रविवार, 26 जनवरी 2014

सर्वे में एक और किले के संकेत मिले!

आबूरोड. (सिरोही)। पुरातन चन्द्रावती नगरी में फिलहाल जहां खुदाई चल रही है, वह किले का परिसर है और सर्वे के बाद इस किले से करीब सौ मीटर के फासले पर ही एक और किला होने के संकेत मिले हैं। सर्वे में यह भी पता चला है कि नगरी से सटी पहाड़ी से कुछ ऊपरी हिस्से पर "रावला" बसा होगा।

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के निदेशक डॉ. जीवन खरकवाल ने "पत्रिका" को बताया कि सर्वे में दूसरा किला होने के संकेत मिले हैं। वर्तमान में दूसरे किले की खुदाई का प्लान नहीं है। हालांकि बाद में इसकी खुदाई पर भी विचार किया जा सकता है। पहाड़ी पर "रावला" होने की पुष्टि वहां कार्यरत महिला श्रमिक श्रीमती दुर्गा कंवर परमार ने इस आधार पर की है कि उनके पूर्वज वहीं रावला बसा होने की बात बताते आए हैं।


खुदाई में निकली "वारकी"



मकान के स्ट्रक्चरों को खुला करने के लिए की जा रही खुदाई के दौरान घी रखने के मिट्टी के बर्तन (वारकी) का टूटा हुआ नालचा मिला है। इसे देखने पर यह किसी कलाकृति से कम नहीं लगता। पूर्व में निकले मिट्टी के टूटे खिलौनों के हिस्सों को जोड़ने पर तरह-तरह के जानवरों की आकृतियां तैयार हो रही हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये या तो बच्चों के खिलौने रहे होंगे या घर सजाने के शो-पीस। टुकड़ों को जोड़ने पर यज्ञवेदी का मिट्टी से बना स्तंभ भी बना है।

"कुरी" व "बरटी" के दाने मिले


एक मकान के स्ट्रक्चर से मिट्टी के बर्तन में रखे "कुरी" व "बरटी" सरीखे मोटे अनाज के दाने निकले हैं। हालांकि इनमें अधिकतर दाने लुगदी में तब्दील हो गए हैं, लेकिन कई दाने साबुत होने से स्पष्ट पता लग रहा है। सिरोही जिले में वर्तमान में भी "कुरी" व "बरटी" की बुवाई की जाती है। गांवों में पहले इसकी रोटियां व तंदुल निकालकर छाछ में पकाकर राब बनाई जाती थी। हालांकि कई घरों में आज भी इनकी राब बनाई जाती है।

प्रवेश द्वार गहराई में


इस बीच चन्द्रावती में खुदाई का कार्य जारी है। जिस किले को खुला करने के लिए खुदाई की जा रही है उसका प्रवेश द्वार काफी गहराई में होने की सम्भावना है। शोधार्थी नपती कर गहराई का आकलन कर रहे हैं।

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