यूं बनी घोटालों की "गुडाल"
बाड़मेर। जिले मेें वर्ष 2007 में लागू हुई पिछड़ा क्षेत्र विकास कार्यक्रम योजना (बीआरजीएफ) में किसान सेवा केन्द्र बनाने का सिलसिला ऎसे चल पड़ा है कि एक-एक ग्राम पंचायत में छह-छह किसान सेवा केन्द्र बना दिए गए। ग्राम पंचायत शहदाद के गांव उतरबा में एक साथ छह किसान सेवा केन्द्रों की स्वीकृति जारी हुई है। एक किसान सेवा केन्द्र का बजट डेढ़ लाख रूपए है। बीआरजीएफ योजना में दो लाख रूपए तक के विकास कार्य स्वीकृत करने का अधिकार ग्राम पंचायत के पास रहता है। इसलिए सेवा केन्द्रों की स्वीकृतियां दो लाख रूपए के भीतर रखी गई हैं।
जिले भर में किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत करने की यही कहानी है। किसान सेवा केन्द्रों के नाम से बने ये भवन निजी हित में उपयोग में लिए जा रहे हैं। इन्हें स्थानीय बोलचाल की भाषा में गुडाल अथवा कोटड़ी कह सकते हैं। करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए गए ये सरकारी भवन परिवार विशेष के काम आ रहे हैं। इनका सार्वजनिक अथवा
कृषि संबंधी उपयोग कहीं भी नहीं हो रहा है।
अब तक बने 850 सेवा केन्द्र
जि ले में अब तक साढ़े आठ सौ किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें से करीब सात सौ सेवा केन्द्र बन गए हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण चालू वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 308 किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं। जिले में ग्राम पंचायतें भी 380 ही है। ऎसे में 850 कृषि सेवा केन्द्रों की कहानी समझ से परे हैं।
शिकायत पर होगा विचार
जिला परिषद द्वारा 850 कृषि सेवा केन्द्र का मामला कृçष्ा विभाग के ध्यान में नहीं है। जिन ग्राम पंचायत पर कृषि सेवा केन्द्र नहीं है, वहां राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का उपयोग करने के निर्देश हैं।
राजेन्द्र चौहान सहायक उप निदेशक कृषि बाड़मेर
बाड़मेर। जिले मेें वर्ष 2007 में लागू हुई पिछड़ा क्षेत्र विकास कार्यक्रम योजना (बीआरजीएफ) में किसान सेवा केन्द्र बनाने का सिलसिला ऎसे चल पड़ा है कि एक-एक ग्राम पंचायत में छह-छह किसान सेवा केन्द्र बना दिए गए। ग्राम पंचायत शहदाद के गांव उतरबा में एक साथ छह किसान सेवा केन्द्रों की स्वीकृति जारी हुई है। एक किसान सेवा केन्द्र का बजट डेढ़ लाख रूपए है। बीआरजीएफ योजना में दो लाख रूपए तक के विकास कार्य स्वीकृत करने का अधिकार ग्राम पंचायत के पास रहता है। इसलिए सेवा केन्द्रों की स्वीकृतियां दो लाख रूपए के भीतर रखी गई हैं।
जिले भर में किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत करने की यही कहानी है। किसान सेवा केन्द्रों के नाम से बने ये भवन निजी हित में उपयोग में लिए जा रहे हैं। इन्हें स्थानीय बोलचाल की भाषा में गुडाल अथवा कोटड़ी कह सकते हैं। करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए गए ये सरकारी भवन परिवार विशेष के काम आ रहे हैं। इनका सार्वजनिक अथवा
कृषि संबंधी उपयोग कहीं भी नहीं हो रहा है।
अब तक बने 850 सेवा केन्द्र
जि ले में अब तक साढ़े आठ सौ किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें से करीब सात सौ सेवा केन्द्र बन गए हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण चालू वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 308 किसान सेवा केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं। जिले में ग्राम पंचायतें भी 380 ही है। ऎसे में 850 कृषि सेवा केन्द्रों की कहानी समझ से परे हैं।
शिकायत पर होगा विचार
जिला परिषद द्वारा 850 कृषि सेवा केन्द्र का मामला कृçष्ा विभाग के ध्यान में नहीं है। जिन ग्राम पंचायत पर कृषि सेवा केन्द्र नहीं है, वहां राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का उपयोग करने के निर्देश हैं।
राजेन्द्र चौहान सहायक उप निदेशक कृषि बाड़मेर
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