नई दिल्ली। लगता है कि विधानसभा चुनावों में प्रमुख राजनितिक दलों के पास अब मुद्दों का अकाल पड़ गया है। शायद इसीलिए सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष में बैठे भाजपा पुराने मामलों को उठा कर एक दूसरे की छवि धूमिल करने की राजनिति पर उतर आए हैं। इन सारे आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच लगता है कि जनता संबंधित मुद्दे पटल से गायब ही हो गए हैं।
जहां कांग्रेस ने महिला की कथित जासूसी के मामले पर भाजपा को घेर रखा है वहीं भाजपा जो अभी तक बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रही थी अब आक्रामक हो चली है। बुधवार को भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी कहा कि अगर पार्टी ने गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू किए तो कांग्रेस को छिपने की जगह नहीं मिलेगी।
एक वेबसाइट के हवाले से यह खबर आई है कि 1986 में राजीव गांधी की सरकार में एक केन्द्रीय मंत्री की पत्नी ने लिखित शिकायत की थी।
महिला ने उस समय की गई अपनी शिकायत में अपने पति के महिला कांग्रेसी नेता के साथ अवैध संबंधों की जांच करने के साथ-साथ उन्हे पार्टी से निकाल बाहर किए जाने की भी सिफारिश की थी। मामले में शामिल दोनों कांग्रेसी नेता फिलहाल यूपीए सरकार में मंत्री हैं।
अगर इन नेताओं के नाम सामने आ गए तो मनमोहन सरकार के लिए भारी मुशकिल खड़ी हो सकती है।
भाजपा हालांकि अभी इस मामले पर ज्यादा जोर नहीं डाल रही है क्योंकि उसे डर है कि मामला उठाने पर उसे भारी पड़ सकता है। भाजपा के प्रवक्ताओं ने केवल इशारा ही देने की बात कही है। उनका कहना है कि बाकी का काम मीडिया को करने दिया जाए।
जहां कांग्रेस ने महिला की कथित जासूसी के मामले पर भाजपा को घेर रखा है वहीं भाजपा जो अभी तक बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रही थी अब आक्रामक हो चली है। बुधवार को भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने भी कहा कि अगर पार्टी ने गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू किए तो कांग्रेस को छिपने की जगह नहीं मिलेगी।
एक वेबसाइट के हवाले से यह खबर आई है कि 1986 में राजीव गांधी की सरकार में एक केन्द्रीय मंत्री की पत्नी ने लिखित शिकायत की थी।
महिला ने उस समय की गई अपनी शिकायत में अपने पति के महिला कांग्रेसी नेता के साथ अवैध संबंधों की जांच करने के साथ-साथ उन्हे पार्टी से निकाल बाहर किए जाने की भी सिफारिश की थी। मामले में शामिल दोनों कांग्रेसी नेता फिलहाल यूपीए सरकार में मंत्री हैं।
अगर इन नेताओं के नाम सामने आ गए तो मनमोहन सरकार के लिए भारी मुशकिल खड़ी हो सकती है।
भाजपा हालांकि अभी इस मामले पर ज्यादा जोर नहीं डाल रही है क्योंकि उसे डर है कि मामला उठाने पर उसे भारी पड़ सकता है। भाजपा के प्रवक्ताओं ने केवल इशारा ही देने की बात कही है। उनका कहना है कि बाकी का काम मीडिया को करने दिया जाए।
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