सोमवार, 23 सितंबर 2013

युग के प्रवाह में संस्कृति और संस्कार बहते जा रहे हैं' रोलसाहबसर

युग के प्रवाह में संस्कृति और संस्कार बहते जा रहे हैं' 

राजपूत छात्रावास में सद्भावना आयोजित सम्मेलन में संघ प्रमुख रोलसाहबसर ने कहा


 जैसलमेर


युग के प्रवाह में संस्कृति और संस्कार बहते जा रहे हैं। जो समाज इतिहास व संस्कृति को भुला देते है वो मिट जाते हैं। राजपूत जाति का गौरवशाली इतिहास उसके उज्जवल चरित्र से बचा है। आज भी रजपूती को बचाना है तो अपने चरित्र को उज्जवल बनाए रखें। संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर ने श्रीजवाहिर राजपूत छात्रावास में आयोजित सद्भावना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम हमारे भीतर के रावण को मारे। संघ के माध्यम से बच्चों के चरित्र निर्माण में सहयोगी बने। मध्यकाल में शौर्य व वीरता का तथा सिर कटने पर लडऩे का इतिहास बनाया। तो दूसरी और हमारी चरित्र की गिरावट भी सामने आई है। अकबर के साथ मानसिंह का मिलना हमारे चारित्रिक मूल्यों का उदाहरण है। महाराणा प्रताप संघर्ष करने भी महान बने।

रोलसाहबसर ने क्षत्रिय युवक संघ के साधना पथ का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यष्टि समष्टि से परमेष्टि की ओर बढऩे की सीढ़ी है। इसलिए समाज सेवा भगवान की पूजा है। तनसिंह ने इसी रुप में कार्य कर संघ के रुप में कौम को एक मार्गदर्शन दिया है। आज आवश्यकता है हम उसका अनुसरण करें।

पूर्व विधायक डॉ. जितेन्द्रसिंह, पूर्व प्रमुख रेणुका भाटी, चन्द्रवीरसिंह भालू, अभयसिंह, उम्मेदसिंह, इन्द्रसिंह, प्रेमसिंह, रतनसिंह, अनोपसिंह, लालूसिंह आदि ने अपने विचार प्रकट किए। सम्मेलन में विक्रमसिंह नाचना, हमीरसिंह पूनमनगर, पूनमसिंह नगो की ढाणी, मगसिंह रामगढ़, सुल्तानसिंह, शैतानसिंह, सवाईसिंह, किशनसिंह सहित अन्य उपस्थित थे। सम्मेलन का प्रारंभ यज्ञ, गणेश वंदना व प्रार्थना के साथ किया गया। सद्भावना प्रकोष्ठ प्रभारी सवाईसिंह देवड़ा ने सम्मेलन की भूमिका प्रस्तुत की। आयोजन व सहभोज की व्यवस्था बादलनाथ सोसायटी के अध्यक्ष कमलसिंह पोछिना व कुडा सरपंच गोरधन ने की।

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