रविवार, 1 सितंबर 2013

रेगिस्तान में पसरने लगी है खजूर की मिठास रेतीली धरती पर खेती-बाड़ी में नए युग का उदय

रेगिस्तान में पसरने लगी है खजूर की मिठास
रेतीली धरती पर खेती-बाड़ी में नए युग का उदय

जैसलमेर, 1 सितम्बर/राजस्थान का रेगिस्तान भी अब खजूर की मिठास देने लगा है। खाड़ी देशों की तर्ज पर जैसलमेर जिले में भी अब खजूर उत्पादन की अपार संभावनाओं को आकार दिया जा रहा है।
सरकार के अनथक प्रयासों की बदौलत राजस्थान का रेगिस्तान इलाका जैसलमेर अब परंपरागत खेती-बाड़ी के साथ ही कृषि क्षेत्र में अत्याधुनिक दौर में प्रवेश कर चुका है जहाँ वैज्ञानिकों की पहल और अथक प्रयासों से खजूर का उत्पादन होने लगा है।  रेगिस्तान में खजूर की मिठास अपने आप में स्वप्न ही था लेकिन अब यह आकार लेता हुआ रेत के समंदर में मिठास देने लगा है।
इन्डो-इजरायल पद्धति से कृषि विभाग की ओर से सगरा-भोजका फार्म पर शुरू किए गए खजूर के अनुसंधान के सफल होने के बाद अब सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस खजूर इजरायल तकनीकी को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत सोमवार, 2 सितम्बर को 1 करोड़ 32 लाख रुपए की लागत से निर्मित होने वाले प्रदेश के पहले सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स खजूर केन्द्र का शिलान्यास करेंगे।  
जैसलमेर जिले के सगरा-भोजका में जैसलमेर- जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 104 हैक्टर में प्रायोगिक टिश्यु कल्चर खजूर फार्म की स्थापना की गई है। फार्म पर खाड़ी देशों से आयातित खजूर की विभिन्न 9 किस्मों के टिश्यु कल्चर से तैयार किये हुए पौधों का रोपण किया गया है। कुल 97.5 हैक्टर में खजूर के 15 हजार 268 पौधे लगाये गये हैं। फार्म पर सिंचाई के लिए 4 बोरवेल हैं तथा सम्पूर्ण फार्म पर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति (ड्रिप सिस्टम) की स्थापना की जाकर खजूर की खेती को बूंद-बूंद सिंचाई से उत्पादित किया जा रहा है।
जनवरी 2009 से खजूर के पौधों का रोपण प्रारम्भ किया गया तथा सितम्बर 2011 तक कुल 15 हजार 268 पौधे लगाये गये हैं। रोपण के चार वर्ष उपरान्त इस वर्ष लगभग 500 पौधों में फल लगना प्रारम्भ हो गया है, जिनकी गुणवत्ता एवं स्वाद बहुत अच्छा है।
कृषकों को खजूर उत्पादन का प्रशिक्षण देने एवं उत्पादन उपरान्त व्यवस्था/प्रसंस्करण के लिए इण्डो-इजरायल कार्य योजना के तहत कृषि एवं सहकारिता विभाग तथा भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत खजूर उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना के लिए लगभग 600 लाख रुपये की लागत से कृषकों को प्रशिक्षण, ठहरने, फसलोत्तर प्रबन्ध से जुड़ी सुविधाओं का विकास किया जायेगा। इस केन्द्र पर इजरायल एवं प्रदेश के विशेषज्ञों के सहयोग से खजूर उत्पादक कृषकों को इस फसल के उत्पादन व फसलोत्तर प्रबन्ध से जुड़ी विभिन्न तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जायेगा।
सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स केन्द्र के निर्माण होने के बाद कृषि विभाग द्वारा खजूर फसल प्रबन्धन से जुड़े विषयों पर सेमीनार आयोजित करवाकर फसल व जमीन के पोषक तत्वों को बनाए रखने में उपयोगी फर्टिकेशन प्रबन्धन, पोलिवेशन की विधियों के साथ आधुनिक उपकरणों की जानकारी दी जायेगी। इसके साथ ही खजूर उद्यानिकी विशेषज्ञ यहां रहकर प्रदेश के किसानों को खजूर की खेती की तकनीकी की जानकारी देंगे। आने वाले समय में जैसलमेर की धरती का यह खजूर देश-दुनिया तक अपनी मिठास पहुंचाकर प्रदेश को गौरव प्रदान करेगा।

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