सोमवार, 9 सितंबर 2013

30 की मौत के बाद जागी अखिलेश सरकार,नेताओं,अफसरों पर कार्रवाई

मुज्जफरनगर/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर में साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान 30 लोगों की मौत के बाद अखिलेश सरकार जागी है। उसने सोमवार को मेरठ व सहारनपुर मण्डल में तैनात दो बड़े पुलिस अधिकारियों को हटाते हुए उनके स्थान पर नए अधिकारियों की तैनाती की।
30 की मौत के बाद जागी अखिलेश सरकार,नेताओं,अफसरों पर कार्रवाई

90 गिरफ्तार,1000 को बनाया आरोपी


वहीं कवल गांव में महापंचायत करने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में चार भाजपा विधायकों,एक कांग्रेसी नेता समेत 40 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने हिंसा फैलाने के मामले में अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया है। करीब एक हजार लोगों को आरोपी बनाया है। पुलिस का कहना है कि उसने हिंसा प्रभावित गांवों से तलवारें,चाकू,पिस्तौलें और रिवॉल्वर बरामद की है।


अजीत सिंह और उनका बेटा पुलिस हिरासत में
30 की मौत के बाद जागी अखिलेश सरकार,नेताओं,अफसरों पर कार्रवाई

सरकार ने हिंसा प्रभावित इलाकों में नेताओं के घुसने पर पाबंदी लगा दी है। पुलिस ने मुज्जफरनगर में घुसने की कोशिश कर रहे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह,उनके बेटे जयंत चौधरी समेत 52 लोगों को गाजियाबाद में रोककर हिरासत में ले लिया। कांग्रेस विधायक दल के नेता के नेतृत्व में मुज्जफरनगर जा रहे चार सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल को शहर में नहीं घुसने दिया गया। भाजपा नेता रविशंकार प्रसाद के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमण्डल को भी मुज्जफरनगर में घुसने से पहले ही रोक लिया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राजनीतिक दलों को संयम बरतना चाहिए। जो लोग शांति भंग कर रहे हैं उनके प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।


4 भाजपा विधायकों के खिलाफ केस दर्ज


पुलिस प्रशासन ने चार भाजपा विधायकों सहित 40 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें भाजपा विधायक संगीत सोम, हुकुम सिंह, भारतेन्दु सिंह, सुरेश राणा, कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक, किसान नेता नरेश टिकैट और राकेश टिकैत शामिल है। इन लोगों पर कवल गांव में पंचायत बुलाने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।


हुकुम सिंह भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं। वह कैराना से सात बार विधायक रह चुके हैं। सिंह मुज्जफरनगर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। पुलिस का कहना है कि इन लोगों के खिलाफ बतौर सबूत उसके पास महापंचायत की वीडियो फुटेज है। वहीं हुकुम सिंह ने महापंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण देने से इनकार किया है। सिंह ने कहा कि चाहे तो मुझे गिरफ्तार कर लो। मेरे कारण साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न नहीं हुआ था। मैंने तो लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। मेरा भाषण रिकॉर्ड है। अगर भाषण में एक भी भड़काऊ शब्द मिले तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।


पुलिस अफसरों के तबादले


गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि मेरठ जोन के पुलिसमहानिरीक्षक बृजभूषण को हटाते हुए उन्हें इसी पद पर पश्चिमी जोन पीएसी मुरादाबाद में तैनात किया है। अपर पुलिस महानिदेशक भवेश कुमार (तकनीकी सेवा)को मेरठ जोन का अपर पुलिस महानिदेशक बनाया गया है। सहारनपुर परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक डी.सी.मिश्रा को हटाते हुए पुलिस महानिदेशक कार्यालय लखनऊ से सम्बद्ध किया गया है । मिश्रा के स्थान पर उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड में तैनात पुलिस उपमहानिरीक्षक अशोक मुथा जैन को सहारनपुर भेजा गया है।



राज्यपाल ने सरकार को लपेटा

इस बीच राज्यपाल बीएल जोशी ने दंगे को लेकर अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर समय रहते कार्रवाई होती है हालात बेकाबू नहीं होते। साम्प्रदायिक हिंसा की आशंका व्यक्त करने वाली तमाम रिपोर्टो के बावजूद सरकार की ओर से एहतियाती कदम नहीं उठाए गए। सरकार साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में नाकाम रही। राज्यपाल ने केन्द्र से अपने अधिकारियों का प्रयोग कर ज्यादा से ज्यादा संख्या में अर्धसैनिक बलों को भेजने की मांग की है।

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