नई दिल्ली: राजनैतिक दलों को अब सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रखने को मंजूरी मिल गई है। RTI एक्ट में संशोधन के तहत इसे कैबिनेट ने गुरुवार को मंजूरी दी है।
सूचना आयोग ने एक फैसले में कहा था कि राजनीतिक दल सरकार से वित्तीय मदद प्राप्त करते हैं और इसलिए वे जनता के प्रति जबावदेह हैं। आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल और अनिल बैरवाल ने सूचना आयोग के समक्ष अलग-अलग शिकायतें दर्ज करा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की मांग की थी।
सूचना आयोग के इस फैसले पर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। क्योंकि ज्यादातर सियासी दलों को खर्च और चंदे का ब्यौरा सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध करवाने के आदेश पर आपत्ति है।
सूचना आयोग ने एक फैसले में कहा था कि राजनीतिक दल सरकार से वित्तीय मदद प्राप्त करते हैं और इसलिए वे जनता के प्रति जबावदेह हैं। आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल और अनिल बैरवाल ने सूचना आयोग के समक्ष अलग-अलग शिकायतें दर्ज करा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की मांग की थी।
सूचना आयोग के इस फैसले पर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। क्योंकि ज्यादातर सियासी दलों को खर्च और चंदे का ब्यौरा सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध करवाने के आदेश पर आपत्ति है।
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