नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कारण यूपीए में दरार पड़ गई है। राहुल गांधी के दबाव में सरकार ने दागियों को बचाने वाला अध्यादेश वापस लेने का फैसला किया है। यूपीए के कई सहयोगी दल इससे खुश नहीं हैं। खासतौर पर एनसीपी और समाजवादी पार्टी।
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने तो कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश वापस लेने के फैसला का विरोध भी किया। एनसीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने इस मामले पर यूपीए की समन्वय समिति की बैठक बुलाए जाने की भी मांग की थी। हालांकि राष्ट्रीय लोकदल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
लोकदल के नेता और केन्द्रीय मंत्री अजित सिंह ने कहा कि हमने सर्वदलीय बैठक में अध्यादेश लाने का विरोध किया था। सिंह ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने सर्वदलीय बैठक में समर्थन किया था। लोकसभा में भी बिल का सपोर्ट किया था लेकिन राज्यसभा में रूख बदल लिया। अगर भाजपा अपना मन बदल सकती है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एनसीपी के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कांग्रेस की नहीं यूपीए की है। राहुल गांधी को अच्छे से पता होगा कि हम घटक हैं अनुयायी नहीं। राहुल गांधी कांग्रेस के बारे में जो कुछ कहना चाहते हैं उसके लिए वे स्वतंत्र हैं लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार कांग्रेस की नहीं है। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने मांग की थी कि अध्यादेश वापस लेने पर अंतिम फैसला लेने से पहले सहयोगियों से बात करनी चाहिए। हमें देखना होगा कि राहुल गांधी टॉप पर हैं या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और केन्द्रीय मंत्री फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से मुलाकात करूंगा। उन्होंने कहा कि अध्यादेश पर पूरा ड्राम दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल गांधी को अध्यादेश के संबंध में उस वक्त बयान नहीं देना चाहिए था जब प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर थे। यह गलत है। उम्मीद है कि भविष्य में सहयोगियों के साथ अच्छा तालमेल होगा।
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने तो कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश वापस लेने के फैसला का विरोध भी किया। एनसीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने इस मामले पर यूपीए की समन्वय समिति की बैठक बुलाए जाने की भी मांग की थी। हालांकि राष्ट्रीय लोकदल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
लोकदल के नेता और केन्द्रीय मंत्री अजित सिंह ने कहा कि हमने सर्वदलीय बैठक में अध्यादेश लाने का विरोध किया था। सिंह ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने सर्वदलीय बैठक में समर्थन किया था। लोकसभा में भी बिल का सपोर्ट किया था लेकिन राज्यसभा में रूख बदल लिया। अगर भाजपा अपना मन बदल सकती है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एनसीपी के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कांग्रेस की नहीं यूपीए की है। राहुल गांधी को अच्छे से पता होगा कि हम घटक हैं अनुयायी नहीं। राहुल गांधी कांग्रेस के बारे में जो कुछ कहना चाहते हैं उसके लिए वे स्वतंत्र हैं लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार कांग्रेस की नहीं है। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने मांग की थी कि अध्यादेश वापस लेने पर अंतिम फैसला लेने से पहले सहयोगियों से बात करनी चाहिए। हमें देखना होगा कि राहुल गांधी टॉप पर हैं या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और केन्द्रीय मंत्री फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से मुलाकात करूंगा। उन्होंने कहा कि अध्यादेश पर पूरा ड्राम दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल गांधी को अध्यादेश के संबंध में उस वक्त बयान नहीं देना चाहिए था जब प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर थे। यह गलत है। उम्मीद है कि भविष्य में सहयोगियों के साथ अच्छा तालमेल होगा।
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