माटी खातिर मिट गया थार के लाल ...गडरा में शहीद मेला शहीदों को दी श्रद्धांजलि
बाड़मेर देश के खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले 17 रेलवे कर्मचारियों की याद में सोम वार को गडरारोड स्थित शहीद स्मारक पर हर साल शहीद मेले का आयोजन हुआ । भले ही वे शहीद आज इस दुनिया में न हो लेकिन पूरा देश ने उनके बलिदान को नमन किया गया । हर वर्ष गडरारोड स्थित शहीद स्मारक पर नौ सितंबर को शहीद मेले का आयोजन किया गया । रेलवे की ओर से आयोजित इस मेले में सैकड़ों देशवासी शरीक हुए और शहीद स्मारक पर माल्यार्पण और पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी
शादी के सत्रह दिन बाद हुए शहीद
हालांकि किसी भी शहीद की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता लेकिन जिले के एक नौजवान ऐसे भी थे जिन्होंने शादी के केवल 17 दिन बाद मातृभूमि के लिए कुर्बानी दे दी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हुए माधोसिंह गहलोत का जन्म 1 जून 1947 को गुंदीवाला घर हमीरपुरा बाड़मेर में हुआ था। उनकी माता जमना देवी गृहिणी और पिता रेलवे में स्पे. ए ग्रेड ड्राइवर थे। 31 अगस्त 1962 को उनकी नियुक्ति उत्तर रेलवे में द्वितीय एफएम पद पर हुई। गहलोत का विवाह मात्र सत्रह दिन पहले ही हुआ था। छुट्टी पर होने के बावजूद जब कॉल मैन घर पर ड्यूटी का संदेश लेकर आया तो उन्होंने बिना पल गंवाए ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। पाकिस्तान की लगातार बम बारी के बीच माधोसिंह अपने सहकर्मियों के साथ रेल लेकर बाड़मेर से गडरारोड के लिए रवाना हुए। वे गडरारोड में जवानों के लिए रसद सामग्री ले जा रहे थे। पाक की बमबारी के चलते रास्ते की लाइनें तथा टेलीफोन खराब थे। गडरारोड से तीन किलोमीटर पहले दोनों माल गाडिय़ां आपस में टकरा गईं। जिसमें सत्रह रेलवे कर्मचारियों के साथ माधोसिंह भी शहीद हो गए।
रेलवे कर्मचारी ने श्रद्धांजलि अर्पित:की... नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉयज यूनियन शाखा बाड़मेर की ओर से गडरारोड में शुक्रवार शहीद मेले का आयोजन किया गया । शाखा अध्यक्ष मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि शहीद मेला उन 17 बहादुर रेल कर्मचारियों की याद में लगता है जिन्होंने सितंबर 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अपना कत्र्तव्य निभाते हुए मातृभूमि की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। हर साल रेल कर्मचारी एकत्रित होकर अपने बहादुर साथियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
पाक की बमबारी के चलते रास्ते की लाइनें तथा टेलीफोन खराब थे। गडरारोड से तीन किलोमीटर पहले दोनों माल गाडिय़ां आपस में टकरा गईं। जिसमें सत्रह रेलवे कर्मचारियों के साथ माधोसिंह भी शहीद हो गए।
रेलवे कर्मचारी श्रद्धांजलि: अर्पित की
नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉयज यूनियन शाखा बाड़मेर की ओर से गडरारोड में सोम वार सुबह 9.30 बजे से शहीद मेले का आयोजन किया जाएगा। शहीद मेला उन 17 बहादुर रेल कर्मचारियों की याद में लगता है जिन्होंने सितंबर 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अपना कत्र्तव्य निभाते हुए मातृभूमि की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। हर साल रेल कर्मचारी एकत्रित होकर अपने बहादुर साथियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की ।
बाड़मेर देश के खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले 17 रेलवे कर्मचारियों की याद में सोम वार को गडरारोड स्थित शहीद स्मारक पर हर साल शहीद मेले का आयोजन हुआ । भले ही वे शहीद आज इस दुनिया में न हो लेकिन पूरा देश ने उनके बलिदान को नमन किया गया । हर वर्ष गडरारोड स्थित शहीद स्मारक पर नौ सितंबर को शहीद मेले का आयोजन किया गया । रेलवे की ओर से आयोजित इस मेले में सैकड़ों देशवासी शरीक हुए और शहीद स्मारक पर माल्यार्पण और पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी
शादी के सत्रह दिन बाद हुए शहीद
हालांकि किसी भी शहीद की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता लेकिन जिले के एक नौजवान ऐसे भी थे जिन्होंने शादी के केवल 17 दिन बाद मातृभूमि के लिए कुर्बानी दे दी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हुए माधोसिंह गहलोत का जन्म 1 जून 1947 को गुंदीवाला घर हमीरपुरा बाड़मेर में हुआ था। उनकी माता जमना देवी गृहिणी और पिता रेलवे में स्पे. ए ग्रेड ड्राइवर थे। 31 अगस्त 1962 को उनकी नियुक्ति उत्तर रेलवे में द्वितीय एफएम पद पर हुई। गहलोत का विवाह मात्र सत्रह दिन पहले ही हुआ था। छुट्टी पर होने के बावजूद जब कॉल मैन घर पर ड्यूटी का संदेश लेकर आया तो उन्होंने बिना पल गंवाए ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। पाकिस्तान की लगातार बम बारी के बीच माधोसिंह अपने सहकर्मियों के साथ रेल लेकर बाड़मेर से गडरारोड के लिए रवाना हुए। वे गडरारोड में जवानों के लिए रसद सामग्री ले जा रहे थे। पाक की बमबारी के चलते रास्ते की लाइनें तथा टेलीफोन खराब थे। गडरारोड से तीन किलोमीटर पहले दोनों माल गाडिय़ां आपस में टकरा गईं। जिसमें सत्रह रेलवे कर्मचारियों के साथ माधोसिंह भी शहीद हो गए।
रेलवे कर्मचारी ने श्रद्धांजलि अर्पित:की... नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉयज यूनियन शाखा बाड़मेर की ओर से गडरारोड में शुक्रवार शहीद मेले का आयोजन किया गया । शाखा अध्यक्ष मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि शहीद मेला उन 17 बहादुर रेल कर्मचारियों की याद में लगता है जिन्होंने सितंबर 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अपना कत्र्तव्य निभाते हुए मातृभूमि की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। हर साल रेल कर्मचारी एकत्रित होकर अपने बहादुर साथियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
पाक की बमबारी के चलते रास्ते की लाइनें तथा टेलीफोन खराब थे। गडरारोड से तीन किलोमीटर पहले दोनों माल गाडिय़ां आपस में टकरा गईं। जिसमें सत्रह रेलवे कर्मचारियों के साथ माधोसिंह भी शहीद हो गए।
रेलवे कर्मचारी श्रद्धांजलि: अर्पित की
नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉयज यूनियन शाखा बाड़मेर की ओर से गडरारोड में सोम वार सुबह 9.30 बजे से शहीद मेले का आयोजन किया जाएगा। शहीद मेला उन 17 बहादुर रेल कर्मचारियों की याद में लगता है जिन्होंने सितंबर 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अपना कत्र्तव्य निभाते हुए मातृभूमि की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। हर साल रेल कर्मचारी एकत्रित होकर अपने बहादुर साथियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की ।
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