जोधपुर। बहला-फुसलाकर अपहरण व दुष्कर्म करने की एक प्राथमिकी झूठी साबित होने पर महानगर मजिस्ट्रेट ने मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज करवाने वाली महिला को एक दिन कोर्ट में खड़ी रहने व सौ रूपए अर्थ दंड की सजा सुनाई। आदेश के तहत महिला दिनभर कोर्ट परिसर में खड़ी रही। जोधपुर में दुष्कर्म की झूठी रिपोर्ट लिखाने पर यह संभवत: पहली कार्रवाई है।
सहायक पुलिस आयुक्त (बोरानाडा) नाजिम अली के अनुसार मूलत: जालोर में आहोर थानान्तर्गत देवावास हाल केके कॉलोनी जोधपुर निवासी एक महिला को महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-1 ने बतौर सजा कोर्ट परिसर में ही दिनभर खड़ा रखा। शाम पांच बजे कोर्ट के उठने तक महिला खड़ी रही। केबीएचबी थाना प्रभारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि मजिस्ट्रेट के समक्ष महिला ने झूठा मामला दर्ज करवाना स्वीकार भी कर लिया।
दरअसल, महिला ने बहला-फुसलाकर खुद का अपहरण व दुष्कर्म करने का मामला दर्ज कराया था। उसने भागकर प्रेम विवाह किया था, लेकिन उसका पिता पहले से तय युवक से शादी कराना चाहता था। जिससे शादी तय की गई थी उन्हें रिपोर्ट में आरोपी बनाया गया था। आरोपी के पिता पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप था। जांच में महिला के आरोप झूठे निकले।
ऎसे में पुलिस ने प्राथमिकी को झूठी मानते हुए कोर्ट में एफआर के लिए पेश की। जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया। पुलिस मुख्यालय व पुलिस कमिश्नर के आदेशानुसार पुलिस ने झूठा मामला दर्ज करवाने वाले के खिलाफ कोर्ट में आईपीसी की धारा 182/211 के तहत इस्तागासा पेश किया था। जिसमें किसी आरोपी पर झूठा मामला दर्ज कराने तथा पुलिस का समय व संसाधन का दुरूपयोग का आरोप लगाया गया। इस इस्तगासे पर महिला कोर्ट में पेश हुई थी।
सहायक पुलिस आयुक्त (बोरानाडा) नाजिम अली के अनुसार मूलत: जालोर में आहोर थानान्तर्गत देवावास हाल केके कॉलोनी जोधपुर निवासी एक महिला को महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-1 ने बतौर सजा कोर्ट परिसर में ही दिनभर खड़ा रखा। शाम पांच बजे कोर्ट के उठने तक महिला खड़ी रही। केबीएचबी थाना प्रभारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि मजिस्ट्रेट के समक्ष महिला ने झूठा मामला दर्ज करवाना स्वीकार भी कर लिया।
दरअसल, महिला ने बहला-फुसलाकर खुद का अपहरण व दुष्कर्म करने का मामला दर्ज कराया था। उसने भागकर प्रेम विवाह किया था, लेकिन उसका पिता पहले से तय युवक से शादी कराना चाहता था। जिससे शादी तय की गई थी उन्हें रिपोर्ट में आरोपी बनाया गया था। आरोपी के पिता पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप था। जांच में महिला के आरोप झूठे निकले।
ऎसे में पुलिस ने प्राथमिकी को झूठी मानते हुए कोर्ट में एफआर के लिए पेश की। जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया। पुलिस मुख्यालय व पुलिस कमिश्नर के आदेशानुसार पुलिस ने झूठा मामला दर्ज करवाने वाले के खिलाफ कोर्ट में आईपीसी की धारा 182/211 के तहत इस्तागासा पेश किया था। जिसमें किसी आरोपी पर झूठा मामला दर्ज कराने तथा पुलिस का समय व संसाधन का दुरूपयोग का आरोप लगाया गया। इस इस्तगासे पर महिला कोर्ट में पेश हुई थी।
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