गुरुवार, 29 अगस्त 2013

भूमि अधिग्रहण विधेयक आज होगा लोकसभा में पेश



नई दिल्ली: यूपीए सरकार लोकसभा में आज महत्वपूर्ण भूमि अधिग्रहण विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करेगी। फूड बिल के बाद सरकार की ओर से लाया जाने वाला यह दूसरे अहम बिल है।
भूमि अधिग्रहण विधेयक आज होगा लोकसभा में पेश
माना जा रहा है कि बहस के दौरान विपक्ष बिल में कई संशोधनों की मांग कर सकता है। हालांकि सरकार ने दावा किया है कि महत्वपूर्ण संशोधनों की संख्या दो दर्जन से अधिक नहीं है। विपक्ष को खुश करने के लिए सरकार ने उसके कुछ संशोधनों को माना तो है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह बिल वाकई भूस्वामियों की हितों को सुरक्षित करेगा।

इस विधेयक का उद्देश्य परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों को 'न्यायसंगत एवं उचित' मुआवजा दिलाना है। बहुचर्चित इस विधेयक में ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण होने पर प्रभावित परिवारों को भूमि के बाजार मूल्य का चार गुणा और शहरी क्षेत्रों में दो गुणा मूल्य देने का प्रस्ताव किया गया है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश भूमि अधिग्रहण विधेयक को लोकसभा में पेश करेंगे। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि प्रभावित लोगों को विकास में भागीदार बनाया जाए, ताकि उनकी जमीन के अधिग्रहण के बाद उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। रमेश ने कहा कि विधेयक का नाम 'भूमि अधिग्रहण, पुनरुद्धार एवं पुनर्वास में पारदर्शिता तथा उचित मुआवजे का अधिकार विधेयक, 2012' रखा गया है।

विधेयक भूमि अधिग्रहण मामलों में लोगों के साथ अब तक हो रहे अन्याय को दूर करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह विधेयक एक सदी से अधिक पुराने भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 की जगह लेगा, जिसमें आज की जरूरतों की दृष्टि से अनेक कमियां हैं।

इसमें 'अति आवश्यकता अनुच्छेद' की स्थिति संबंधी एक उपबंध भी था। इसे कभी ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सका कि वास्तव में 'अति आवश्यकता' क्या है, बल्कि इसे भूमि अधिग्रहीत करने वाले प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ दिया गया। इसके लिए इसकी काफी आलोचना होती रही।

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