मुंबई। मुंबई की एक फैमिली कोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को 20 हजार रूपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
34 वर्षीय महिला ने अप्रैल 2009 में कोर्ट में याचिका दायक की थी। महिला ने कोर्ट में गुहार लगाकर तलाक की मांग की थी।
महिला ने आरोप लगाया था जिसमें उसने बताया था कि उसका पति उसे अश्लील क्लिप दिखाता था और नहीं देखने पर उसकी पिटाई करता था।
महिला ने बताया था कि उसकी शादी फरवरी 2001 में हुई थी। जो कि संयुक्त परिवार में रहती थी। 2005 में उसने एक लड़की को जन्म दिया, उसके बाद उसके पति का व्यवहार बदल गया।
पत्नी आरोप लगाया था कि उसके पति दो बार उसका गर्भपात भी कराया था। महिला ने ये भी आरोप लगाया कि जब मेरे माता-पिता मुझसे मिलने आते थे तो ससुराल वाले उनसे पैसे की मांग करते थे।
पिछले सप्ताह याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि उसका पति गोवा में एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी करता है और उसको 50 हजार रूपए वेतन मिलता है।
साथ ही महिला ने मांग किया था कि उसकी और उसकी बेटी के जीवन यापन के लिए उसे गुजारा भत्ता दिया जाए। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
इसके बाद उसके पति ने कहा कि मेरे गलत व्यवहार के करण कंपनी से निकाल दिया गया। इस समय 6000 रूपए मात्र कमाता है।
उसके पति ने कोर्ट को बताया उसकी पत्नी एक शानदार जीवन जीना चाहती है और वह गोवा से मुंबई फ्लाईट से आती थी जिसके कारण उस पर कर्ज हो गया है। साथ ही अपील की थी कि याचिका खारिज की जाए।
कोर्ट ने कहा बिना प्रमाण नौकरी से निकाले जाने या वेतन कम होने की बात साबित नहीं होती है इसलिए उसे 20 हजार रूपए प्रति महिना गुजारा भत्ता देना होगा।
34 वर्षीय महिला ने अप्रैल 2009 में कोर्ट में याचिका दायक की थी। महिला ने कोर्ट में गुहार लगाकर तलाक की मांग की थी।
महिला ने आरोप लगाया था जिसमें उसने बताया था कि उसका पति उसे अश्लील क्लिप दिखाता था और नहीं देखने पर उसकी पिटाई करता था।
महिला ने बताया था कि उसकी शादी फरवरी 2001 में हुई थी। जो कि संयुक्त परिवार में रहती थी। 2005 में उसने एक लड़की को जन्म दिया, उसके बाद उसके पति का व्यवहार बदल गया।
पत्नी आरोप लगाया था कि उसके पति दो बार उसका गर्भपात भी कराया था। महिला ने ये भी आरोप लगाया कि जब मेरे माता-पिता मुझसे मिलने आते थे तो ससुराल वाले उनसे पैसे की मांग करते थे।
पिछले सप्ताह याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि उसका पति गोवा में एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी करता है और उसको 50 हजार रूपए वेतन मिलता है।
साथ ही महिला ने मांग किया था कि उसकी और उसकी बेटी के जीवन यापन के लिए उसे गुजारा भत्ता दिया जाए। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
इसके बाद उसके पति ने कहा कि मेरे गलत व्यवहार के करण कंपनी से निकाल दिया गया। इस समय 6000 रूपए मात्र कमाता है।
उसके पति ने कोर्ट को बताया उसकी पत्नी एक शानदार जीवन जीना चाहती है और वह गोवा से मुंबई फ्लाईट से आती थी जिसके कारण उस पर कर्ज हो गया है। साथ ही अपील की थी कि याचिका खारिज की जाए।
कोर्ट ने कहा बिना प्रमाण नौकरी से निकाले जाने या वेतन कम होने की बात साबित नहीं होती है इसलिए उसे 20 हजार रूपए प्रति महिना गुजारा भत्ता देना होगा।
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