बाड़मेर बंतळ कार्यक्रम आयोजित। । राजस्थानी भाषा के रंगो से रंगा हमारा गणतंत्र दिवस
हम अपनी भाषा का अधिकार ले के रहेंगे। ओम प्रकाश गर्ग मधुप
बाड़मेर राजस्थानी भाषा राजस्थान के लोगो की मातृभाषा होने के साथ ही राजस्थानी संस्कृति की पहचान है। भाषा लोगो को बान्धे रखती है भाषा ही संस्कृति को आगे ले जाती है और भाषा के बिना राजस्थान की संस्कृति की कल्पना बेमानी है। उक्त विचारवरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार ओम प्रकाश गर्ग मधुप ने गणतंत्र दिवस पर तरुण माध्यमिक विद्यालय में आयोजित राजस्थानी बंतळ कार्यक्रम में मुख्य वक्त के रूप में कही। उन्होंने कहा कि आज के दिन देश के संविधान को लागु किया गया था मगर हमें आज भी हमारा भाषाई अधिकार नहीं मिला। उन्होंने कहा कि गांधी जी को मातृ भाषा से बहुत लगाव था। राजस्थानी हमारी मातृ भाषा है और हिन्दी राष्टभाषा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा समृद्ध भाषा हें उसे कौन मान्यता दे सकता हें। उसे किसी मान्यता कि जरुरत नहीं मगर सरकारी काम काश में संवेधानिक मान्यता जरुरी होती हें।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रेमजीत धोबी ने कहा कि राजस्थानी को आठवी अनूसूची मे जोडने हेतु 25 अगस्त 2003 को विधानसभा में सकल्प प्रस्ताव पास किया गया। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा के बिना राजस्थान कि कल्पना नहीं कि जा। सकती समारोह को सम्बोधित करते हुए डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि आठवी अनुसूची में जुडने से प्रदेश के बच्चो को राजस्थानी तृतीय भाषा के रूप में लेने की सुविधा मिल जाएगी। भारतीय प्रशासनिक सेवा मे भी हिन्दी अग्रेजी के अलावा राजस्थानी भी माध्यम होगा। प्रदेश के सांसद विधायको को भी राजस्थानी मे शपथ लेने व संवाद की सुविधा मिल सकेगी।
समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा कि विधानसभा सत्र के पहले दिन विधायको ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने कि बात रख राजस्थानी भाषा कि मान्यता के दरवाजे फिर खोल दिए ,उन्होंने कहा कि आज राजनेता राजस्थानी भाषा और उससे जुड़े तबके कि ताकत को पहचान गए हें ,उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाषा कि मांग को घोषणा पात्र में शामिल कर सराहनीय कदम उठाया ,अब वसुंधरा राजे को केंद्र सरकार तक पैरवी करनी होगी। इस अवसर पर मंजूर मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि हमें अपनी मायड़ भाषा कि मान्यता के लिए लड़ाई लड़नी पद रही हें जो दुर्भाग्य पूर्ण हें। जब सभी प्रदेशो कि अपनी मातृ भाषा को मान्यता हे तो राजस्थानी को क्यूँ नहीं। इस अवसर पर राजस्थानी साहित्य्कार गोर्धन सिंह जहरीला ने राजस्थानी साहित्य का पाठन किया ,इस अवसर पर शिक्षाविद महेश ददानी संगठन मंत्री भंवर लाल जैलिया ,अमृत लाल जैन ,तिला राम सेजु ,आईदान सिंह इंदा ,इंजिनियर केवल राम ,रुघाराम धतरवाल ,चेतन राम ,पप्पूराम ,खेमाराम सहित कई विद्वानो ने अपने विचार रखे।
प्रतियोगिताओ का आयोजन। । गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में समिति द्वारा राजस्थानी भाषा साहित्य ,भाषा ,संस्कृति ,इतिहास और परम्पराओ के सम्बन्ध में प्रतियोगिताओ का आयोजन भी किया ,विजेता छात्रो को भंवर लाल जेलिया और महेश दादनी द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का सञ्चालन गोर्धन सिंह जहरीला ने किया।
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