राज्यसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विपक्ष पर जमकर बरसे. इस दौरान सत्ता और विपक्ष में जमकर नोंक-झोंक भी हुई.
पीएम ने सदन में अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि पिछले 9 सालों से संसद की कार्यवाही में विपक्ष अड़ंगा डाल रहा है. उन्होंने संसद में विपक्ष के बर्ताव पर भी गंभीर सवाल उठाए.
दरअसल, बदहाल इकॉनिमी और कमजोर रुपये को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में अपना बयान दिया. इसके बाद विपक्ष की ओर से अरुण जेटली और कई अन्य नेताओं पीएम के बयान पर स्पष्टता मांगी. अरुण जेटली ने सवाल उठाया कि पीएम सदन को ये बताएं कि वे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए क्या कर रहे हैं ना कि अब तक क्या हुआ है.
अपना पक्ष रखने के लिए मनमोहन सिंह खड़े हुए और विपक्ष को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि संसद में विपक्ष पीएम को चोर कहता है. किसी और देश में पीएम को चोर कहते सुना है? इसके बाद विपक्ष हंगामा मचाने लगा.
पीएम के इस बयान पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, 'मैं पीएम से पूछना चाहता हूं कि क्या आपने किसी ऐसे देश के बारे में सुना है, जहां विश्वास मत हासिल करने के लिए पैसों के दम पर सांसदों को खरीदा गया.'
इसके बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी नोंक-झोंक में शामिल हो गए. उन्होंने विपक्ष से अपील की कि विपक्ष को पीएम के बयान में बाधा नहीं डालनी चाहिए. चिदंबरम ने कहा कि जब जेटली ने बयान दिया था तो हमने बाधा नहीं डाला तो अब पीएम को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए.
इसके बाद मनमोहन सिंह ने कहा, 'नेता प्रतिपक्ष निवेशकों में विश्वास खत्म होने की बात करते है. जबकि मैं ऐसा नहीं मानता. मैं भी जानता हूं कि हमारे सामने कठिन चुनौती है. इसका समाधान हो सकता है अगर विपक्ष अपनी भूमिका को पहचाने और संसद को चलने दे.'
मनमोहन सिंह ने कहा, 'निवेशकों को सही संदेश देने की जिम्मेदारी सभी सांसदों की है. संसद देश की सर्वोपरि संस्था है और इसे सुचारू ढंग से चलने देना चाहिए.'
पीएम ने राज्यसभा में कोयला घोटाला के लापता फाइलों पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि मैं कोयला घोटाले की फाइलों का रखवाला नहीं हूं.
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