कोच्चि। देश में निर्मित पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत की लांचिंग सोमवार को कोच्चि में हो गई है। आई.एन.एस. विक्रांत के आज जलावतरण के साथ भारत ने अपनी नौसेना की रणनीतिक एवं सामरिक क्षमता को और अधिक मारक, प्रभावशाली और प्रतिरोधी बनाने की दिशा में एक और ऎतिहासिक कदम बढाया है।रक्षामंत्री एके एंटनी की पत्नी एलिजाबेथ ने कोचीन शिपयार्ड में विक्रांत का उद्धघाटन किया।
रक्षामंत्री एके एंटनी ने इस मौके पर कहा कि देश की सीमाओँ की सुरक्षा के लिए मजबूत नौसेना हमारी आवश्यकता है। हम स्वदेशी तकनीक से हमारी क्षमताओं में विस्तार की प्रक्रिया को जारी रखेंगे। साथ ही उन्होंने इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया।
पोत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। करीब 40 हजार टन की क्षमता वाले इस विमानवाही पोत के निर्माण का 55 प्रतिशत कार्य इसी शिपयार्ड में पूरा हुआ। पोत को 2018 में नौसेना में शामिल किया जायेगा। इस पर रूसनिर्मित मिग 29 के और हल्के लडाकू विमान के नौसैनिक संस्करण, एलसीए, कोमोव 31 हेलीकाप्टर तैनात किए जा सकेंगे।
265 मीटर लम्बे और 60 मीटर चौडे इस पोत में आठ डीजल से चलने वाले जेनरेटर लगे हैं जो चार मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन कर उसकी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करेगा। भारत इस प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत जलावतरण के बाद विश्व के उन चुनींदा देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिन्हें विमानवाहक पोत के डिजायन, निर्माण और संरचनात्मक कार्यो में तकनीकी विशिष्टता हासिल है
रक्षामंत्री एके एंटनी ने इस मौके पर कहा कि देश की सीमाओँ की सुरक्षा के लिए मजबूत नौसेना हमारी आवश्यकता है। हम स्वदेशी तकनीक से हमारी क्षमताओं में विस्तार की प्रक्रिया को जारी रखेंगे। साथ ही उन्होंने इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया।
पोत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। करीब 40 हजार टन की क्षमता वाले इस विमानवाही पोत के निर्माण का 55 प्रतिशत कार्य इसी शिपयार्ड में पूरा हुआ। पोत को 2018 में नौसेना में शामिल किया जायेगा। इस पर रूसनिर्मित मिग 29 के और हल्के लडाकू विमान के नौसैनिक संस्करण, एलसीए, कोमोव 31 हेलीकाप्टर तैनात किए जा सकेंगे।
265 मीटर लम्बे और 60 मीटर चौडे इस पोत में आठ डीजल से चलने वाले जेनरेटर लगे हैं जो चार मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन कर उसकी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करेगा। भारत इस प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत जलावतरण के बाद विश्व के उन चुनींदा देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिन्हें विमानवाहक पोत के डिजायन, निर्माण और संरचनात्मक कार्यो में तकनीकी विशिष्टता हासिल है
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