वाराणसी। उत्तर प्रदेश में वाराणसी के सारनाथ थाना क्षेत्र के रसूलगढ क्षेत्र में रविवार को एक अनूठी शादी हुई, इस शादी में जहां दुल्हन बंदरिया थी वही दूल्हे राजा थे बंदर मंगरू। शादी के गवाह थे रसूलगढ के निवासी। इस अनोखी शादी में बाकायदा बारात निकली। बैंड बाजे पर जहां बाराती झूमे वहीं महिलाओं ने विवाह व मंगल गीत गाए। जयमाल व सिंदूरदान हुआ रस्मोरिवाज के साथ विदाई।
रसूलगढ निवासी राम लखन सोनकर ने पहले बंदरिया पाली थी। बंदरिया से पांच साल का बच्चा मंगरू था। वहीं पास के ही पुराना पुल मोहल्ले में पप्पू यादव ने एक बंदरिया पाल रखी थी। पप्पू यादव अक्सर बंदरिया को कंधे पर बिठाकर रामलखन सोनकर के घर मिलने आ जाते। इस दौरान बंदर एवं बंदरिया एक दूसरे के नजदीक आए और उनका प्यार परवान चढ़ा। पप्पू यादव जब बंदरिया को लेकर घर लौटते तो वह राजी नहीं होती। बड़ी जद्दोजेहाद के बाद घर लाते। मंगरू एवं मनकी की दोस्ती को परवान चढ़ा देख दोनों परिवारों ने शादी कराने का निर्णय लिया। पंडित जी के पास मुहूर्त के लिए गए तो उन्होंने गणेश चतुर्थी का शुभ दिन निर्धारित किया।
रामलखन के घर से गाजे बाजे के साथ बारात निकली एवं बाराती-नाचते गाते पप्पू यादव के घर पहुंचे। राम लखन व उनकी पत्नी भागीरथी दूल्हे राजा को रिक्शे पर लेकर निकले और दर्जन भर बाराती पीछे पीछे। बारात के पहुंचने पर जहां बारातियों का स्वागत हुआ वहीं महिलाओं ने विवाह गीत गाए। मंडप में शादी की रस्म अदा की गई। लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया। इस अनूठी शादी को देखने के लिए बड़ी संख्या में दोनों मुहल्लों के लोग इकट्ठा थे।
रसूलगढ निवासी राम लखन सोनकर ने पहले बंदरिया पाली थी। बंदरिया से पांच साल का बच्चा मंगरू था। वहीं पास के ही पुराना पुल मोहल्ले में पप्पू यादव ने एक बंदरिया पाल रखी थी। पप्पू यादव अक्सर बंदरिया को कंधे पर बिठाकर रामलखन सोनकर के घर मिलने आ जाते। इस दौरान बंदर एवं बंदरिया एक दूसरे के नजदीक आए और उनका प्यार परवान चढ़ा। पप्पू यादव जब बंदरिया को लेकर घर लौटते तो वह राजी नहीं होती। बड़ी जद्दोजेहाद के बाद घर लाते। मंगरू एवं मनकी की दोस्ती को परवान चढ़ा देख दोनों परिवारों ने शादी कराने का निर्णय लिया। पंडित जी के पास मुहूर्त के लिए गए तो उन्होंने गणेश चतुर्थी का शुभ दिन निर्धारित किया।
रामलखन के घर से गाजे बाजे के साथ बारात निकली एवं बाराती-नाचते गाते पप्पू यादव के घर पहुंचे। राम लखन व उनकी पत्नी भागीरथी दूल्हे राजा को रिक्शे पर लेकर निकले और दर्जन भर बाराती पीछे पीछे। बारात के पहुंचने पर जहां बारातियों का स्वागत हुआ वहीं महिलाओं ने विवाह गीत गाए। मंडप में शादी की रस्म अदा की गई। लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया। इस अनूठी शादी को देखने के लिए बड़ी संख्या में दोनों मुहल्लों के लोग इकट्ठा थे।
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