गुरुवार, 29 अगस्त 2013

एक अनूठा अस्पताल : जहां 'गोपाल' और 'राधा' का इलाज हो रहा है

एक अनूठा अस्पताल : जहां 'गोपाल' और 'राधा' का इलाज हो रहा है 

सुनियोजित प्लान से पूर्ण होगा अस्पताल अस्पताल को समृद्धि से मिली समृद्धि 

कुछ तो सरकार भी करे गायों के बीच जन्माष्टमी 

बाड़मेर रावलियों की ढाणी में मिला इसलिए नाम पड़ा रावलसिंह। मुलायम और मखमली सी चमड़ी वाला रेशमसिंह। विशाल काया वाला दारासिंह और बलशाली शरीर वाला जय श्रीराम। शांत स्वभाव वाला गोपाल और मतवाली सी राधा। नैनों का भाने वाला सुखराम और इसका जैसा ही दूसरा सुखराम द्वितीय। अन्नपूर्णा, मनोरमा और समृद्धि। ये सब नाम उन गौवंश के हैं जख्मी और घायल अवस्था में सड़कों पर निरीह अवस्था में पड़े मिले, लेकिन अब श्री गोपाल गोवर्धन गोशाला, पथमेडा की स्थानीय शाखा की ओर से चलाए जा रहे अस्पताल में उपचाराधीन हैं। उपचार के बाद कई स्वस्थ हो चुके हैं और कुछ जल्द ही ठीक होने की ओर अग्रसर है। 

यह अस्पताल कीर्तिनगर लालोणियो की ढाणी में स्थित है। भवन फिलहाल निर्माणाधीन हैं, लेकिन बेसहारा गौवंश के खातिर एक विशाल वार्ड का निर्माण कर प्राथमिक काम शुरू कर दिया गया है। 26 अक्टूबर 2012 को शिलान्यास के बाद लगभग 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है और अगले छह महीनों में पूरा काम होने के बाद यह चिकित्सालय पथमेड़ा के बाद गौवंश के लिए दूसरा बड़ा अस्पताल होगा।

बुधवार को कुछ गौभक्तों ने गौवंश के साथ जन्माष्टमी मनाई। घायल गौवंशों को दुलारा, पुचकारा और उन्हें लापसी व अन्य आहार खिलाया। श्री गोपाल गोवर्धन गोशाला, पथमेडा के स्थानीय प्रमुख आलोक सिंहल गौवंशों के बीच बेहद उत्साहित थे। अस्पताल में भ्रमण करते हुए सिंहल  बताते हैं कि यह विशाल शरीर वाला नंदी दारासिंह है। इसकी काया देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि कम उम्र में कितना वजनी होगा। यह पचपदरा में नमक की खान में दब गया जिससे पूरा शरीर जख्मी हो गया। ऐसा ही हाल सुखराम का हुआ। इनका रोज मलहम लगाकर इलाज किया जा रहा है। रेशमसिंह को कसी वाहन ने टक्कर मार दी जिससे घायल हो गया। रावलसिंह का भी इसी कारण पैर टूट गया। आशापूर्णा भी जख्मी हो गई, लेकिन इलाज के बाद अब स्वस्थ है। सिंहल बताते हैं कि पिछले 14 महीनों में ही 550 बेसहारा गौवंशों को यहां लाया गया जिनमें कुछ को पथमेड़ा भेजा गया और कुछ का यहां इलाज किया गया। सिंहल कहते हैं यह तो कान्हा का अस्पताल है। उनकी प्रिय गाय को कैसे कष्ट हो सकता है। संस्था से जुड़े रणवीर भादु व करनाराम ने बताया कि नियोजित तरीके से अस्पताल की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। पूरे जिले के लिए यह ऐसी पहल है जिससे आत्मिक शांति मिलती है। 


श्री गोपाल गोवर्धन गोशाला, पथमेडा की स्थानीय शाखा की ओर से तैयार हो रहा है गौवंश अस्पताल
करीब डेढ़ बीघा जमीन पर पांच भागों में अलग-अलग कैंपस बनाए जा रहे हैं। एक में गौमंदिर व नंदी प्रतिमा के साथ सत्संग भवन होगा। दूसरे भाग में वार्ड होगा जहां उपचार होगा। तीसरे भाग में ऑपरेशन थियेटर होगा जहां गंभीर गौवंश का इलाज होगा। यहां एक्सरे व सोनोग्राफी मशीन लगाना भी विचाराधीन है। चौथे भाग में पशु आहार रखने की जगह तैयार हो रही है और पांचवे भाग में गौवंश उत्पाद शॉप, भोजनालय, सफाई व्यवस्था व पेयजल व्यवस्था प्रस्तावित है। 

गौभक्तों के दम पर यह अस्पताल तैयार हो रहा है, लेकिन कुछ संसाधन के कारण थोड़ी दिक्कत हो रही है। गौभक्तों से प्राप्त चंदे से घायल गौवंश को लाने के लिए एक टेंपो खरीदा जा रहा है, लेकिन एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पा रही। गौभक्तों के अनुसार सांसद फंड से इसकी स्वीकृति हो चुकी है, लेकिन सरकारी फाइलों में ही उलझी है। जिला परिषद को इसके लिए जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा केयर्न एवं राजवेस्ट जैसी कंपनियों को भी इस बारे में पहल करनी चाहिए। 

गौ अस्पताल में बने एक मंदिर की ओर इशारा करते हुए सिंहल ने बताया कि यह गौ माता का मंदिर है। दुर्घटना में घायल एक गर्भवती गाय को अस्पताल लाया गया। उसका नाम मनोरमा रखा गया। प्रसव के तीन दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई और पांच दिन बाद बच्चे की भी। बच्चे का नाम समृद्धि रखा गया था। गौभक्तों ने सोचा समृद्धि को अस्पताल से बाहर कैसे ले जा सकते हैं इसलिए वहीं पर दफनाकर मंदिर बनाया गया। यहां रोज पूजा अर्चना होती है। वो ही समृद्धि अस्पताल को इतनी समृद्धि दे रहा है ताकि कोई गौवंश यहां आने के बाद दम नहीं तोड़े। 

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