जालोर। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी बंद होने का नाम नहीं ले रही। भ्रष्टाचार के प्रकरणों में कोई भी विभाग अछूता नहीं रहा। ऎसे में जिलेभर के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार जड़े जमा रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से प्राप्त आंकड़े इस बात को पुख्ता कर रहे हैं।
एसीबी की ओर से 4 अक्टूबर 2013 को 20 हजार की रिश्वत के साथ सहायक निदेशक सुरेन्द्रसिंह मनहर, लिपिक व बिचौलिया को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 7 नवम्बर 2013 को सार्वजनिक निर्माण विभाग भीनमाल के सहायक अभियन्ता सुदेशसिंह को 1 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया। इसी तरह एसीबी टीम ने 14 मई 2012 को डावल सरपंच वरिंगाराम विश्नोई को तीन हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
एसीबी ने 13 जून 2012 को जाखल ग्राम सेवक रणवीर कुमावत को 10 हजार रूपए की रिश्वत राशि के साथ गिरफ्तार किया। रानीवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 11 सितम्बर 2012 को एसीबी ने बीसीएमओ डॉ. बहादुरलाल मीणा को मध्यस्थ के जरिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। भीनमाल थाने में कार्यरत उप निरीक्षक जगदीश विश्नोई को एसीबी 9 दिसम्बर 2012 को ने पांच हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। 21 दिसम्बर 2012 को चार हजार की रिश्वत के साथ भीनमाल उपखंड अधिकारी के रीडर मनोहरमल जीनगर को गिरफ्तार किया।
नहीं लिया सबक
नगरपरिषद में करीब दस दिन पहले एक लिपिक रिश्वत राशि के साथ एसीबी के हत्थे चढ़ा था। इसके बावजूद परिषद कर्मचारियों ने सबक नहीं लिया।
...और यहां आंच भी नहीं
जालोर पंचायत समिति में मनरेगा योजना के तहत सामग्री खरीद में करीब 43 लाख रूपए का गबन करने वाले विकास अधिकारी पर पंचायती राज विभाग मेहरबान है। करीब पांच माह बाद भी विभागीय स्तर पर विकास अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रारम्भिक जांच में विकास अधिकारी को दोषी मानते हुए एफआईआर भी दर्ज की है।
"संदेश" के नीचे रिश्वत
सरकारी दफ्तरों में रिश्वत खोरी के खिलाफ संदेश बोर्ड भी लगे हुए हैं। इन बोर्डो पर "सावधान रिश्वत ना दें" का संदेश भी लिखा हुआ है। बावजूद इसके कई कार्मिक रिश्वत मांगने का मोह नहीं छोड़ पा रहे।
17 दिन में तीन प्रकरण
एसीबी टीम ने 17 दिनों में तीन प्रकरण बनाकर आरोपितों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने 28 जनवरी को नगरपरिषद कार्यालय के लिपिक रतनसिंह को तीन हजार रूपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इसके अलावा 21 जनवरी को जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक आनंद भट्ट को रिश्वत लेते धरा था। इसी तरह 6 फरवरी को नगरपरिषद अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता भी एक ठेकेदार से कमिशन के रूप में 20 हजार रूपए की रिश्वत लेते धरा गया।
एसीबी की ओर से 4 अक्टूबर 2013 को 20 हजार की रिश्वत के साथ सहायक निदेशक सुरेन्द्रसिंह मनहर, लिपिक व बिचौलिया को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 7 नवम्बर 2013 को सार्वजनिक निर्माण विभाग भीनमाल के सहायक अभियन्ता सुदेशसिंह को 1 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया। इसी तरह एसीबी टीम ने 14 मई 2012 को डावल सरपंच वरिंगाराम विश्नोई को तीन हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
एसीबी ने 13 जून 2012 को जाखल ग्राम सेवक रणवीर कुमावत को 10 हजार रूपए की रिश्वत राशि के साथ गिरफ्तार किया। रानीवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 11 सितम्बर 2012 को एसीबी ने बीसीएमओ डॉ. बहादुरलाल मीणा को मध्यस्थ के जरिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। भीनमाल थाने में कार्यरत उप निरीक्षक जगदीश विश्नोई को एसीबी 9 दिसम्बर 2012 को ने पांच हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। 21 दिसम्बर 2012 को चार हजार की रिश्वत के साथ भीनमाल उपखंड अधिकारी के रीडर मनोहरमल जीनगर को गिरफ्तार किया।
नहीं लिया सबक
नगरपरिषद में करीब दस दिन पहले एक लिपिक रिश्वत राशि के साथ एसीबी के हत्थे चढ़ा था। इसके बावजूद परिषद कर्मचारियों ने सबक नहीं लिया।
...और यहां आंच भी नहीं
जालोर पंचायत समिति में मनरेगा योजना के तहत सामग्री खरीद में करीब 43 लाख रूपए का गबन करने वाले विकास अधिकारी पर पंचायती राज विभाग मेहरबान है। करीब पांच माह बाद भी विभागीय स्तर पर विकास अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने प्रारम्भिक जांच में विकास अधिकारी को दोषी मानते हुए एफआईआर भी दर्ज की है।
"संदेश" के नीचे रिश्वत
सरकारी दफ्तरों में रिश्वत खोरी के खिलाफ संदेश बोर्ड भी लगे हुए हैं। इन बोर्डो पर "सावधान रिश्वत ना दें" का संदेश भी लिखा हुआ है। बावजूद इसके कई कार्मिक रिश्वत मांगने का मोह नहीं छोड़ पा रहे।
17 दिन में तीन प्रकरण
एसीबी टीम ने 17 दिनों में तीन प्रकरण बनाकर आरोपितों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने 28 जनवरी को नगरपरिषद कार्यालय के लिपिक रतनसिंह को तीन हजार रूपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इसके अलावा 21 जनवरी को जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक आनंद भट्ट को रिश्वत लेते धरा था। इसी तरह 6 फरवरी को नगरपरिषद अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता भी एक ठेकेदार से कमिशन के रूप में 20 हजार रूपए की रिश्वत लेते धरा गया।
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