देवास। मध्य प्रदेश के देवास जिले में शौचालय न होना दाम्पत्य जीवन में विवाद का कारण बन गया है। विवाद इतना बढ़ा कि पति-पत्नी एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। मामला न्यायालय तक जा पहुंचा और उसके दखल के बाद पक्का शौचालय बनने का रास्ता साफ हुआ। नवविवाहिता ने ऎलान किया है कि शौचालय बनने के बाद ही वह ससुराल लौटेगी।
मामला मध्य प्रदेश के देवास जिले के हाटपिपल्या इलाके का है। रोजडी गांव की सविता की शादी मुडला गांव के देव करण से हुई थी। ससुराल में शौचालय न होने पर सविता को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता था। इस बात को लेकर उसका देव करण से विवाद हो गया और वह मायके चली गई ।
सविता पिछले दो वर्ष से मायके में है और ससुराल लौटने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि जब तक घर में शौचालय नहीं बनेगा, तब तक वह नहीं लौटेगी। यह प्रकरण बागली के व्यवहार न्यायाधीश श्रेणी-एक के न्यायालय में पहुंचा।
अधिवक्ता प्रवीण चौधरी के अनुसार, न्यायाधीश ने देव करण को 10 जनवरी तक पक्का शौचालय बनाने के निर्देश दिए हैं। देव करण का कहना है कि उसने उधार रकम लेकर शौचालय का निर्माण शुरू कराया है, जल्दी ही काम पूरा हो जाएगा। उसने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए उसे सरकार की ओर से आर्थिक सहायता नहीं मिली है।
सविता का कहना है कि वह शौचालय बनने पर ही ससुराल लौटेगी। उसके पिता भी इसी बात का दोहराते हैं। उनका कहना है कि शौचालय बनने पर वह अपनी बेटी को ससुराल भेज देंगे।
राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि शौचालय निर्माण के लिए पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक में सहायता राशि उपलब्ध है। आवेदन किए जाने पर राशि मंजूर किए जाने का प्रावधान है।
नारी अस्मिता की रक्षा के लिए केंद्र सरकार से लेकर मध्य प्रदेश सरकार तक अनेक कार्यक्रम व अभियान चलाए हुई है। सरकारी अभियान की हकीकत को सविता ने अब सामने ला दिया है। प्रशासन व समाज का साथ न मिलने के बावजूद उसने अपने हक की लड़ाई जारी रखा। उसे न्यायालय का साथ मिला। सविता अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है जो अपने हक की लड़ाई लड़ने से कतराती हैं।
मामला मध्य प्रदेश के देवास जिले के हाटपिपल्या इलाके का है। रोजडी गांव की सविता की शादी मुडला गांव के देव करण से हुई थी। ससुराल में शौचालय न होने पर सविता को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता था। इस बात को लेकर उसका देव करण से विवाद हो गया और वह मायके चली गई ।
सविता पिछले दो वर्ष से मायके में है और ससुराल लौटने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि जब तक घर में शौचालय नहीं बनेगा, तब तक वह नहीं लौटेगी। यह प्रकरण बागली के व्यवहार न्यायाधीश श्रेणी-एक के न्यायालय में पहुंचा।
अधिवक्ता प्रवीण चौधरी के अनुसार, न्यायाधीश ने देव करण को 10 जनवरी तक पक्का शौचालय बनाने के निर्देश दिए हैं। देव करण का कहना है कि उसने उधार रकम लेकर शौचालय का निर्माण शुरू कराया है, जल्दी ही काम पूरा हो जाएगा। उसने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए उसे सरकार की ओर से आर्थिक सहायता नहीं मिली है।
सविता का कहना है कि वह शौचालय बनने पर ही ससुराल लौटेगी। उसके पिता भी इसी बात का दोहराते हैं। उनका कहना है कि शौचालय बनने पर वह अपनी बेटी को ससुराल भेज देंगे।
राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि शौचालय निर्माण के लिए पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक में सहायता राशि उपलब्ध है। आवेदन किए जाने पर राशि मंजूर किए जाने का प्रावधान है।
नारी अस्मिता की रक्षा के लिए केंद्र सरकार से लेकर मध्य प्रदेश सरकार तक अनेक कार्यक्रम व अभियान चलाए हुई है। सरकारी अभियान की हकीकत को सविता ने अब सामने ला दिया है। प्रशासन व समाज का साथ न मिलने के बावजूद उसने अपने हक की लड़ाई जारी रखा। उसे न्यायालय का साथ मिला। सविता अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है जो अपने हक की लड़ाई लड़ने से कतराती हैं।
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