वाशिंगटन। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दोषी सांसदों-विधायकों को बचाने वाले अध्यादेश पर अनपेक्षित व सीधे हमले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खासा आहत किया है। उन्होंने अमरीका से सोनिया गांधी को फोन करके अपनी नाराजगी जाहिर की है। राहुल ने सोनिया से बात करने के बाद ही पीएम को शुक्रवार देर शाम ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा है। इसमें राहुल ने अपनी मंशा को स्पष्ट किया। नाराज पीएम ने भारत लौटने के बाद स्पष्ट बातचीत के संकेत दिए हैं। इससे ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं मनमोहन सिंह अपने पद से इस्तीफा नहीं दे दें। यदि ऎसा हुआ तो कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
राहुल के शुक्रवार को इस अध्यादेश को बकवास करार देकर फाड़ने पर राजनीतिक भूचाल आ गया है। यूपीए सरकार सीधे इसमें घिर गई है। विपक्ष को बैठे बिठाए सरकार पर हल्ला बोलने का बड़ा मुद्दा मिल गया है।
इसलिए आहत हुए मन
अमरीका दौरे पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात से ठीक पहले राहुल ने बड़ा झटका दिया। अध्यादेश पर राहुल के बयान के बाद पीएम को निश्चित तौर पर लगा होगा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी किरकरी होगी। उनके फैसले पर सवाल उठने से देश की जनता को उन्हें जवाब देना होगा। वैसे ही विपक्ष और लोगों के निशाने पर मनमोहन लगातार रहे हैं। 2जी स्पैक्ट्रम, कोयला घोटाला समेत कई बड़े मामलों में उनका नाम आने से वैसे ही पीएम फंसे हुए हैं। ऊपर से पीएम पद की मजबूरी जताने और पैसा पेड़ पर उगने जैसे बयानों के बाद उनकी आलोचना भी हुई। हाल में उन्होंने राहुल के नेतृत्व में काम करने का बयान दिया तो ये भी साफ हो गया कि वे प्रधानमंत्री पद पर कार्य करते-करते मजबूर हो लाचार हो गए हैं।
राहुल ने पीएम को यह लिखा पत्र में
राहुल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मुझे लगता है कि इस अध्यादेश को लेकर मेरी जो राय है वो कांग्रेस कोर कमेटी और कैबिनेट के विचारों से अलग हैं। मुझे पता है कि इसका हमारे राजनीतिक विरोधी फायदा उठाएंगे। आप जानते हैं कि मेरे मन में आपके लिए अगाध सम्मान है और आपके ज्ञान के लिए मैं आपकी ओर देखता हूं। जिस तरह से बेहद मुश्किल परिस्थितियों में आप देश का नेतृत्व कर रहे हैं उसके लिए गहरी श्रदा है। मुझे उम्मीद है कि आप इस विवादित मुद्दें के बारे में मेरे ढृढ विश्वास को आप समझेंगे। यही नहीं उन्होंने मनमोहन को यह विश्वास दिलाने की भी कोशिश की कि वे उनका बहुत सम्मान करते हैं।
लौटने पर करूंगा चर्चा: पीएम -
इसके बाद पीएम ने वाशिंगटन में कहा केबिनेट द्वारा पारित अध्यादेश चर्चा का विषय रहा है। राहुल ने इस मुद्दे पर मुझे लिखा है और इस पर बयान भी दिया है। सरकार की इस पूरे घटनाक्रम पर नजर है। जो भी मुद्दे उठाए गए हैं उन पर मेरे स्वेदश लौटने पर केबिनेट में चर्चा के बाद विचार किया जाएगा।
इधर राहुल सरकार पर बरस रहे थे उधर पीएम नींद ले रहे थे -
कड़ी भाषा का प्रयोग करते हुए राहुल ने दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों के समक्ष नाटकीय उपस्थिति में कहा कि इस अध्यादेश को फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए। राहुल जब प्रेस को संबोधित कर रहे थे तब मनमोहन राष्ट्रपति बराक ओबामा से वार्ता से पहले वाशिंगटन स्थित अपने होटल में नींद के आगोश में थे। पीएम के सहयोगियों से प्रतिक्रिया के लिए पत्रकारों ने उन्हें जगाया। इसके कुछ घंटे बाद पीएम ने प्रतिक्रिया दी।
सरकार ने गलत किया -
राहुल के इस अध्यादेश के खिलाफ खुलकर खिलाफ बोलने पर लगता है कि सरकार इस अध्यादेश को वापिस ले लेगी। राहुल ने कहा, हमारी सरकार ने इस अध्यादेश को लेकर जो भी किया वह गलत है। हालांकि एक मौके पर राहुल ने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है।
राष्ट्रपति भी नाखुश -
पीएम की अध्यक्षता में केबिनेट द्वारा हाल ही स्वीकृत किए गए इस विवादास्पद अध्यादेश में यह प्रावधान है कि दोषी पाए जाने पर सांसदों व विधायकों की सदस्यता तुरंत समाप्त नहीं होगी। राष्ट्रपति खुद भी इस अध्यादेश से खुश नहीं बताए जाते हैं।
कांग्रेस भी हुई सहमत -
राहुल के बयान के बाद कांग्रेस भी तुरंत उनके बयान से सहमत दिखी। हालांकि इस अध्यादेश को लाने का निर्णय काफी दिन पहले ही पार्टी में उच्च स्तर पर लिया गया था।
पीएम को इस्तीफे के आए सुझाव -
राहुल की टिप्पणी को पीएम के खिलाफ देखा गया तथा कुछ सुझाव आए जिनमें कहा गया कि मनमोहन को इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा ने कहा, अगर मनमोहन में आत्मसम्मान है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने राहुल के बयान को विरोध के तौर पर देखते हुए कहा कि पीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए।
भाजपा नेता अरूण जेटली ने इसे देरी से समझ में आई बकवास बताया। टीएमसी के सौगत राय ने कहा राहुल का हमला सुनियोजित है। उन्होंने इसे कांग्रेस में भ्रम बताया। माकपा की बिंद्रा करात ने आश्चर्य प्रकट किया कि राहुल को इतनी देरी से क्यों समझ आया जबकि यह अध्यादेश अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास है।
राहुल के शुक्रवार को इस अध्यादेश को बकवास करार देकर फाड़ने पर राजनीतिक भूचाल आ गया है। यूपीए सरकार सीधे इसमें घिर गई है। विपक्ष को बैठे बिठाए सरकार पर हल्ला बोलने का बड़ा मुद्दा मिल गया है।
इसलिए आहत हुए मन
अमरीका दौरे पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात से ठीक पहले राहुल ने बड़ा झटका दिया। अध्यादेश पर राहुल के बयान के बाद पीएम को निश्चित तौर पर लगा होगा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी किरकरी होगी। उनके फैसले पर सवाल उठने से देश की जनता को उन्हें जवाब देना होगा। वैसे ही विपक्ष और लोगों के निशाने पर मनमोहन लगातार रहे हैं। 2जी स्पैक्ट्रम, कोयला घोटाला समेत कई बड़े मामलों में उनका नाम आने से वैसे ही पीएम फंसे हुए हैं। ऊपर से पीएम पद की मजबूरी जताने और पैसा पेड़ पर उगने जैसे बयानों के बाद उनकी आलोचना भी हुई। हाल में उन्होंने राहुल के नेतृत्व में काम करने का बयान दिया तो ये भी साफ हो गया कि वे प्रधानमंत्री पद पर कार्य करते-करते मजबूर हो लाचार हो गए हैं।
राहुल ने पीएम को यह लिखा पत्र में
राहुल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मुझे लगता है कि इस अध्यादेश को लेकर मेरी जो राय है वो कांग्रेस कोर कमेटी और कैबिनेट के विचारों से अलग हैं। मुझे पता है कि इसका हमारे राजनीतिक विरोधी फायदा उठाएंगे। आप जानते हैं कि मेरे मन में आपके लिए अगाध सम्मान है और आपके ज्ञान के लिए मैं आपकी ओर देखता हूं। जिस तरह से बेहद मुश्किल परिस्थितियों में आप देश का नेतृत्व कर रहे हैं उसके लिए गहरी श्रदा है। मुझे उम्मीद है कि आप इस विवादित मुद्दें के बारे में मेरे ढृढ विश्वास को आप समझेंगे। यही नहीं उन्होंने मनमोहन को यह विश्वास दिलाने की भी कोशिश की कि वे उनका बहुत सम्मान करते हैं।
लौटने पर करूंगा चर्चा: पीएम -
इसके बाद पीएम ने वाशिंगटन में कहा केबिनेट द्वारा पारित अध्यादेश चर्चा का विषय रहा है। राहुल ने इस मुद्दे पर मुझे लिखा है और इस पर बयान भी दिया है। सरकार की इस पूरे घटनाक्रम पर नजर है। जो भी मुद्दे उठाए गए हैं उन पर मेरे स्वेदश लौटने पर केबिनेट में चर्चा के बाद विचार किया जाएगा।
इधर राहुल सरकार पर बरस रहे थे उधर पीएम नींद ले रहे थे -
कड़ी भाषा का प्रयोग करते हुए राहुल ने दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों के समक्ष नाटकीय उपस्थिति में कहा कि इस अध्यादेश को फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए। राहुल जब प्रेस को संबोधित कर रहे थे तब मनमोहन राष्ट्रपति बराक ओबामा से वार्ता से पहले वाशिंगटन स्थित अपने होटल में नींद के आगोश में थे। पीएम के सहयोगियों से प्रतिक्रिया के लिए पत्रकारों ने उन्हें जगाया। इसके कुछ घंटे बाद पीएम ने प्रतिक्रिया दी।
सरकार ने गलत किया -
राहुल के इस अध्यादेश के खिलाफ खुलकर खिलाफ बोलने पर लगता है कि सरकार इस अध्यादेश को वापिस ले लेगी। राहुल ने कहा, हमारी सरकार ने इस अध्यादेश को लेकर जो भी किया वह गलत है। हालांकि एक मौके पर राहुल ने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है।
राष्ट्रपति भी नाखुश -
पीएम की अध्यक्षता में केबिनेट द्वारा हाल ही स्वीकृत किए गए इस विवादास्पद अध्यादेश में यह प्रावधान है कि दोषी पाए जाने पर सांसदों व विधायकों की सदस्यता तुरंत समाप्त नहीं होगी। राष्ट्रपति खुद भी इस अध्यादेश से खुश नहीं बताए जाते हैं।
कांग्रेस भी हुई सहमत -
राहुल के बयान के बाद कांग्रेस भी तुरंत उनके बयान से सहमत दिखी। हालांकि इस अध्यादेश को लाने का निर्णय काफी दिन पहले ही पार्टी में उच्च स्तर पर लिया गया था।
पीएम को इस्तीफे के आए सुझाव -
राहुल की टिप्पणी को पीएम के खिलाफ देखा गया तथा कुछ सुझाव आए जिनमें कहा गया कि मनमोहन को इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा ने कहा, अगर मनमोहन में आत्मसम्मान है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने राहुल के बयान को विरोध के तौर पर देखते हुए कहा कि पीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए।
भाजपा नेता अरूण जेटली ने इसे देरी से समझ में आई बकवास बताया। टीएमसी के सौगत राय ने कहा राहुल का हमला सुनियोजित है। उन्होंने इसे कांग्रेस में भ्रम बताया। माकपा की बिंद्रा करात ने आश्चर्य प्रकट किया कि राहुल को इतनी देरी से क्यों समझ आया जबकि यह अध्यादेश अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास है।
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