नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत ने आज इतिहास रच दिया है हिंदुस्तान का मंगलयान लाल ग्रह के लिए उड़ान भर चुका है। मंगलयान पीएसएलवी रॉकेट ने आज दोपहर ठीक 2 बजकर 38 मिनट पर श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी। ये रॉकेट नैनो कार के बराबर के इस मंगलयान को अंतरिक्ष में छोड़ देगा, जहां कुछ दिन पृथ्वी के चक्कर काटने के बाद ये नौ महीने की मुश्किल यात्रा पर मंगल की ओर बढ़ जाएगा।
इसी के साथ भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मंगल मिशन के साथ ही भारत दूसरे ग्रह के लिए अभियान चलाने वाला एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। वैज्ञानिकों के पास इस अभियान की तैयारी के लिए सिर्फ 15 महीने का वक्त था क्योंकि अगला मौका 780 दिन के बाद जनवरी 2016 में ही मिल सकता था।
भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन भी मंगल के लिए यान भेज चुके हैं। मंगल मिशन भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन है यानी पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर प्रयोग की शुरुआत कर रहा है भारत। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन के मुताबिक मंगल को रहने योग्य माना जाता है। कई प्रकार से यह धरती जैसा ही है। उन्होंने बताया कि धरती के लगभग समान मंगल भी अपनी धुरी पर 24 घंटे 37 मिनट में एक घुर्णन लगाती है। हालांकि धरती जहां 365 दिन में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है, वहीं मंगल को इसमें 687 दिन लगते हैं।
गौरतलब है कि इसरो के इस अभियान पर 450 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। ऑर्बिटर को मंगल की कक्षा में पहुंचने में नौ महीने लगेंगे। अब तक चलाए गए 51 मंगल अभियानों में 21 ही सफल रहे हैं। अंतरिक्ष कार्यक्रम 1960 से ही इसरो के अभियानों का हिस्सा रहा है। ज्ञात हो कि चंद्रयान-1 अभियान में ही पहली बार चांद पर पानी का पता चला था। अभी ऑर्बिटर धरती की कक्षा में ही चक्कर लगाएगा। एक दिसंबर को इसे अंतरिक्ष में मंगल की ओर बढ़ाया जाएगा।
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