रविवार, 11 अगस्त 2013

'फ्री' पर भाजपा खिलाफ,कांग्रेस पक्ष में

'फ्री' पर भाजपा खिलाफ,कांग्रेस पक्ष में 

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही राजनीतिक दलों को घोषणा पत्र में नि:शुल्क सुविधाओं से संबंघित योजनाओं को शामिल किए जाने पर रोक लगाने के दिशा-निर्देश दिए हो, लेकिन प्रदेश में सत्तारूढ़ दल को इससे परहेज नहीं है।



कांग्रेस का मानना है कि सरकार के पास यदि पर्याप्त बजट हो तो जनता की जरूरतों के आधार पर नि:शुल्क सुविधाओं से संबंघित घोषणाएं शामिल की जा सकती हैं। हालांकि, प्रतिपक्षी भाजपा की राय इससे जुदा है। उसके मुताबिक घोषणा पत्र में नि:शुल्क सुविधाओं की जगह पांच साल में पूरी होने वाली योजनाएं शामिल की जानी चाहिए।




सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई को टिप्पणी की थी कि पार्टियों के मुफ्त उपहार देने के वादों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद हिल जाती है। उसने चुनाव आयोग को घोषणा पत्रों के कंटेंट नियमन के लिए गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने चुनाव घोषणा पत्र में किन-किन चीजों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसे लेकर गाइडलाइन बनाने की कवायद शुरू कर दी है।



इस संबंध में आयोग ने दिल्ली में 12 अगस्त को प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। इधर, राज्य में भाजपा के अलावा माकपा विधायक दल के नेता अमराराम भी घोषणापत्र में 'फ्री' की घोषणा करने के पक्ष में नहीं हैं।



नजरिया अलग-अलग


भाजपा अपने घोषणा पत्र में राज्य व जिलों के अलावा विधानसभा क्षेत्रवार मुद्दों को शामिल करने के पक्ष में है, ताकि घोषणा पत्र जमीनी मुद्दों व समस्याओं के करीब हो। वहीं, कांग्रेस का घोषणा पत्र में राज्य स्तरीय मुद्दों व वर्गो की समस्याओं पर फोकस करने पर जोर है। भाजपा ने घोषणा पत्र में शामिल किए जाने वाले बिंदुओ को लेकर संभाग, जिला स्तर व विधानसभा क्षेत्र से सूचनाएं जुटाई हैं, जबकि कांग्रेस घोषणा पत्र की पहली बैठक रविवार को होगी। भाजपा ने घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए 39 प्रकोष्ठों, छह मोर्चो, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और विशेषज्ञों से भी सुझाव मांगे हैं।



ध्यान रखा जाएगा




घोषणा पत्र में ईमानदारी से पांच साल में पूरी होने वाली योजनाओं तथा जिला व विधानसभा क्षेत्र को तव्वजो मिलनी चाहिए। अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए सरकार नकद पैसा बांटती है, घोषणा पत्र में उल्लेख नहीं था। भाजपा के घोषणा पत्र में नि:शुल्क सुविधाओं से संबंघित योजनाओं पर कोर्ट के निर्णय का ध्यान रखा जाएगा।
गुलाबचंद कटारिया, अध्यक्ष, भाजपा घोषणा पत्र समिति



दखल न हो


घोषणा पत्र का स्वरूप तो राज्य स्तरीय ही होता है, लेकिन इसमें स्थानीय मुद्दों पर बैलेंस किया जाता है। सरकार के पास यदि संसाधन हो तो जनता की जरूरत के आधार पर नि:शुल्क सुविधाएं दिए जाने में कोई हर्ज नहीं है। घोषणा पत्र बनाना राजनीतिक पार्टियों का कार्यक्षेत्र है, इसमें किसी की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।
डॉ. चंद्रभान, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

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