नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस अब बीजेपी को किसी भी सूरत में दिल्ली की सत्ता में नहीं आने देना चाहती। सबसे बड़ृी पार्टी बनकर उभरी भाजपा के पास भी हालांकि बहुमत नहीं है। पर कांग्रेस किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती। कांग्रेस विधायक दूसरे नंबर पर रही "आप" को बिना शर्त समर्थन देने को राजी हैं। मालूम हो कि चुनाव में बीजेपी को 32, आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 8 तथा जनता दल (यू) को 1 और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है।
मंगलवार को कांग्रेस के दिल्ली चुनाव प्रभारी एंव महासचिव शकील अहमद की अध्यक्षता में हुई विधायकों की बैठक में विधायकों ने राय दी कि वे जल्द दोबारा चुनाव नहीं चाहते। इस पर काफी खर्च आता है। विधायकों की राय से अब शकील अहमद आलाकमान को अवगत कराएंगे। पार्टी के कई नेताओं की भी राय है कि भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस को आप को बाहर से बिना शर्त समर्थन देना चाहिए। अंतिम निर्णय आलाकमान ही लेगा।
पंद्रह वर्ष तक लगातार दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ आठ सीट जीत सकी है। दिल्ली विधानसभा का जो अंकगणित है उसमें कांग्रेस और आप की सरकार आसानी से बन सकती है लेकिन आप लगातार कह रही है कि वह न तो किसी को समर्थन देगी और न समर्थन लेगी। कांग्रेस महासचिव अहमद ने कहा कि दिल्ली में अपेक्षा के अनुरूप हमें सीटें नहीं मिली है लेकिन किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।
अहमद ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद कहा था कि कांग्र्रेस किसी को भी समर्थन देने पर विचार नहीं कर रही है। उधर, आप ने कांग्रेस की इस पेशकश को खारिज कर दिया है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी का फैसला है कि न किसी का समर्थन लेंगे और न किसी को समर्थन देंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सुबह हुई बैठक में भी इसी फैसले को सही माना गया।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिल्ली में अब दोबारा चुनाव के आसार को लेकर अलर्ट कर दिया है। मंगलवार को ही दिल्ली के विधायक दल की बैठक में पार्टी ने साफ कर दिया कि वे सरकार बनाने की पहल नहीं करेंगे। ऎसे में दोबारा चुनाव की स्थिति में सभी उम्मीदवार और कार्यकर्ता तैयार रहें।
कांग्रेस-भाजपा विधायकों को "आप" का न्योता
दिल्ली में आम आदमी को "आप"(आम आदमी पार्टी) से जोड़ने वाले अरविंद केजरीवाल ने अब चुनावी रण में जीत हासिल करने वाले कांग्रसी और भाजपाई विधायकों को खुला न्यौता दिया है। भाजपा के दोबारा चुनाव के संकेतों के बाद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा है कि जो विधायक अपनी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं वे हमारे साथ आ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि आप को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 7 विधायकों की दरकार है और उसने भाजपा व कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने इनकार कर दिया है। ऎसे में दोबारा चुनाव या राष्ट्रपति शासन की नौबत आ पहुंची है। इन परिस्थितियों में केजरीवाल ने नया सियासी पासा फैंकते हुए कहा है,"ऎसे विधायक जो अपनी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं और सरकार बनाने में विश्वास करते हैं। उनका हमारी पार्टी में स्वागत है।"
भाजपा बोली जोड़-तोड़ की सरकार नहीं
दिल्ली में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार डॉ. हर्षवर्घन ने कहा कि चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और वह इसे देखते हुए सरकार बनाने के लिए कदम नहीं उठाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा जोड़तोड़ कर सरकार बनाने में विश्वास नहीं करती है। बता दें कि 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 32 सीटें मिली हैं। एक सीट भाजपा के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को मिली है। इस प्रकार भाजपा बहुमत के आंकडे 36 से चार कदम दूर है। उधर,आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली हैं। जबकि कांग्रेस को 8, जनता दल (यू) को 1 और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है।
मंगलवार को कांग्रेस के दिल्ली चुनाव प्रभारी एंव महासचिव शकील अहमद की अध्यक्षता में हुई विधायकों की बैठक में विधायकों ने राय दी कि वे जल्द दोबारा चुनाव नहीं चाहते। इस पर काफी खर्च आता है। विधायकों की राय से अब शकील अहमद आलाकमान को अवगत कराएंगे। पार्टी के कई नेताओं की भी राय है कि भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस को आप को बाहर से बिना शर्त समर्थन देना चाहिए। अंतिम निर्णय आलाकमान ही लेगा।
पंद्रह वर्ष तक लगातार दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ आठ सीट जीत सकी है। दिल्ली विधानसभा का जो अंकगणित है उसमें कांग्रेस और आप की सरकार आसानी से बन सकती है लेकिन आप लगातार कह रही है कि वह न तो किसी को समर्थन देगी और न समर्थन लेगी। कांग्रेस महासचिव अहमद ने कहा कि दिल्ली में अपेक्षा के अनुरूप हमें सीटें नहीं मिली है लेकिन किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।
अहमद ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद कहा था कि कांग्र्रेस किसी को भी समर्थन देने पर विचार नहीं कर रही है। उधर, आप ने कांग्रेस की इस पेशकश को खारिज कर दिया है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी का फैसला है कि न किसी का समर्थन लेंगे और न किसी को समर्थन देंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सुबह हुई बैठक में भी इसी फैसले को सही माना गया।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिल्ली में अब दोबारा चुनाव के आसार को लेकर अलर्ट कर दिया है। मंगलवार को ही दिल्ली के विधायक दल की बैठक में पार्टी ने साफ कर दिया कि वे सरकार बनाने की पहल नहीं करेंगे। ऎसे में दोबारा चुनाव की स्थिति में सभी उम्मीदवार और कार्यकर्ता तैयार रहें।
कांग्रेस-भाजपा विधायकों को "आप" का न्योता
दिल्ली में आम आदमी को "आप"(आम आदमी पार्टी) से जोड़ने वाले अरविंद केजरीवाल ने अब चुनावी रण में जीत हासिल करने वाले कांग्रसी और भाजपाई विधायकों को खुला न्यौता दिया है। भाजपा के दोबारा चुनाव के संकेतों के बाद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा है कि जो विधायक अपनी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं वे हमारे साथ आ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि आप को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 7 विधायकों की दरकार है और उसने भाजपा व कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने इनकार कर दिया है। ऎसे में दोबारा चुनाव या राष्ट्रपति शासन की नौबत आ पहुंची है। इन परिस्थितियों में केजरीवाल ने नया सियासी पासा फैंकते हुए कहा है,"ऎसे विधायक जो अपनी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं और सरकार बनाने में विश्वास करते हैं। उनका हमारी पार्टी में स्वागत है।"
भाजपा बोली जोड़-तोड़ की सरकार नहीं
दिल्ली में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार डॉ. हर्षवर्घन ने कहा कि चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और वह इसे देखते हुए सरकार बनाने के लिए कदम नहीं उठाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा जोड़तोड़ कर सरकार बनाने में विश्वास नहीं करती है। बता दें कि 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 32 सीटें मिली हैं। एक सीट भाजपा के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को मिली है। इस प्रकार भाजपा बहुमत के आंकडे 36 से चार कदम दूर है। उधर,आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली हैं। जबकि कांग्रेस को 8, जनता दल (यू) को 1 और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई है।
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