जैसलमेर। ईमानदार अफसर नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहाते। जब अफसर नेताओं या उनके गुर्गो के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो उन्हें ट्रांसफर या निलंबन के जरिए प्रताडित करने की कोशिश की जाती है। आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को जहां रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की सजा मिली वहीं राजस्थान के जैसलमेर जिले के एसपी को कांग्रेस के एक दबंग विधायक से पंगा लेना भारी पड़ गया।
हिस्ट्री शीट खोलने पर किया तबादला
पोखरण से कांग्रेसी विधायक साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलने पर जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी का तबादला कर दिया गया। चौधरी ने टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े दलालों और स्थानीय शराब माफिया के खिलाफ अभियान चलाया था। संगठित अपराधों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चौधरी की साले मोहम्मद से कहासुनी भी हुई थी। स्थानीय लोग चौधरी के निलंबन का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने ट्रांसफर के विरोध में जैसलमेर बंद बुलाया है। लोगों का कहना है कि चौधरी ने जिले में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाई थी।
अवैध रूप से बंद कर दिया था मामला
आरोप है कि साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने वाली तस्करी और असामाजिक गतिविधियों में कथित रूप से लिप्त है। 31 जुलाई 1965 को पहली बार गाजी फकीर की हिस्ट्री शीट खोली गई थी। 1984 में पुलिस की फाइल गायब हो गई थी। इसके बाद 1990 में फिर हिस्ट्रीशीट खोली गई लेकिन मई 2011 में एएसपी रैंक के एक अधिकारी ने अवैध रूप से केस बंद कर दिया। चौधरी ने गाजी फकीर की हिस्ट्री शीट खोलने की बात की पुष्टि की है। बकौल चौधरी जिले में समाज कंटकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को लेकर विधायक को कुछ दिक्कत थी।
हाल ही में हुआ था बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान सरकार ने हाल ही में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए आईएएस और आईपीएस के तबादले किए थे। चौधरी का तबादला कर उन्हें अजमेर के किशनगढ़ में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में पदस्थापित किया गया। चौधरी जैसलमेर में सिर्फ पांच महीने से एसपी रह पाए। कहा जा रहा है कि पोखरण के विधायक साले मोहम्मद के दबाव के कारण चौधरी को फील्ड पोस्टिंग से हटा दिया गया। विधायक के भाई अब्दुल्ला फकीर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अब्दुल्ला फकीर जैसलमेर के जिला प्रमुख निर्वाचित हुए थे।
गाजी फकीर के बेटे ने आरोप खारिज किए
अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे पिता 80 साल के हैं। वह ठीक से सुन और देख भी नहीं सकते। उनके खिलाफ कोर्ई चार्जशीट नहीं है। पिछले तीन दशकों में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा है। हाल ही में हेस्ट्री शीट को दोबारा खोल दिया गया। इससे पता चलता है कि चुनावी साल में उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही है। हम अधिकारी का तबादला करवाने के लिए दबाव बनाने की बजाय पुलिस की कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
हिस्ट्री शीट खोलने पर किया तबादला
पोखरण से कांग्रेसी विधायक साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलने पर जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी का तबादला कर दिया गया। चौधरी ने टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े दलालों और स्थानीय शराब माफिया के खिलाफ अभियान चलाया था। संगठित अपराधों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चौधरी की साले मोहम्मद से कहासुनी भी हुई थी। स्थानीय लोग चौधरी के निलंबन का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने ट्रांसफर के विरोध में जैसलमेर बंद बुलाया है। लोगों का कहना है कि चौधरी ने जिले में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाई थी।
अवैध रूप से बंद कर दिया था मामला
आरोप है कि साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने वाली तस्करी और असामाजिक गतिविधियों में कथित रूप से लिप्त है। 31 जुलाई 1965 को पहली बार गाजी फकीर की हिस्ट्री शीट खोली गई थी। 1984 में पुलिस की फाइल गायब हो गई थी। इसके बाद 1990 में फिर हिस्ट्रीशीट खोली गई लेकिन मई 2011 में एएसपी रैंक के एक अधिकारी ने अवैध रूप से केस बंद कर दिया। चौधरी ने गाजी फकीर की हिस्ट्री शीट खोलने की बात की पुष्टि की है। बकौल चौधरी जिले में समाज कंटकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को लेकर विधायक को कुछ दिक्कत थी।
हाल ही में हुआ था बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान सरकार ने हाल ही में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए आईएएस और आईपीएस के तबादले किए थे। चौधरी का तबादला कर उन्हें अजमेर के किशनगढ़ में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में पदस्थापित किया गया। चौधरी जैसलमेर में सिर्फ पांच महीने से एसपी रह पाए। कहा जा रहा है कि पोखरण के विधायक साले मोहम्मद के दबाव के कारण चौधरी को फील्ड पोस्टिंग से हटा दिया गया। विधायक के भाई अब्दुल्ला फकीर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अब्दुल्ला फकीर जैसलमेर के जिला प्रमुख निर्वाचित हुए थे।
गाजी फकीर के बेटे ने आरोप खारिज किए
अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे पिता 80 साल के हैं। वह ठीक से सुन और देख भी नहीं सकते। उनके खिलाफ कोर्ई चार्जशीट नहीं है। पिछले तीन दशकों में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा है। हाल ही में हेस्ट्री शीट को दोबारा खोल दिया गया। इससे पता चलता है कि चुनावी साल में उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही है। हम अधिकारी का तबादला करवाने के लिए दबाव बनाने की बजाय पुलिस की कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
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