डीजीपी ने कहा था- गाजी की हिस्ट्रीशीट मत खोलो : चौधरी
एसपी जैसलमेर से हटाए एसपी पंकज का आरोप
मुझे इस बारे में जानकारी नहीं।
एसपी को भला मैं कैसे धमकाऊंगा : पांडे
जयपुर/जोधपुर
जैसमलेर से हटाए गए एसपी पंकज कुमार चौधरी ने आरोप लगाया है कि डीजीपी हरिश्चंद्र मीना और डीआईजी (कार्मिक) विपिन पांडे ने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट नहीं खोलने के लिए धमकाया था। उधर, डीजीपी हरिश्चंद्र मीना ने इस मामले में चौधरी को झूठा करार दिया है और कहा है कि उनके आरोप आधारहीन हैं। गाजी फकीर पोकरण (जैसलमेर) से कांग्रेस विधायक शालेह मोहम्मद के पिता हैं। गाजी पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। पंकज का ४ अगस्त को जैसलमेर से ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद आंदोलन हुआ था।
झूठ बोल रहे हैं चौधरी, आरोप भी झूठे : डीजीपी
डीआईजी (कार्मिक) विपिन पांडे से बातचीत
आपने चौधरी से कहा था कि गाजी फकीर बड़ा आदमी है और उनसे पंगा लेना ठीक नहीं है?
किसी एसपी को मैं भला कैसे धमकाऊंगा। और फिर मेरा गाजी फकीर से क्या लेना-देना। डीजीपी साब की उनसे बात हुई थी और उन्होंने कहा था कि वे ब्रीफिंग करने के लिए आने वाले हैं। मैंने तो बस इसी बारे में जानकारी ली थी कि वे कब आ रहे हैं।
कागजात लेकर बुलाया था डीजीपी ने
आईपीएस पंकज चौधरी से बातचीत
आपको डीजीपी ने क्या कहा था?
३० जुलाई को रात 8:15 बजे डीजीपी (हरिश्चंद्र मीना) का फोन आया था। कहा था- पंकज ये क्या कर रहे हो? गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट के बारे में उन्होंने मुझे दबाने की कोशिश की और धमकाया भी। उन्होंने कहा कि सुबह तुम कागजात लेकर मेरे पास आ जाओ, मैं देखता हूं।
क्या आप उनसे मिलने गए थे?
मैं दूसरे दिन सुबह जयपुर नहीं गया तो डीआईजी कार्मिक विपिन पांडे का मेरे पास फोन आया और धमकाते हुए कहा कि तुम विवाद में क्यों पड़ रहे हो? तुमने हिस्ट्रीशीट खोली है या नहीं बताओ।
डीआईजी पांडे ने आपसे और क्या कहा?
मुझसे कहा कि गाजी फकीर बड़ा आदमी है और उससे पंगा लेना ठीक नहीं है।
आपने रात में हिस्ट्रीशीट क्यों खोली?
यह प्रोसेस एक माह से चल रहा था। एडीजी कपिल गर्ग के आदेश थे। मगर डीजी और डीआईजी कार्मिक नहीं चाहते थे कि गाजी की हिस्ट्रीशीट खुले। उन्होंने 30 तारीख की रात ही फोन पर मुझे धमकाया और दूसरे दिन अनऑफिशियल जयपुर बुलाया। इसलिए मैंने 30 तारीख की रात ही हिस्ट्रीशीट खोल दी।
आप ये बातें अब क्यों कर रहे हैं, पहले तो नहीं बोले?
इसकी बड़ी वजह है कांग्रेस आलाकमान ने मुझे हटाने व हिस्ट्रीशीट के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। शनिवार रात मुझे पता चला कि डीजीपी की फेक आईडी से मीडिया में यह प्रचारित किया गया कि पंकज चौधरी झगड़ालू है और डीजीपी ने पहले भी नोटिस दिया था। मैं यह बताना चाहता हूं कि प्रोबेशन में मेरा राजस्थान हाउस में हुआ झगड़ा था, वह सिस्टम को सुधारने के लिए था, वहां कमरे बेचे जा रहे थे। वह बात तो रफा-दफा भी हो चुकी है। पहले बोलता तो लगता मैं जैसलमेर में पोस्टिंग बरकरार रखने के लिए कह रहा हूं, इसलिए मैंने किसी का नाम नहीं लिया, मगर अब मैं वहां नहीं हूं। मुझे सस्पेंड तो कर नहीं सकते, क्योंकि पांच माह में मैंने वहां खूब काम किया है।
गाजी फकीर से आपकी क्या दुश्मनी?
मेरी उनसे कोई दुश्मनी नहीं। मैं सिर्फ कानून की पालना जानता हूं। मैंने एडीजी क्राइम को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें 1965 से 90 तक और 12 तक तथा पिछले पांच माह का चिट्ठा है। वह कितनी बार पाकिस्तान गया, उस पर कितने मुकदमे रहे हैं और छह माह पहले पकड़े गए जासूस सुमार खां वाले मामले में उनकी क्या भूमिका है। रही बात सिपाही पप्पूराम मीणा के साथ गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद की मारपीट का तो उन्होंने उसे जिंदा जलाने की धमकी भी दी थी। मेरा कहना है कि अगले दस सालों तक जैसलमेर को सही तरीके से कंट्रोल नहीं किया तो हालात हाथ से निकल जाएंगे।
आप डीजीपी के खिलाफ खड़े क्यों हो रहे हो?
मेरे साथ यह तीसरी घटना है जब इन डीजीपी ने मुझे प्रताडि़त किया है, उन्होंने मुझे कभी थी सपोर्ट नहीं किया। फरवरी 11 में उन्होंने मुझे कोटा में ऐसे एरिया में लगाया जहां लैंड माफिया व खनन माफिया सक्रिय थे। वहां मैंने कम से कम 25 मुकदमे दर्ज किए। वह एरिया मंत्री शांति धारीवाल का था इसलिए मुझे हटा दिया। फिर मुझे सजा के तौर पर 6 माह पुलिस अकादमी में रखा। मैं पहला आईपीएस हूं जो इतने लंबे समय तक वहां रहा। फिर मुझे सीओ घाटोल लगाया जहं कभी कोई आईपीएस को नहीं लगाया था। वहां कांग्रेस विधायक का अपहरण हुआ तो मैंने ही उन्हें रेस्क्यू किया था।
इसके बाद क्या हुआ?
गाजी मामले के बाद 3 अगस्त को दुबारा डीआईजी कार्मिक से फोन कराया और कहा कि तुम नई जगह ज्वाइन क्यों नहीं कर रहे हो? कायदे से ट्रांसफर के 10 दिन में ज्वाइन करना होता है, मगर वे मुझ पर जगह छोडऩे का दबाव बना रहे थे। इसलिए चाहता हूं कि ऐसे लोग एक्सपोज हों।
हमने ही कार्रवाई को कहा था, धमकाएंगे क्यों
डीजीपी हरिश्चंद्र मीना से सवाल-जवाब
क्या आपने 30 जुलाई की रात 8:15 बजे पंकज चौधरी को फोन किया था?
हां, मेरी बात हुई थी।
क्या गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट नहीं खोलने के निर्देश दिए थे?
मेरे प्रसंज्ञान में लाया गया था कि एक जनप्रतिनिधि के पिता की हिस्ट्रीशीट खोली गई है। मुझे इस बारे में पता नहीं था, क्योंकि यह निर्णय पीएचक्यू में नहीं होता। हिस्ट्रीशीट के बारे में फैसला लेना एसपी के अधिकार क्षेत्र का मामला है। इसलिए पता लगाया था कि वास्तव में क्या हुआ है।
चौधरी का आरोप है कि आपने उन्हें धमकाया था?
ये बिलकुल गलत बात है। धमकाने का कारण ही नहीं बनता, क्योंकि हमने ही तो हिस्ट्रीशीट बंद न करने के बारे में 14 जून का पत्र लिखा था। हिस्ट्रीशीट खोलना और न खोलना उनके विवेक का मामला है।
आरोप है कि तीसरी बार आपने उन्हें प्रताडि़त किया?
उन मामलों का इससे क्या संबंध है? उन मामलों में उनके बारे में जांच हुई थी और जांच में उन्हें दोषी पाया गया था। पीएचक्यू ने उन्हें एक युवा अधिकारी समझते हुए उनके प्रति पूरी सहानुभूति दिखाई थी और उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था।
वे क्या मामले थे?
मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
चौधरी को शिकायत है कि आपने उन्हें कभी सपोर्ट नहीं किया? उनके बार-बार तबादले होते रहे। उन्हें घाटोल से हटा दिया गया। यहां तक कि उन्हें छह महीने तक पुलिस अकादमी में सजा के तौर पर रखा गया?
आईपीएस के ट्रांस्फर-पोस्टिंग मैं नहीं करता, सरकार करती है। जहां वे एएसपी थे, वहां उनके ऊपर एसपी और आईजी थे। जहां तक पुलिस अकादमी की बात है, उसमें पोस्टिंग सजा कैसे है! इस अकादमी में एडीजी हैं, आईजी हैं, एसपी हैं। सभी स्तरों के लोग पुलिस अकादमी में हैं।
पंकजकुमार चौधरी का आरोप है कि आपकी फेक आईडी से आपको झगड़ालू प्रचारित किया और उनके बारे में मीडिया में दुष्प्रचार किया। आपका क्या कहना है?
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