मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

"मिट्टी" भेज दो, "मोल" नहीं चाहिए....।

बाड़मेर। सुरा गांव का बीस वर्षीय युवक दो वक्त की रोटी कमाने के लिए सऊदी अरब गया, वहां उसकी चार माह पूर्व संदिग्ध मृत्यु हो गई। मौत के समाचार ने परिजन पर वज्रपात कर दिया। दूसरे देश से खबर आई कि अब जो चला गया उसका क्या,इसकी मजदूरी के बकाया रूपए ले लो। हम यहीं मिट्टी के हवाले कर देते हैं। गरीब परिवार की खुद्दारी देखिए उन्होंने कहा "मिट्टी" दे दो हमें मोल नहीं चाहिए।
सुरा गांव का बीस वर्षीय मंगलाराम पुत्र सुरताराम रोजगार नहीं मिलने पर परिवार पालने की उम्मीद से सऊदी अरब चला गया। वहां ऊंट चराने की मजदूरी पर लगा था। परिवार वालों को आस थी कि दीपावली पर उनका बेटा रूपए भेजेगा और एक साल बाद मिलने भी आएगा, लेकिन तकदीर को कुछ अलग मंजूर था। करीब साढ़े तीन माह पूर्व परिवार के एक सदस्य को फोन आया कि मंगलाराम का शव यहां सुनसान में पड़ा है, वह अब नहीं रहा। इस चचेरे भाई ने यह बात मंगलाराम के परिवार को नहीं बताई।

जिस व्यक्ति के पास मंगलाराम कार्य कर रहा था, उससे बात की। उसने बताया कि दो महीने पहले ही मेरे पास से चला गया और मजदूरी भी लेकर गया है। अब कहां है मुझे नहीं मालूम। इस पर शहर में उद्यमी तनसिंह चौहान से संपर्क कर आग्रह किया कि उनके बेटे की "माटी" अरब से लाने में मदद करवाए। बकौल चचेरे भाई मांगाराम तनसिंह की मदद पर वहां से पार्थिव देह को लाने का इंतजाम हुआ। इस दौरान संबंधित व्यक्ति ने कहा कि एक लाख रूपए के करीब इसकी मजदूरी है और इतने रूपए पार्थिव देह को भारत भेजने में लग जाएंगे, यहीं अंतिम क्रियाकर्म कर लिया जाए। इस पर गरीब परिजनों ने कहा कि हमें "मिट्टी" भेज दो, "मोल" नहीं चाहिए....।

कोहराम मच गया
मंगलाराम की पार्थिव देह सोमवार शाम को सुरा गांव पहुंची। जवान कमाऊ बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे मां-बाप को जब कहा गया कि मंगला अब नहीं रहा...। उसका अरब से शव आयाहै तो घर में कोहराम मच गया। मां-पिता, भाई-बहिन और मंगलाराम की पत्नी की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। गांव वालों व परिजनों ने मुश्किल से संभाला। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हो गया। मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार होना है।

परिवार में नहीं खबर
साढ़े तीन माह से मंगलाराम की पत्नी, मां, बहिन और पिता को यह पता नहीं था कि ढेरो खुशियों के साथ जिस मंगलाराम के आने का वे इंतजार कर रहे है,वह अब आएगा तो सही, लेकिन उनकी आंखों की सारी खुशियां छीन ले जाएगा..। मुस्कराता गया उनका बेटा अब मिट्टी बनकर लौटा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें