंगी।
यह सिखों, पंजाबियों और देश के लोगों के खिलाफ किया गया एक घोर पाप था। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी इस संबंध में किए गए ब्रिटिश सरकार के खुलासे के बाद कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में किया गया आपरेशन ब्लू स्टार पंजाबियों के खिलाफ जघन्य कृत्य था।
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा किदेश में अंदरूनी मामले में विदेशी सलाह लेकर पूर्व प्रधानमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया और लोगों को धोखा दिया। ऎसा करके इंदिरा गांधी ने स्पष्टरूप से देश की संप्रभुता के साथ समझौते का एक उदाहरण पेश किया।
मालूम हो कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने मंगलवार को ब्रिटिश संसद में कहा कि 1984 में भारत के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए चलाए गए "ऑपरेशन ब्लू स्टार" में ब्रिटेन की भूमिका "विशुद्ध रूप से सलाहकारी और सीमित थी" और उसका सीमित प्रभाव ही था।
भारत ने इस ऑपरेशन में ब्रिटेन की सलाह के अनुरूप कोई कार्रवाई भी की हो, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। ब्रिटिश विदेश मंत्री ने यह दावा 200 फाइलों और 23,000 दस्तावेजों की पड़ताल के बाद किया है। इसके साथ ही तत्कालीन संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों से साक्षात्कार भी किया गया। हालांकि इनका नाम नहीं बताया गया।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने गोपनीय दस्तावेजों को "30 साल बाद सार्वजनिक किए जाने के नियम" के तहत इस घटना से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक होने के बाद जांच के आदेश दिए थे। इस दस्तावेज में कहा गया है कि एलिट स्पेशल एयर सर्विस के एक अधिकारी ने दिल्ली की यात्रा की थी और फरवरी 1984 में आतंकवादियों को निकालने की योजना तैयार करने में भारत सरकार को सलाह दी थी।
लंदन के राष्ट्रीय अभिलेखागार से दो पत्र सार्वजनिक किए गए हैं, दोनों अति गोपनीय और निजी दस्तावेज की श्रेणी में रखे गए थे। एसएएस द्वारा भारतीय अधिकारियों को दी गई सलाह के ब्योरे का इससे खुलासा हुआ है। इसमें से एक दस्तावेज वह पत्र है, जिसे तत्कालीन विदेश मंत्री जीयोफ्री होव के निजी सचिव ने "होम ऑफिस" में अपने समकक्ष पदाधिकारी को लिखा था। इसमें चेतावनी दी गई थी कि ऑपरेशन से ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय में तनाव फैल सकता है, खासतौर पर उस वक्त, जब एसएएस की संलिप्तता सार्वजनिक हो जाएगी।
यह स्पष्ट नहीं है कि इन दस्तावेजों में जिक्र की गई योजना का इस्तेमाल भारत सरकार ने किया या नहीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के कुछ महीने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने संभवत: बदले की भावना से हमला कर हत्या कर दी थी।
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