गुरुवार, 16 जनवरी 2014

होमोसेक्शुअलिटी से पाकिस्तान में आ रहे हैं जलजले, ज्यादा धार्मिक हुए स्टूडेंट्स

पाकिस्तान के शिक्षण संस्थान इन दिनों एक विशेष प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं। शिक्षण संस्थानों की यह समस्या उनके प्रमुख धर्म इस्लाम से जुड़ी है। पाकिस्तान में इन दिनों नमाज के लिए छात्रों का अचानक क्लास से चले जाना एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है।
होमोसेक्शुअलिटी से पाकिस्तान में आ रहे हैं जलजले, ज्यादा धार्मिक हुए स्टूडेंट्स
कायदे आजम यूनिवर्सिटी को पाकिस्तान की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी माना जाता है। यहां के लगभग सभी विभागों की यह प्रमुख समस्या बन चुकी है। संस्थान के प्रोफेसर सज्जाद अख्तर बताते हैं कि नमाज के लिए गए छात्र 30 मिनट से पहले वापस नहीं आते हैं। यहां तक कि उनमें से कुछ छात्र तो वापस ही नहीं आते।

यूनिवर्सिटी की तरफ से छात्रों को नमाज के लिए 15 मिनट का समय दिया गया है। उन्हे नमाज की आवाज सुनते ही क्लास से जाने की अनुमति है। आलोचकों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के इस नियम से शिक्षा और छात्रों की सोशल लाइफ दोनो का स्तर गिर रहा है।
होमोसेक्शुअलिटी से पाकिस्तान में आ रहे हैं जलजले, ज्यादा धार्मिक हुए स्टूडेंट्स
कायदे आजम यूनिवर्सिटी में परमाणु भौतिकविद परवेज हुडबॉय कहते हैं कि जिस यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान के सबसे अच्छे शिक्षक पढाते हैं, उसमें चार मस्जिदें तो हैं लेकिन एक भी बुकशॉप नहीं है। हुडबॉय कहते हैं कि आज यहां बहुत कम छात्र ही अन्य सांस्कृतिक कार्यों में भाग लेते हैं, जबकि 20 साल पहले ऐसा नहीं था। छात्रों में किसी भी प्रकार की बौद्धिक उत्सुकता नहीं है। लड़कियां ज्यातर खामोश ही रहतीं हैं।


हमेशा से ऐसी नहीं है यूनिवर्सिटी...

कायदे आजम यूनिवर्सिटी 1965 में सैन्य शासक जिया-उल-हक के शासनकाल में बनी थी। 1977 तक यूनिवर्सिटी किसी भी तरह की रूढीवाद से मुक्त थी। यहां का माहौल बहुत उदारवादी था। वर्तमान में यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह के छात्र संगठन पर प्रतिबंध है। यहां इस्लामिक अध्ययन को अनिवार्य कर दिया गया है। यहां कुरान पढने वाले छात्रों अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं।

1991 में यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुए जमील अहमद बताते हैं कि उनके समय में ऐसा नहीं था। लड़कियों को छूट होती थी और ऐसा कम ही देखने को मिलता था। पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हसन अंसारी कुछ समय से छात्रों का धर्म के प्रति आकर्षण बढा है। बढ़ते इस्लामीकरण मे शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। वह बताते हैं कि पिछले साल लाहौर के एक स्कूल से मानव प्रजनन तंत्र पाठ सिलेबस से हटा दिया गया। उनका कहना था कि इससे अश्लीलता फैलती है। यह समझ से परे है।

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