वडोदरा। बीते शुक्रवार को वडोदरा जिले के वाघोडिया गांव में एक लौकिक घटना अलौकिक प्रसंग में तब्दील हुई तो दुख के आंसू खुशी के आंसू में बदल गए। यहां गुरुवार की रात लगभग 8 बजे 26 वर्षीय एक युवती की मृत्यु हो गई थी।
शुक्रवार को दोपहर 2 बजे युवती की श्मशान यात्रा निकाली गई। लगभग तीन बजे श्मशान में श्रद्धांजलि के लिए जब युवती का शव वाहन से नीचे उतार कर रखा गया तो इसी बीच युवती उठ बैठी।
पृथ्वीलोक से यमलोक की 21 घंटों के सफर के बाद वापस लौट आई जीवआत्मा ने जब महिला को खड़ा कर दिया तो इस नजारे ने लोगों को चौंका कर रख दिया। मौके पर मौजूद कई लोग यह दृश्य देखकर डर गए।वडोदरा जिले के वाघोडिया गांव के भूरीतलावडी इलाके में रहने वाली 26 वर्षीया गीताबेन रमणभाई वसावा पिछले काफी समय से टीवी की बीमारी से पीड़ित थी। वडोदरा के टीवी हॉस्पिटल में उसका इलाज हो रहा था। गीता एक श्रमिक परिवार से है, इसलिए वह गीता के ऑपरेशन का खर्च उठाने में सक्षम नहीं था।गुरुवार शाम को अचानक उसकी तबियत बहुत बिगड़ गई। गीता को उपचार मिल पाता कि उससे पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी। उसके आकस्मिक निधन से पूरे परिवार में गम का माहौल पैदा हो गया। रात में ही कई रिश्तेदार व पड़ोसी घर में जमा हो गए थे।हिंदु रीति-रिवाज के अनुसार सूर्यास्त के बाद किसी का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। इसलिए दूसरे दिन शुक्रवार को अंतिम संस्कार करना तय किया गया। शुक्रवार की सुबह भी कुछ रिश्तेदार घर पर आने वाले थे। इसलिए शवयात्रा दोपहर के 2 बजे निकाली जा सकी।श्मशान में गीता का शव श्रद्धांजलि के लिए नीचे उतारा गया। जब लोग उसे अंतिम विदाई दे रहे थे कि तभी गीता की सांसे चलने लगी और वे उठ बैठी। यह दृश्य देखकर कई लोग डर गए तो कई आश्चर्य में पड़ गए। गीता ने उठते ही कहा, ‘मुझे यहां क्यों लाए हो’? आसपास का नजारा देखकर उसने कहा, मुझे यहां क्यों लाए हो, मैं तो अभी जिंदा हूं।
शुक्रवार को दोपहर 2 बजे युवती की श्मशान यात्रा निकाली गई। लगभग तीन बजे श्मशान में श्रद्धांजलि के लिए जब युवती का शव वाहन से नीचे उतार कर रखा गया तो इसी बीच युवती उठ बैठी।
पृथ्वीलोक से यमलोक की 21 घंटों के सफर के बाद वापस लौट आई जीवआत्मा ने जब महिला को खड़ा कर दिया तो इस नजारे ने लोगों को चौंका कर रख दिया। मौके पर मौजूद कई लोग यह दृश्य देखकर डर गए।वडोदरा जिले के वाघोडिया गांव के भूरीतलावडी इलाके में रहने वाली 26 वर्षीया गीताबेन रमणभाई वसावा पिछले काफी समय से टीवी की बीमारी से पीड़ित थी। वडोदरा के टीवी हॉस्पिटल में उसका इलाज हो रहा था। गीता एक श्रमिक परिवार से है, इसलिए वह गीता के ऑपरेशन का खर्च उठाने में सक्षम नहीं था।गुरुवार शाम को अचानक उसकी तबियत बहुत बिगड़ गई। गीता को उपचार मिल पाता कि उससे पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी। उसके आकस्मिक निधन से पूरे परिवार में गम का माहौल पैदा हो गया। रात में ही कई रिश्तेदार व पड़ोसी घर में जमा हो गए थे।हिंदु रीति-रिवाज के अनुसार सूर्यास्त के बाद किसी का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। इसलिए दूसरे दिन शुक्रवार को अंतिम संस्कार करना तय किया गया। शुक्रवार की सुबह भी कुछ रिश्तेदार घर पर आने वाले थे। इसलिए शवयात्रा दोपहर के 2 बजे निकाली जा सकी।श्मशान में गीता का शव श्रद्धांजलि के लिए नीचे उतारा गया। जब लोग उसे अंतिम विदाई दे रहे थे कि तभी गीता की सांसे चलने लगी और वे उठ बैठी। यह दृश्य देखकर कई लोग डर गए तो कई आश्चर्य में पड़ गए। गीता ने उठते ही कहा, ‘मुझे यहां क्यों लाए हो’? आसपास का नजारा देखकर उसने कहा, मुझे यहां क्यों लाए हो, मैं तो अभी जिंदा हूं।
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