मंगलवार, 20 अगस्त 2013

मिसाल बनी ज़िंदगी: देह व्यापार से मंदिर निर्माण का सफर



रतलाम: देह व्यापार के दलदल से निकलना आसान नहीं होता, मगर मध्य प्रदेश के रतलाम में लीलाबाई ने इसकी अद्भुत मिसाल पेश की है. लीलाबाई ने न केवल अपने समाज में व्याप्त कुरीति से तौबा कर ली है, बल्कि एक मंदिर भी बनवाया है. अब वह अपने समाज की अन्य महिलाओं को भी सुधरने का संदेश दे रही है.
फाइल फोटो
चिकनाका की रहने वाली लीलाबाई चौहान का नाता बांछड़ा जाति से है. इस जाति की महिलाएं देह व्यापार कर अपना और परिवार का भरण पोषण करती हैं. लीलाबाई भी कुछ समय पहले तक यही किया करती थी, मगर उसे यह रास नहीं आ रहा था. अंतरद्वंद्व से जूझती लीलाबाई के भीतर भक्ति की ऐसी लगन लगी कि उसने अपने गांव में ही हनुमान एवं शिव मंदिर बनवाया.

समाज के पारंपरिक व्यापार से किनारा करने के साथ लीलाबाई ने सीतामऊ के एरा गांव के भेरु सिंह चौहान से विवाह रचाया और फिर उसकी जिंदगी ही बदल गई. लीलाबाई ने मंदिर के पास ही मकान बनाया और जमीन खरीदकर पति के साथ खेती करने लगी.

लीलाबाई के पास 10 बीघा जमीन है. इस जमीन में से उसने पांच बीघा जमीन मंदिर की गतिविधियों के संचालन के लिए दान दे दी है. लीलाबाई चाहती हैं कि महिलाएं इस दलदल से निकलें और समाज की मुख्यधारा से जुडें.

लीलाबाई ने कहा, "मैंने महिलाओं को शब्दों से नहीं अपने जीवन के जरिए संदेश देने की कोशिश की है. समाज में प्रचीनकाल से ही चली आ रही प्रथा के चलते देह व्यापार को अपनाना पड़ा. लेकिन जब समझ आई तो उसे छोड़ने में एक पल भी नहीं लगाया. मंदिर बनवाया, विवाह किया और आज आम महिला की तरह जीवन जी रही हूं. आगे भी प्रयास रहेगा कि समाज के लिए जो कुछ कर सकूं वह करूं."

देह व्यापार के दलदल से बाहर निकल चुकीं लीलाबाई अपने जीवन को ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहती हैं और जीवनयापन के लिए उनका मजदूरी करने का विचार है. लीलाबाई समाज की उन महिलाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं.

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