गुरुवार, 8 अगस्त 2013

बारहठ के जन्म दिवस पर भक्ति संध्या आयोजित

बारहठ के जन्म दिवस पर भक्ति संध्या आयोजित 
बाड़मेरमहात्मा ईसरदास बारहठ के ५५५वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित भक्ति संध्या में काव्य प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ बाड़मेर चारण समाज के अध्यक्ष मुरारदान गूंगा एवं गुजरात से आये भक्त अचलदास बारहठ द्वारा ईसरदास के विग्रह के सामने दीप प्रज्जवलित कर की गई। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता दलपतसिंह चारण ने किया। जिसमें उम्मेददान मिसण द्वारा मां हिंगलाज की स्तुति, चंडीदान ने वियांण का पाठ एवं दिलीपसिंह ने शिव ताण्डव स्त्रोत प्रस्तुत कर काव्य संध्या को उंचाइयां प्रदान की गई। साथ ही देशनोक के प्रसिद्ध चिरजा गायक कालूराम ने मां हिंगलाज की स्तुति एवं गिरवरराम की चिरजा गाकर भक्ति संध्या में गेयता प्रदान की। ईसरदास रचित भजनों की प्रस्तुति हेतुदान एवं गुलाबदान ने दी। जिसमें ईश्वर की अन्नत सत्ता, ऐकेश्वरवाद की प्रधानता एवं आत्मा की अमरता का उदघोष किया। ईसरदास की विलक्षण व्यक्तित्व पर प्रारंभ में दलपतसिंह चारण ने जानकारी दी। कवि की रचनाओं का परिचय देते हुए उन्होंने उनकी प्रसिद्ध रचना देवियांण की व्याख्या, हरिरस का महात्म्य एवं हाला झाला री कुंडलियां में निहित वीर रस की व्याख्या की। गुजरात के जीतू भाई ने चारण काव्य परम्परा की विशिष्टताओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कई कवियों ने डींगल पाठ किया। इस अवसर पर रिड़मलदान भीयाड़, महादान, आवड़दान, शक्तिदान, पदमदान, नाथूदान, अमरदान, बाबूदान, मेघुदान, विक्रम, अम्बादान, कैलाशदान, मुरारदान, नरपतसिंह, उगमदान एवं भगवानदान आदि कवियों ने भी रचनाएं प्रस्तुत की।

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