साणंद। गुजरात के साणंद शहर के तहत आने वाला एक ऎसा गांव है, जहां पुरूषों से ज्यादा महिला करोड़पति हैं। गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) की ओर से जमीनो के लिए दिए गए भारी मुआवजे के कारण रातों रात करोड़पति बने गांव के 400 लोगों में से 30 प्रतिशत (117) महिलाएं हैं।
जीआईडीसी ने पिछले कुछ दिनों में अहमदाबाद से 40 किलोमीटर दूर खोराज गांव के इन लोगों के बीच 850 करोड़ के चैक बांटे हैं। प्रदेश में फर्श से अर्श की यह कहानी लोगो के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। बड़ी बात यह है कि जिन महिलाओं के नाम जमीनें थीं, उन्हें एक करोड़ से छह करोड़ के बीच मुआवजा दिया गया है।
गांव के एक परिवार के तीन लोगों के बीच 7.78 करोड़ रूपए वितरित किया गया है। घर के मुखिया रामसिनह को 3.53 करोड़, उसकी पत् नी लीला को 2.43 करोड़ और बेटी कल्याणी जाधव को 1.83 करोड़ का मुआवजा मिला है। कल्याणी ने बताया कि उसके पिता उसे इस बात की इजाजत दे दी है कि वह मुआवजे एक बड़ा हिस्सा कृषि से संबंधित उद्योग लगाने के लिए कर सकती है।
वहीं, अधिकतर महिलाओं का कहना है कि वे मुआवजे का इस्तेमाल सोच समझकर करेंगी ताकि भविष्य मे आने वाली पीढियों को आर्थिक मुसिबतों का सामना नहीं करना पड़े। इन महिलाओं का मानना है कि पैसा खर्च करना बहुत आसान होता है, लेकिन कमाना उससे भी मुश्किल होता है।
गांव की 15 महिलाओं ने अपने नाम पर एक एक करोड़ की एफडी करवा ली है।
जीआईडीसी ने पिछले कुछ दिनों में अहमदाबाद से 40 किलोमीटर दूर खोराज गांव के इन लोगों के बीच 850 करोड़ के चैक बांटे हैं। प्रदेश में फर्श से अर्श की यह कहानी लोगो के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। बड़ी बात यह है कि जिन महिलाओं के नाम जमीनें थीं, उन्हें एक करोड़ से छह करोड़ के बीच मुआवजा दिया गया है।
गांव के एक परिवार के तीन लोगों के बीच 7.78 करोड़ रूपए वितरित किया गया है। घर के मुखिया रामसिनह को 3.53 करोड़, उसकी पत् नी लीला को 2.43 करोड़ और बेटी कल्याणी जाधव को 1.83 करोड़ का मुआवजा मिला है। कल्याणी ने बताया कि उसके पिता उसे इस बात की इजाजत दे दी है कि वह मुआवजे एक बड़ा हिस्सा कृषि से संबंधित उद्योग लगाने के लिए कर सकती है।
वहीं, अधिकतर महिलाओं का कहना है कि वे मुआवजे का इस्तेमाल सोच समझकर करेंगी ताकि भविष्य मे आने वाली पीढियों को आर्थिक मुसिबतों का सामना नहीं करना पड़े। इन महिलाओं का मानना है कि पैसा खर्च करना बहुत आसान होता है, लेकिन कमाना उससे भी मुश्किल होता है।
गांव की 15 महिलाओं ने अपने नाम पर एक एक करोड़ की एफडी करवा ली है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें