पाली।साथ जीने-मरने की खाई कसमें कुदरत ने भी हकीकत में बदल दी। मंगलवार को शहर में कुछ ऎसा वाकया हुआ कि जिसने भी सुना, उनकी आंखें नम हो उठी। एक साथ पति-पत्नी की अर्थियां उठी तो हर किसी का दिल बैठ गया।
बालियों का बास में रहने वाले सुरेन्द्र तांतेड़ ने मंगलवार सुबह पत्नी चंद्रा देवी के नहीं जागने पर उसे उठाया। लेकिन कोई प्रत्युतर नहीं मिला। इसके बाद वे घबरा गए और अपने पुत्रों की सहायता से उसे अस्पताल के लिए लेकर निकले। सुरेन्द्र तांतेड़ बांगड़ अस्पताल की पार्किüग में वाहन खड़ा कर रहे थे, तभी पास ही नाले में गिरने से उनकी मौत हो गई। वहीं चिकित्सकों ने उनकी पत्नी को भी मृत घोçष्ात कर दिया। पुत्रों के सिर पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने एक ही क्षण में अपने पिता और माता दोनों को खो दिया। शहरवासियों को जैसे ही खबर मिली, सब अस्पताल की ओर दौड़ पड़े।
जिसने भी सुना,
रोक नहीं पाया
इस दुखद घटना के बारे में जिसने भी सुना, वह अपने आप को रोक नहीं पाया। काफी तादाद में समाज के लोग अस्पताल परिसर में एकत्रित हो गए। हर कोई उनके पुत्रों को ढाढस बंधाता दिखा। इसके बाद उनके घर से जैसे ही एक साथ अर्थियां उठी, लोगों की आंखें नम हो गई।
आंखें भिगो कर दान कर गए नेत्र
इस हादसे ने जहां एक ओर लोगों की आंखें भीगो दी, वहीं पुत्रों ने उनके नेत्रदान कर अपने माता-पिता को अमर कर दिया। चंद्रा देवी और सुरेन्द्र तांतेड़ की मृत्यु के बाद आई बैंक सोसायटी के हुक्मीचंद मेहता, केवलचंद कवाड़, भंवरलाल सेमलानी, नरेन्द्र तलेसरा, हितेन्द्र खिंचा, सुरेश चंद्र गुप्ता सहित अन्य लोगों ने उनके पुत्रों हितेश और निलेश तांतेड़ से सम्पर्क किया। नेत्रदान की स्वीकृति मिलने के बाद दोनों के कॉर्निया लेकर जगदीश व्यास के सहयोग से जयपुर भिजवाए गए।
बालियों का बास में रहने वाले सुरेन्द्र तांतेड़ ने मंगलवार सुबह पत्नी चंद्रा देवी के नहीं जागने पर उसे उठाया। लेकिन कोई प्रत्युतर नहीं मिला। इसके बाद वे घबरा गए और अपने पुत्रों की सहायता से उसे अस्पताल के लिए लेकर निकले। सुरेन्द्र तांतेड़ बांगड़ अस्पताल की पार्किüग में वाहन खड़ा कर रहे थे, तभी पास ही नाले में गिरने से उनकी मौत हो गई। वहीं चिकित्सकों ने उनकी पत्नी को भी मृत घोçष्ात कर दिया। पुत्रों के सिर पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने एक ही क्षण में अपने पिता और माता दोनों को खो दिया। शहरवासियों को जैसे ही खबर मिली, सब अस्पताल की ओर दौड़ पड़े।
जिसने भी सुना,
रोक नहीं पाया
इस दुखद घटना के बारे में जिसने भी सुना, वह अपने आप को रोक नहीं पाया। काफी तादाद में समाज के लोग अस्पताल परिसर में एकत्रित हो गए। हर कोई उनके पुत्रों को ढाढस बंधाता दिखा। इसके बाद उनके घर से जैसे ही एक साथ अर्थियां उठी, लोगों की आंखें नम हो गई।
आंखें भिगो कर दान कर गए नेत्र
इस हादसे ने जहां एक ओर लोगों की आंखें भीगो दी, वहीं पुत्रों ने उनके नेत्रदान कर अपने माता-पिता को अमर कर दिया। चंद्रा देवी और सुरेन्द्र तांतेड़ की मृत्यु के बाद आई बैंक सोसायटी के हुक्मीचंद मेहता, केवलचंद कवाड़, भंवरलाल सेमलानी, नरेन्द्र तलेसरा, हितेन्द्र खिंचा, सुरेश चंद्र गुप्ता सहित अन्य लोगों ने उनके पुत्रों हितेश और निलेश तांतेड़ से सम्पर्क किया। नेत्रदान की स्वीकृति मिलने के बाद दोनों के कॉर्निया लेकर जगदीश व्यास के सहयोग से जयपुर भिजवाए गए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें