नयी दिल्ली। 2007 अजमेर दरगाह ब्लास्ट के आरोपी भावेश पटेल ने केन्द्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। आरोपी के आरोप ने केन्द्र सरकार के बड़े मंत्रियों की भूमिकाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है। भावेश के आरोप के साथ ही केन्द्र सरकार अब कठघरे में खड़ी हो गई है।
दरअसल अजमेर ब्लास्ट के आरोपी भावेश पाटिल ने एनआईए को एक चिट्ठी लिखी है। अपनी इस चिट्ठी में आरोपी ने केन्द्र सरकार के बड़े मंत्रियों पर आरोप लगाया है। भावेश पटेल ने एनआईए की स्पेशल कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में भावेश पटेल ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह और दिग्विजय सिंह ने उस पर अजमेर धमाके के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ नेता इंद्रेश कुमार का नाम लेने के लिए दबाव डाला था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अजमेर ब्लास्ट मामले में इस साल मार्च में गिरफ्तार किए गए पटेल ने कोर्ट को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि मुरादाबाद के आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मेरी मुलाकात दिग्विजय सिंह, शिंदे, जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई थी। ये सभी लोग चाहते थे कि मैं कोर्ट में आरएसएस के नेताओं को फंसाने वाला बयान दूं। भावेश ने कोर्ट को लिकी चिट्ठी में कहा है कि उसने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से भी मुलाकात की थी। भावेश ने मामले की जांच कर रही एनआईए पर भी सवाल उठाए है। पटेल के इस खुलासे ने जहां कांग्रेस नेताओं की मुसीबतें बढ़ा दी है तो वहीं आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने कांग्रेस हिंदू संगठनों खास तौर पर आरएसएस और इसके नेताओं के खिलाफ साजिश रच रही है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। आरोप के बाद सामने आकर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, आचार्य कृष्णन और आरपीएन सिंह ने पटेल के आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि पटेल से मिलना तो दूर उन्होंने उसका नाम भी पहली बार सुन रहे हैं। अभी तक गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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