चुनाव से पहले 'रेवड़ी' बांट रही गहलोत सरकार, 'वांटेड' को मिली 'लालबत्ती'
जाति का वोट दिखाइए और लालबत्ती ले जाइए...राजस्थान में नवंबर में चुनाव होने हैं. ऐसे में जाति के प्रभाव वाले नेताओं को आयोग और बोर्ड का गठन करके धड़ाधड़ राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा रहा है. हैरत की बात तो यह है कि लाभ पाने वालों में 'वांटेड' भी शामिल हैं.
सितंबर के अंत में आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में पौने दो महीने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर गहलोत सरकार ने 17 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को बोर्ड और निगम में अध्यक्ष और सचिव बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है. इनमें से एक बोर्ड के अध्यक्ष तो वांटेड हैं और पुलिस तलाश रही है.
गोपाल केशावत को सरकार ने राजस्थान घुमंतू जाति बोर्ड का चेयरमैन बनाया है. लेकिन इन जनाब को कोटपूतली थाने की जयपुर पुलिस कई साल से तलाश रही है. ये अवैध शराब के तस्करी के एक मामले में सह अभियुक्त हैं और पुलिस इन्हें खोज रही है. लेकिन गहलोत सरकार ने अब इन्हें लालबत्ती की गाड़ी देकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है और 15 लोगों का स्टाफ देकर नया दफ्तर भी बनाया है.
दूसरी ओर, गोपाल केशावत का कहना है कि हमारी जाति के लोगों को आज भी झूठे मुकदमे में फंसाया जाता है और तारीख छूट गई थी, इसीलिए वांटेड हो गए.
राजस्थान सरकार सरकार साढ़े चार साल तो बैठी रही और अब चुनाव का डर सता रहा है, तो जल्दीबाजी में धड़ा-धड़ राजनीतिक नियुक्तियां हो रही हैं.
हालांकि सूत्रों की मानें, तो पिछले महीने राहुल गांधी की कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग में सरकार में हिस्सेदारी की बात उठी थी. चुनाव में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ही आनन-फानन में आखिर समय में ये राजनीतिक नियुक्तियां हो रही हैं.
सितंबर के अंत में आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में पौने दो महीने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर गहलोत सरकार ने 17 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को बोर्ड और निगम में अध्यक्ष और सचिव बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है. इनमें से एक बोर्ड के अध्यक्ष तो वांटेड हैं और पुलिस तलाश रही है.
गोपाल केशावत को सरकार ने राजस्थान घुमंतू जाति बोर्ड का चेयरमैन बनाया है. लेकिन इन जनाब को कोटपूतली थाने की जयपुर पुलिस कई साल से तलाश रही है. ये अवैध शराब के तस्करी के एक मामले में सह अभियुक्त हैं और पुलिस इन्हें खोज रही है. लेकिन गहलोत सरकार ने अब इन्हें लालबत्ती की गाड़ी देकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है और 15 लोगों का स्टाफ देकर नया दफ्तर भी बनाया है.
दूसरी ओर, गोपाल केशावत का कहना है कि हमारी जाति के लोगों को आज भी झूठे मुकदमे में फंसाया जाता है और तारीख छूट गई थी, इसीलिए वांटेड हो गए.
राजस्थान सरकार सरकार साढ़े चार साल तो बैठी रही और अब चुनाव का डर सता रहा है, तो जल्दीबाजी में धड़ा-धड़ राजनीतिक नियुक्तियां हो रही हैं.
हालांकि सूत्रों की मानें, तो पिछले महीने राहुल गांधी की कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग में सरकार में हिस्सेदारी की बात उठी थी. चुनाव में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ही आनन-फानन में आखिर समय में ये राजनीतिक नियुक्तियां हो रही हैं.
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