सोमवार, 2 सितंबर 2013

इमामों और मुअज्जिनों को भत्ता देना असंवैधानिक: हाई कोर्ट



कोलकाता।। ममता सरकार द्वारा इमामों और मुअज्जिनों (नमाज पढ़ने वालों) के लिए घोषित भत्ता असंवैधानिक और जनहित के खिलाफ है। मामले की सुनवाई के दौरान कोलकाता हाई कोर्ट की इस टिप्पणी से पश्चिम बंगाल सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा है। न्यायमूर्ति प्रणव कुमार चट्टोपाध्याय और न्यायमूर्ति एम पी श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस घोषणा को चुनौती देने वाली एक याचिका पर आदेश जारी किया।
Kolkata: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee addresses at Red Road during...
कोर्ट ने कहा कि यह भत्ता संविधान के अनुच्छेद 14 और 15.1 के खिलाफ है जो कहता है कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अप्रैल, 2012 में हर इमाम को 2500 रुपए देने की घोषणा की थी। बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि मुअज्जिनों को भी 15-15 सौ रुपए मिलेंगे।

प्रदेश बीजेपी महासचिव असीम सरकार ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यह भत्ता धार्मिक आधार पर समानता सुनिश्चित करने के प्रावधानों के खिलाफ है।असीम सरकार के वकील कौशिक चंद्र ने कहा कि यह जनहित में भी नहीं है क्योंकि इससे हर साल सरकारी खजाने पर 126 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
राज्य सरकार के वकील ने दावा किया कि विधानसभा ने इस खर्च पर सहमति दे दी है और सरकार कानून के दायरे में रहते हुए ही ऐसा कर रही है। लेकिन कोर्ट राज्य सरकार की दलीलों से संतुष्ट नहीं थीं।

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