सोमवार, 26 अगस्त 2013

मंत्री बनने के लिए जूते तक पॉलिश करने पड़ते हैं : साहू

रांची। क्या मंत्री पद तक पहुंचने के लिए जनाधार और सरकार में प्रभाव ही काफी है? अगर आपका जवाब हां है, तो आप गलत हैं। मंत्री पद पाने के लिए शीर्ष नेताओं की लॉबिंग के साथ जूते पालिस करने से लेकर चंडी का पाठ भी पढ़ना पड़ता है। यह स्वीकारोक्ति की है झारखण्ड के कृषि मंत्री योगेंद्र साहू ने। साहू यहां एक कार्यक्रम में कैमरे के सामने यह कहते हुए रिकार्ड कर लिए गए।मंत्री बनने के लिए जूते तक पॉलिश करने पड़ते हैं : साहू
साहू ने यह भी कह डाला कि उनका नाम प्रारंभिक मंत्री पद के उम्मीदवारों में नहीं था, उन्होंने पद पाने के लिए अहमद पटेल से लेकर सोनिया-राहुल से भी पैरवी कराई। साहू 15 दिन तक दिल्ली में रहे। उनका नाम मंत्रियों की सूची में नहीं था। उनके मुताबिक मंत्री बनने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता, वे विस्तार से नहीं बता सकते। राजनीति में जूते पालिस करने से लेकर चंडी पाठ जैसे कई काम करने होते हैं।

एक टीवी चैनल के अनुसार झारखण्ड कृषि मंत्री साहू ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि, मैं एक किसान का बेटा हूं इसलिए मुझे कृषि मंत्री बनाया गया। लेकिन मुझे और मंत्रालय चाहिए। मुझे इसके लिए याचना नहीं करनी है, मुझे पता है ये कैसे लूटना और छीनना है।

कांगे्रस ने अपने पांच मंत्रियों के नाम घोषित करने में 40 दिन लगा दिए। साहू के हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव के चलते उन्हें मंत्री पद दिया गया।

गौरतलब है कि झारखण्ड में कांगे्रस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की गठबंधन सरकार है। हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्रिमण्डल का विस्तार किया है, इसमें साहू कांग्रेस कोटे से मंत्री बने हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में भी साहू ने राज्यसभा चुनाव में अपने वोट के बदले रिश्वत लेने की इच्छा कैमरे के सामने जाहिर की थी।

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