सोमवार, 26 अगस्त 2013

'पूरी दुनिया में फैलाना है विश्वबंधुत्व का संदेश'

ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की पुण्यतिथि पर शांतिवन में कार्यक्रम 

आयोजित, देश-विदेश से पहुंचे हजारों अनुयायी 


'पूरी दुनिया में फैलाना है विश्वबंधुत्व का संदेश'



 आबूरोड



ब्रह्माकुमारी संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की छठवीं पुण्य तिथि रविवार को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई। इस मौके देश-विदेश से आए हजारों लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर स्व.दादी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी तथा पूरी दुनिया में विश्वबंधुत्व फैलाने का संदेश दिया। संस्थान के शांतिवन स्थित दादी के समाधि स्थल प्रकाश स्तंभ पर सवेरे साढ़े आठ बजे कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान शांतिवन परिसर में काफी संख्या में संस्था के अनुयायी दादी की यादों में कतार बद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था प्रमुख दादी जानकी ने कहा कि दादी ने उस समय माताओं बहनों को एक सम्मानजनक दर्जा दिलाया जब इस समाज में महिलाओं के अधिकारों की चर्चा तक नहीं थी। महिला प्रधान संस्था का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे विश्व में महिलाओं में आत्म सम्मान और नारी सशक्तिकरण का एहसास कराया। इस मौके अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी ह्रदमोहिनी तथा संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने भी विचार व्यक्त करते हुए दादी को आदर्श जीवन वाला व्यक्तित्व बताया। कार्यक्रम में संस्था के महासचिव बीके निर्वेर, अतिरिक्त मुख्य सचिव बृजमोहन, रमेश, सूचना निदेशक करुण, ग्राम विकास प्रभाग की अध्यक्ष मोहिनी, कार्यकारी सचिव मृत्युंजय, मुन्नी समेत सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों व देश-विदेश से आए हजारों लोगों ने प्रकाश स्तंभ पर मौन रहकर श्रद्धांजलि दी।

डायमंड हॉल में हुआ आयोजन

श्रद्धांजलि सभा के बाद शांतिवन के डायमंड हॉल में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपने स्मृति के संस्मरण सुनाए।

फूलों से सजा प्रकाश स्तंभ

दादी प्रकाशमणि की पुण्य तिथि के मौके पर प्रकाश स्तंभ को पूरी आकर्षक रूप से सजाया गया था। प्रकाश स्तंभ पर कोलकाता से आए कारीगरों ने सुंदर रूप दिया था, जो सभी के आकर्षण का केंद्र रहा।

शांति की दुनिया में तब्दील शांतिवन

संस्था के शांतिवन परिसर में सवेरे से ही हजारों की संख्या में होने के बावजूद लोग बिल्कुल शांति और मौन की भाषा में लवलीन रहे। चारो ओर शांति का माहौल था। पूरा वातारण आध्यात्मिक बना हुआ था। संस्था के सभी अनुयायी स्व.दादी को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रकाश स्तंभ पर पुष्प अर्पित कर रहे थे।

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