राम-रावण दल के बीच कुप्पी युद्ध 14 को
कौशाम्बी। उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में दाराशिकोह द्वारा बसाया गए दारानगर में दशहरे पर राम-रावण दल के बीच होने वाले कु प्पी युद्ध को देखने के लिए भारी जन सैलाब उमड़ा। दारानगर का दशहरा 234 वर्ष पूरे कर चुका है और यहां मनाए जाने वाला दशहरा अपनी मौलिकता के लिए प्रसिद्ध है।
यहां की खास बात यह है कि दशमी और एकादशी को बैरिकेटिगं करके युद्ध भूमि को पूरी तरह घेर दिया जाता है। जब राम रावण दल की सेना युद्ध भूमि में मोर्चा संभालते हैं तो राम-रावण का युद्ध सजीव हो उठता है। इसे देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं। राम दल के लोग गेरूआ वस्त्र पहनते हैं, जब कि रावण दल के लोग काले वस्त्र धारण करते हैं।
इस बार दारानगर में कुप्पी युद्ध 14 तथा 15 अक्टूबर को होगा। पहले दिन दोनों सेनाओं के बीच चार युद्ध होगें और दूसरे दिन तीन युद्ध। मेला संरक्षक अवध नारायण ने बताया कि राम-रावण युद्ध में सैनिकों द्वारा घडे की आकार की प्लास्टिक कुप्पी बनी रहती है। इन्ही कुप्पियों से सैनिक घामासान युद्ध करते है।
उन्होंने बताया कि पहले यही कुप्पी खाल से बनी रहती थी जिसका वजन एक किलो का होता था। लेकिन अब प्लास्टिक की कुप्पी का प्रयोग होता है। इस युद्ध में डंडा, गदा और थप्पड से प्रहार करना वर्जित है। केवल प्लास्टिक की बनी कुप्पी से युद्ध होता है।
कौशाम्बी। उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में दाराशिकोह द्वारा बसाया गए दारानगर में दशहरे पर राम-रावण दल के बीच होने वाले कु प्पी युद्ध को देखने के लिए भारी जन सैलाब उमड़ा। दारानगर का दशहरा 234 वर्ष पूरे कर चुका है और यहां मनाए जाने वाला दशहरा अपनी मौलिकता के लिए प्रसिद्ध है।
यहां की खास बात यह है कि दशमी और एकादशी को बैरिकेटिगं करके युद्ध भूमि को पूरी तरह घेर दिया जाता है। जब राम रावण दल की सेना युद्ध भूमि में मोर्चा संभालते हैं तो राम-रावण का युद्ध सजीव हो उठता है। इसे देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं। राम दल के लोग गेरूआ वस्त्र पहनते हैं, जब कि रावण दल के लोग काले वस्त्र धारण करते हैं।
इस बार दारानगर में कुप्पी युद्ध 14 तथा 15 अक्टूबर को होगा। पहले दिन दोनों सेनाओं के बीच चार युद्ध होगें और दूसरे दिन तीन युद्ध। मेला संरक्षक अवध नारायण ने बताया कि राम-रावण युद्ध में सैनिकों द्वारा घडे की आकार की प्लास्टिक कुप्पी बनी रहती है। इन्ही कुप्पियों से सैनिक घामासान युद्ध करते है।
उन्होंने बताया कि पहले यही कुप्पी खाल से बनी रहती थी जिसका वजन एक किलो का होता था। लेकिन अब प्लास्टिक की कुप्पी का प्रयोग होता है। इस युद्ध में डंडा, गदा और थप्पड से प्रहार करना वर्जित है। केवल प्लास्टिक की बनी कुप्पी से युद्ध होता है।
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