नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को एक तरह से कांग्रेस के लिए चुनौती मानते हुए कहा कि हम अपने विरोधी की ताकत को हल्के ढंग से नहीं ले सकते।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यहां कहा कि कांग्रेस पूरे विश्वास के साथ अगले आम चुनाव में उतरेगी लेकिन हम अपने विरोधी की ताकत को हल्के ढंग से नहीं ले सकते। हम अपने विरोधियों को पूरी गंभीरता से लेते हैं।
प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि क्या वह मोदी को एक चुनौती मानते हैं। वह एक दैनिक अंग्रेजी अखबार के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक को लेकर उठे विवाद के संबंध में उन्होंने कहा कि इसमें तेजी के पीछे कोई राजनीति नहीं है। उन्होंने कहा कि देश पिछले पांच वर्ष से इस मुद्दे से जूझ रहा है।
यदि दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीडितों के लिए समुचित मुआवजे की व्यवस्था होनी चाहिए। आतंकवाद की समस्या पर उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए पूरे देश का एकजुट होना जरूरी है। इससे हिंदू ,मुसलमान या ईसाई के आधार पर अकेले नहीं निपटा जा सकता।
उन्होंने कहा कि हमने आतंकवाद का जब भी हिंदू, मुसलमान या ईसाई के रूप में नहीं बल्कि एक भारतीय के रूप में सामना किया है तो हमें सफलता मिली है। उन्होंने आतंकवाद के खतरे के प्रति सभी को सचेत करते हुए कहा कि इसका अंतिम लक्ष्य देश का सांप्रदायिक आधार पर बंटवारा कराना है।
प्रधानमंत्री ने मीडिया से भारत के विकास की अनदेखी नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारतीयों के अविचल रहने के जोश का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक ब्रांड के रूप में पूरी दुनिया में मान्यता हासिल कर रहा है।
मनमोहन ने कहा कि उदीयमान अर्थ व्यवस्था ने अनेकों को गरीबी के जंजाल से उबारा है। लेकिन अब भी भारत में गरीबी है जो लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अतीत की नीतिगत गलतियों के बावजूद देश की अर्थ व्यव्था प्रगति पर है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यहां कहा कि कांग्रेस पूरे विश्वास के साथ अगले आम चुनाव में उतरेगी लेकिन हम अपने विरोधी की ताकत को हल्के ढंग से नहीं ले सकते। हम अपने विरोधियों को पूरी गंभीरता से लेते हैं।
प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि क्या वह मोदी को एक चुनौती मानते हैं। वह एक दैनिक अंग्रेजी अखबार के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक को लेकर उठे विवाद के संबंध में उन्होंने कहा कि इसमें तेजी के पीछे कोई राजनीति नहीं है। उन्होंने कहा कि देश पिछले पांच वर्ष से इस मुद्दे से जूझ रहा है।
यदि दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीडितों के लिए समुचित मुआवजे की व्यवस्था होनी चाहिए। आतंकवाद की समस्या पर उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए पूरे देश का एकजुट होना जरूरी है। इससे हिंदू ,मुसलमान या ईसाई के आधार पर अकेले नहीं निपटा जा सकता।
उन्होंने कहा कि हमने आतंकवाद का जब भी हिंदू, मुसलमान या ईसाई के रूप में नहीं बल्कि एक भारतीय के रूप में सामना किया है तो हमें सफलता मिली है। उन्होंने आतंकवाद के खतरे के प्रति सभी को सचेत करते हुए कहा कि इसका अंतिम लक्ष्य देश का सांप्रदायिक आधार पर बंटवारा कराना है।
प्रधानमंत्री ने मीडिया से भारत के विकास की अनदेखी नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारतीयों के अविचल रहने के जोश का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक ब्रांड के रूप में पूरी दुनिया में मान्यता हासिल कर रहा है।
मनमोहन ने कहा कि उदीयमान अर्थ व्यवस्था ने अनेकों को गरीबी के जंजाल से उबारा है। लेकिन अब भी भारत में गरीबी है जो लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अतीत की नीतिगत गलतियों के बावजूद देश की अर्थ व्यव्था प्रगति पर है।
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