संगीत ने बदला गोवंश का व्यवहार
जैसलमेर। संगीत का जादू इंसान तो क्या मूक पशुओ के आचरण भी बदल सकता है। जब संगीत के स्वर माहौल मे गूंजते है तो चारो ओर सुकून और शांति का आलम नजर आता है।
धार्मिक व संगीतमय माहौल मे कुछ ऎसा ही अहसास जैसलमेर से आठ किलोमीटर दूर मूलसागर गांव में तुलसी गोवर्द्धन निघि संस्थान की ओर से संचालित तुलसी गौशाला में देखने को मिल रहा है। यहां गो-वंश का व्यवहार इन दिनों बदला सा नजर आ रहा है। गौशाला प्रबंध समिति की ओर से किए गए इस नवाचार ने यहां के गो-वंश का व्यवहार बदला हुआ नजर आ रहा है।
ऎसे हुआ नवाचार
संस्थान की ओर से संचालित तुलसी गोशाला प्रबंधन समिति ने गो-वंश को शांत करने के लिए गो-शाला में म्युजिक सिस्टम लगाकर यह नवाचार किया। म्युजिक सिस्टम से निकल रही धार्मिक व भक्ति गीतो की धुन व गीतो के बोल हर किसी को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।
गो-पालकों में उत्साह
गो-सेवा व भक्ति से सराबोर भजनों की सरिता बहने से गो-वंश के साथ गोपालक भी उत्साहित है। गोपालक मेहताबसिंह व छगनलाल ने बताया कि गो-शाला में बने भक्तिमय माहौल के बीच उन्हें गो-सेवा करने में सुकून मिलता है।
धार्मिक व वैज्ञानिकता का अनूठा मिश्रण
गौशाला में म्युजिक सिस्टम लगाने का उद्देश्य धार्मिकता और वैज्ञानिकता का मिश्रण करना था। वैज्ञानिक धारणा है कि संगीत की धुन से इंसान के साथ जानवारों के व्यवहार में भी बदलाव होता है। इसी को ध्यान मे रखते हुए गो सेवा केन्द्र मे यह नवीन प्रयोग किया जा रहा है।
इन्होने कहा
किसी पशु के आस-पास जब धीमे संगीत की धुन बजती है, तो इसका असर उसके व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। अमरीका में एक वैज्ञानिक ने इस पर शोध किया था, जो सफल भी रहा।
- डॉ. पीके माथुर, उपनिदेशक बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय जैसलमेर
नवीन प्रयोग
गो-शाला में नवाचार की चाहत में म्युजिक सिस्टम लगाने का प्रयोग किया था। इस प्रयोग से गो-वंश के व्यवहार में अनूठा बदलाव देखने को मिला है। -मानव व्यास, अध्यक्ष तुलसी गौशाला, मूलसागर जैसलमेर
जैसलमेर। संगीत का जादू इंसान तो क्या मूक पशुओ के आचरण भी बदल सकता है। जब संगीत के स्वर माहौल मे गूंजते है तो चारो ओर सुकून और शांति का आलम नजर आता है।
धार्मिक व संगीतमय माहौल मे कुछ ऎसा ही अहसास जैसलमेर से आठ किलोमीटर दूर मूलसागर गांव में तुलसी गोवर्द्धन निघि संस्थान की ओर से संचालित तुलसी गौशाला में देखने को मिल रहा है। यहां गो-वंश का व्यवहार इन दिनों बदला सा नजर आ रहा है। गौशाला प्रबंध समिति की ओर से किए गए इस नवाचार ने यहां के गो-वंश का व्यवहार बदला हुआ नजर आ रहा है।
ऎसे हुआ नवाचार
संस्थान की ओर से संचालित तुलसी गोशाला प्रबंधन समिति ने गो-वंश को शांत करने के लिए गो-शाला में म्युजिक सिस्टम लगाकर यह नवाचार किया। म्युजिक सिस्टम से निकल रही धार्मिक व भक्ति गीतो की धुन व गीतो के बोल हर किसी को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।
गो-पालकों में उत्साह
गो-सेवा व भक्ति से सराबोर भजनों की सरिता बहने से गो-वंश के साथ गोपालक भी उत्साहित है। गोपालक मेहताबसिंह व छगनलाल ने बताया कि गो-शाला में बने भक्तिमय माहौल के बीच उन्हें गो-सेवा करने में सुकून मिलता है।
धार्मिक व वैज्ञानिकता का अनूठा मिश्रण
गौशाला में म्युजिक सिस्टम लगाने का उद्देश्य धार्मिकता और वैज्ञानिकता का मिश्रण करना था। वैज्ञानिक धारणा है कि संगीत की धुन से इंसान के साथ जानवारों के व्यवहार में भी बदलाव होता है। इसी को ध्यान मे रखते हुए गो सेवा केन्द्र मे यह नवीन प्रयोग किया जा रहा है।
इन्होने कहा
किसी पशु के आस-पास जब धीमे संगीत की धुन बजती है, तो इसका असर उसके व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। अमरीका में एक वैज्ञानिक ने इस पर शोध किया था, जो सफल भी रहा।
- डॉ. पीके माथुर, उपनिदेशक बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय जैसलमेर
नवीन प्रयोग
गो-शाला में नवाचार की चाहत में म्युजिक सिस्टम लगाने का प्रयोग किया था। इस प्रयोग से गो-वंश के व्यवहार में अनूठा बदलाव देखने को मिला है। -मानव व्यास, अध्यक्ष तुलसी गौशाला, मूलसागर जैसलमेर
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