एचपीसीएल रिफायनरी परियोजना पचपदरा को इसी हफ्ते मिलेगी मंजूरी!
राजस्थान में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) की 37,320 करोड़ रुपये की रिफाइनरी सह पेट्रोरसायन कॉम्प्लेक्स को अगले हफ्ते मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल सकती है। राज्य में एचपीसीएल का यह सबसे बड़ा निवेश होगा।
राजस्थान सरकार ने हाल ही में परियोजना स्थल को शुरुआती प्रस्तावित लीलाला गांव से 40 किलोमीटर दूर पचपदरा में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है हालांकि यह दोनों स्थल बाड़मेर जिले में ही स्थित हैं। प्रक्रिया से अवगत मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'सोमवार को यह प्रस्ताव सार्वजनिक निवेश बोर्ड के समक्ष जायेगा और पेट्रोलियम मंत्रालय पहले ही इस मसले को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के समक्ष पेश किये जाने के संबंध में नोट जारी कर चुका है।Ó
परियोजना स्थल में बदलाव का फैसला लीलाला गांव में स्थानीय किसानों द्वारा जमीन की अधिक कीमत मांगे जाने को लेकर किया गया है। परियोजना की घोषणा के वक्त जमीन की कीमत 40 से 60 लाख रुपये प्रति बीघा थी लेकिन अब इसमें 20,000 रुपये प्रति बीघा तक की तेजी आ चुकी है और इस वजह से सरकार को बाध्य होकर परियोजना के लिए नई जगह की तलाश करनी पड़ी।
परियोजना स्थल के बदलाव को लेकर राज्य की राजनीति में काफी उठापटक की स्थिति देखने को मिली और इस वजह से राजस्व मंत्री हेमराम चौधरी को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुताबिक परियोजना की वजह से पूरे इलाके में करीब 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2017 के अंत तक की जानी है। रिफाइनरी में अन्य कच्चे तेल के साथ साथ स्थानीय तौर पर निकाले जाने वाले कच्चे तेल का भी परिशोधन किया जायेगा। इस संयंत्र को इस तरह से तैयार किया जा रहा है जिसके तहत मोटर इंधन के उत्पादन के साथ साथ कई अन्य पेट्रोरसायन उत्पादों का उत्पादन होगा जिसका राजस्थान की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा।
संयंत्र बाड़मेर बेसिन के 50 फीसदी कच्चे तेल पर आधारित होगा जबकि बाकी की जरूरतों को आयात के जरिये पूरा किया जायेगा। परियोजना में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। एचपीसीएल पहले से ही आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृतियों को हासिल करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से संपर्क कर चुकी है। कंपनी परियोजना में साझेदारी के लिए कई अन्य कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रही है। इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने परियोजना में 5 फीसदी हिस्सेदारी के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है।
परियोजना स्थल में बदलाव का फैसला लीलाला गांव में स्थानीय किसानों द्वारा जमीन की अधिक कीमत मांगे जाने को लेकर किया गया है। परियोजना की घोषणा के वक्त जमीन की कीमत 40 से 60 लाख रुपये प्रति बीघा थी लेकिन अब इसमें 20,000 रुपये प्रति बीघा तक की तेजी आ चुकी है और इस वजह से सरकार को बाध्य होकर परियोजना के लिए नई जगह की तलाश करनी पड़ी।
परियोजना स्थल के बदलाव को लेकर राज्य की राजनीति में काफी उठापटक की स्थिति देखने को मिली और इस वजह से राजस्व मंत्री हेमराम चौधरी को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुताबिक परियोजना की वजह से पूरे इलाके में करीब 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2017 के अंत तक की जानी है। रिफाइनरी में अन्य कच्चे तेल के साथ साथ स्थानीय तौर पर निकाले जाने वाले कच्चे तेल का भी परिशोधन किया जायेगा। इस संयंत्र को इस तरह से तैयार किया जा रहा है जिसके तहत मोटर इंधन के उत्पादन के साथ साथ कई अन्य पेट्रोरसायन उत्पादों का उत्पादन होगा जिसका राजस्थान की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा।
संयंत्र बाड़मेर बेसिन के 50 फीसदी कच्चे तेल पर आधारित होगा जबकि बाकी की जरूरतों को आयात के जरिये पूरा किया जायेगा। परियोजना में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। एचपीसीएल पहले से ही आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृतियों को हासिल करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से संपर्क कर चुकी है। कंपनी परियोजना में साझेदारी के लिए कई अन्य कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रही है। इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने परियोजना में 5 फीसदी हिस्सेदारी के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है।
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