सोमवार, 30 सितंबर 2013

सद्गुणों को जीवन में उतारना ही संस्कार : रोलसाहबसर

सद्गुणों को जीवन में उतारना ही संस्कार : रोलसाहबसर 

बाड़मेर



क्षत्रिय युवक संघ सद्भावना प्रकोष्ठ के तत्वावधान में राणी रुपादे संस्थान सरदारपुरा प्रांगण में एक दिवसीय संघ के प्रति सद्भावना रखने वाले क्षत्रिय बंधुओं का स्नेह मिलन समारोह आयोजित हुआ। जिसमें संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कहा कि आजादी से पहले समाज की पीड़ा को तनसिंह जी ने अनुभव किया। इस पीड़ा को मिटाने के लिए एक रास्ता खोज निकाला 22 दिसंबर 1946 को क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की गई। संघ की स्थापना के समय उनके साथ 19 व्यक्ति थे। उनमें से भी अधिकांश ने उनके जीवित रहते संघ का व उनका साथ छोड़ दिया। लेकिन तनसिंह अपने कर्म में रत रहे जिसका परिणाम है यह विशाल संघ। यह उनकी तपस्या व समाज के प्रति सद्भाव का प्रतिफल है। उन्होंने कभी ऐसे स्नेह मिलन व सद्भावना प्रकोष्ठों की स्थापना नहीं की। वे अपने कर्म में विश्वास रखते थे। दिन में 18 घंटे संघ के निमित सोचना, लिखना, चिंतन करना व समाजहित में कर्मरत रहना उनकी दिनचर्या थी।

उन्होंने कहा कि जो सद्गुण हमारे जीवन में नहीं है, उन सद्गुणों को जीवन में उतारना ही संस्कार है। यही कार्य क्षत्रिय युवक संघ 1946 से नियमित कर रहा है। कमलसिंह चुली इस कार्यक्रम की नींव के पत्थर है। इन्होंने संघ और छात्रावास दोनों को अपनी जीवन की दिनचर्या बना दी। वर्तमान युग में क्षत्रिय धर्म का पालन अनिवार्य है। संघ यही सिखाता है। इस दौरान शेरसिंह भुरटिया, पृथ्वीसिंह आगोर, कर्नल मानवेंद्रसिंह, छगनसिंह शिवकर, खमाणसिंह सुवाला, महावीरसिंह चूली , रेवंतसिंह राणासर, रुपसिंह चौहटन, कुशलसिंह गडरारोड, मलसिंह उंडखा, नरेन्द्रसिंह भाखरपुरा, राजेन्द्रसिंह भियाड़, नथूसिंह थुम्बली व स्वरूप सिंह खारा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में विक्रमसिंह इंद्रोई ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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