पटना। बिहार के इस गांव की लड़कियां पिछले 40 सालों से वो परम्परा निभाती आ रही हैं जिसें सदियों से सिर्फ पुरूष ही निभाते आए हैं।
इसमें आख्श्चर्य की बात ये है कि बिहार के मणियां गांव की लड़कियां वो पवित्र धागा धारण करती जिसें जनेऊ कहा जाता है। विशेषतौर पर अब तक जनेऊ पुरूष ही धारण करते आए हैं लेकिन यहां मामला जरा हटकर है।
हाल ही में मणियां गांव के एक विद्यालय में आयोजित यज्ञोपवीत संस्कार में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 13 से 15 साल की उम्र की 9 लड़कियों को जनेऊ धारण कराई गई, जिसके बारे में सुनने वाला हर शख्स हैरान रह गया।
इस गांव में हर साल बसंत पंचमी को आयोजित होने वाले इस यज्ञोपवीत कार्यक्रम की एक और खास बात यह भी है कि यहां लड़कियों को जनेऊ धारण कराने में जातिगत आधार नहीं देखा जाता।
गांव वालों के मुताबिक यह अनोखी परम्परा 1972 में विश्वनाथ सिंह ने शुरू की थी, जिन्होने उस समय लड़कियों के लिए हाई स्कूल स्थापित किया था। इस वक्त विश्वनाथ सिंह ने अपनी 4 बेटियों को स्कूल भेजने समेत बड़ी बेटी का यज्ञोपवीत संस्कार करजनेऊ धारण करवाई थी जो अब परम्परा के रूप में स्वीकृत हो चुकी है।
इसमें आख्श्चर्य की बात ये है कि बिहार के मणियां गांव की लड़कियां वो पवित्र धागा धारण करती जिसें जनेऊ कहा जाता है। विशेषतौर पर अब तक जनेऊ पुरूष ही धारण करते आए हैं लेकिन यहां मामला जरा हटकर है।
हाल ही में मणियां गांव के एक विद्यालय में आयोजित यज्ञोपवीत संस्कार में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 13 से 15 साल की उम्र की 9 लड़कियों को जनेऊ धारण कराई गई, जिसके बारे में सुनने वाला हर शख्स हैरान रह गया।
इस गांव में हर साल बसंत पंचमी को आयोजित होने वाले इस यज्ञोपवीत कार्यक्रम की एक और खास बात यह भी है कि यहां लड़कियों को जनेऊ धारण कराने में जातिगत आधार नहीं देखा जाता।
गांव वालों के मुताबिक यह अनोखी परम्परा 1972 में विश्वनाथ सिंह ने शुरू की थी, जिन्होने उस समय लड़कियों के लिए हाई स्कूल स्थापित किया था। इस वक्त विश्वनाथ सिंह ने अपनी 4 बेटियों को स्कूल भेजने समेत बड़ी बेटी का यज्ञोपवीत संस्कार करजनेऊ धारण करवाई थी जो अब परम्परा के रूप में स्वीकृत हो चुकी है।
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