मंगलवार, 8 अक्टूबर 2013

अनूठा गरबा देख दुनिया रह गई दंग

अनूठा गरबा देख दुनिया रह गई दंग

अहमदाबाद। नवरात्र में गरबा की जो धूम गुजरात और खासतौर पर अहमदाबाद में होती है उससे भला कोई अनजान नहीं होगा,लेकिन इस संडे की रात यहां ऎसा अनूठा गरबा खेला गया जिसे देख दुनिया दंग रह गई। सामान्य गरबा की तरह ही इसके पार्टिसिपेंट्स ने भी पारंपरिक पोषाकें पहनी थी, म्यूजिक भी लोकगीतों और फिल्मी धुनों से सजा था लेकिन जो खास बात थी वह थे इसके 700 पार्टिसिपेंट्स। ये सभी शारीरिक विकलांग थे,लेकिन उनके जोश और गरबा के अंदाज उन्हें सामान्य से खास बना दिया था।


बड़े मंडप के रूप में सजे इस पार्टी प्लॉट में गरबा में झूमने वालों (खेलैयाओं) में से एक तिहाई थे विकलांग। इस नृत्योत्सव की परंपरागत पोषाकों में सजे युवक-युवतियों ने व्हील चेयर पर बैठकर ऎसा गरबा खेला कि बाहर से आने वाले लोग भी दांत तले उंगलिया दबाने को मजबूर दिखे। गरबा करने में न इनकी मजबूरी दिखाई दे रही थी और इन्हें कोई डर था।


सहयोग की भावना


गरबा के दौरान इन लोगों में सहयोग की भावना देखते ही बन रही थी। वडोदरा निवासी नीताबेन नामक युवती को कतई एहसास नहीं हो रहा था कि वह दोनों पैरों से विकलांग है। मां दुर्गा की उपासना के लिए जब यह युवती परिक्रमा देने पहुंची तो उनके मित्र जयेश मोती वाला ने व्हील चेयर में धक्का देना शुरू कर दिया। एक पैर से विकलांग जयेश ने उनकी पूरी परिक्रमा पूरी करवाईं। भावनगर से आए कानजी भरवाड़, मेहुल बुधेलिया और परेश गिलानी ने ग्रुप में जोरदार गरबा किया। ये तीनों जने एक-एक पैर से विकलांग थे।


दांडिया रास की भी धमाल



कहने को विकलांगों के लिए आयोजित इस पार्टी प्लॉट में युवक-युवतियों ने जमकर दांडिया रास भी किया। आमने-सामने व्हील चेयरों पर बैठकर एक दूसरे का साथ उन्होंने देर रात तक दिया। इसके अलावा कुर्सियों और जमीन पर बैठकर भी गरबा का लुत्फ उठाया। सामान्य लोगों, परिजन और दोस्तों ने यहां आए सैकड़ों विकलांगों की व्हील चेयर पर गरबा कराने में मदद की।


तिकड़ी रही आकर्षण का केन्द्र



गरबा के दौरान दोनों पैरों से विकलांग तीन युवतियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। विविध लोक गीत और फिल्मों की धुनों पर इन्होंने जमकर गरबा किया। भले ही ये तीनों युवतियां व्हील चेयर पर थीं लेकिन इन्हें देखकर दर्शक भी मंत्रमुग्ध हो गए। पूजा पी. मेहता, शीतह शाह और केतकीबेन शाह नामक तीनों युवतियां ने गरबा और दांडिया रास किया। एक पैर से विकलांग सोलंकी राजेन्द्रकुमार ने कहा कि पिछले तीन वर्षो से हो रहे इस तरह के गरबा में विकलांग लोग सभी तरह का डर निकालकर मां भगवती की उपासना करते हैं। सामान्य लोगों के बीच गरबा करने में इन्हें सबसे बड़ा डर गिरने का होता है और दूसरा डर उपहास बनने का है। लेकिन यहां सब लोग उसी तरह के होने के कारण किसी प्रकार का डर नहीं होता। वस्त्रापुर निवासी प्रकाश बाबूलाल, भावनगर के परेश गिलानी एवं जीतेन्द्र रविया का भी यही कहना है।


ऎसे हुआ आयोजन


सामान्य लोगों के लिए गरबा करते समय विकलांगों को होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखकर पीएचए (फा) इन्टरनेशनल संस्था की ओर से यह आयोजन हुआ, जिसमें गुजरात एवं महाराष्ट्र से करीब सात सौ विकलांग युवक-युवतियों ने भाग लिया। फा की अध्यक्ष पूजा प्रकाश मेहता ने बताया कि पार्टी प्लॉट हो या शेरी, सामान्य लोगों के साथ गरबा करते समय विकलांगों को काफी परेशानी होती है। इसके अलावा ऎसे आयोजनों में जाते समय मनोबल भी कम होता है, जिससे फा संस्था ने पिछले तीन वर्षो से विशेष गरबा का आयोजन शुरू किया है।

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