आचार संहिता की आड़ में कब्जे का खेल
मंगलम बिल्डर और किसान आमने-सामने
अजमेर रोड़ स्थित महापुरा गांव में करोड़ों की है जमीन
जयपुर। चुनाव के दौरान लगी आचार संहिता की आढ़ में भूमाफियाओं का कुनबा इन दिनों अपने नापाक इरादों को अंजाम देने का काम कर रहा है। राज्य सरकार के तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद राजधानी में भूमाफियाओं की दबंगई थमने का नाम नहीं ले रही है। किसानों को मोटी कीमत पर उनकी बेशकीमती जमीनों का सौदा करने का सब्जबाग दिखाकर उन्हें लूटने का एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है भांकरोटा इलाके के महापुरा गाँव में। यहाँ अपनी ही जमीन को भूमाफियाओं से बचाने के लिए खौफजदा किसान पुलिस और प्रशासन से किसी तरह के इन्साफ से नाउम्मीद होकर अब खुद ही जमीन की रक्षा में जुटे हैं। यहां घर में चूल्हा चैकी संभालने वाली
ग्रामीण महिलाएं इन दिनों हाथों में लाठियां संभाल रही है। मामला गाँव की पौने 14 बीघा जमीन के बेचान से जुडा है। दरअसल, गाँव के ही चार भाइयों की इस संयुक्त बेशकीमती जमीन का सौदा आगरा निवासी सुखदेवी जाटव से एक करोड़ 25 लाख रूपए में तय हुआ था। यहीं पर दूसरे पक्ष ने किसानों की निरक्षरता का फायदा उठा लिया। आरोप है कि जमीन खरीदने वाले सुखदेवी जाटव पक्ष ने जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बाद भी उन्हें जमीन बेचने के बदले रकम नहीं दी। इतना ही नहीं, किसानों के साथ हुए धोखेबाजी के इस खेल में जमीन खरीदने वाले सुखदेवी जाटव ने इस जमीन को मंगलम बिल्डर को बेच डाला। अब मंगलम ग्रुप ने यहां मंगलम ग्रांट सिटी के नाम से प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है और दिन रात यहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। पीड़ित किसान रामप्रकाष ने बताया कि मंगलम बिल्डर कंपनी के गुर्गे जमीन पर मालिकाना हक का हवाला देते हुए उन्हें यहाँ से खदेड़ने का भय दिखाते हैं। बेशकीमती जमीन के सौदे में हुई धोखेबाजी के बाद अब किसानों ने मंगलम बिल्डर्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। किसान किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने पर अड़ गए हैं। तो जमीन की सुरक्षा में किसान और उनके परिवारजन दिन रात जमीन की रखवाली में तैनात रहने को मजबूर हो गए हैं। हालाँकि किसानों ने भूमाफियाओं की इस कारगुजारी का पुलिस में मामला दर्ज करा दिया है। लेकिन उन्हें पुलिस तंत्र से सुरक्षा की आस कम ही दिखाई दे रही है। लिहाजा वो खुद जमीन की रखवाली के लिए मैदान पर डट गए हैं। किसान रामधन और रामेष्वर का कहना है कि पुश्तैनी जमीन को बिना कीमत दिए वे किसी को कब्जाने नहीं देंगे। उनका कहना है कि वो जान दे देंगे लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं देंगे।
ग्रामीण महिलाएं इन दिनों हाथों में लाठियां संभाल रही है। मामला गाँव की पौने 14 बीघा जमीन के बेचान से जुडा है। दरअसल, गाँव के ही चार भाइयों की इस संयुक्त बेशकीमती जमीन का सौदा आगरा निवासी सुखदेवी जाटव से एक करोड़ 25 लाख रूपए में तय हुआ था। यहीं पर दूसरे पक्ष ने किसानों की निरक्षरता का फायदा उठा लिया। आरोप है कि जमीन खरीदने वाले सुखदेवी जाटव पक्ष ने जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बाद भी उन्हें जमीन बेचने के बदले रकम नहीं दी। इतना ही नहीं, किसानों के साथ हुए धोखेबाजी के इस खेल में जमीन खरीदने वाले सुखदेवी जाटव ने इस जमीन को मंगलम बिल्डर को बेच डाला। अब मंगलम ग्रुप ने यहां मंगलम ग्रांट सिटी के नाम से प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है और दिन रात यहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। पीड़ित किसान रामप्रकाष ने बताया कि मंगलम बिल्डर कंपनी के गुर्गे जमीन पर मालिकाना हक का हवाला देते हुए उन्हें यहाँ से खदेड़ने का भय दिखाते हैं। बेशकीमती जमीन के सौदे में हुई धोखेबाजी के बाद अब किसानों ने मंगलम बिल्डर्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। किसान किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने पर अड़ गए हैं। तो जमीन की सुरक्षा में किसान और उनके परिवारजन दिन रात जमीन की रखवाली में तैनात रहने को मजबूर हो गए हैं। हालाँकि किसानों ने भूमाफियाओं की इस कारगुजारी का पुलिस में मामला दर्ज करा दिया है। लेकिन उन्हें पुलिस तंत्र से सुरक्षा की आस कम ही दिखाई दे रही है। लिहाजा वो खुद जमीन की रखवाली के लिए मैदान पर डट गए हैं। किसान रामधन और रामेष्वर का कहना है कि पुश्तैनी जमीन को बिना कीमत दिए वे किसी को कब्जाने नहीं देंगे। उनका कहना है कि वो जान दे देंगे लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं देंगे।
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