"सशक्त भारत के निर्माण में दें योगदान"
राजस्थान केन्द्रीय विवि का द्वितीय दीक्षांत समारोह
अजमेर। देश ने नौजवानों को शिक्षा रोजगार और अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन अवसर दिए हैं। वैश्विक प्रतियोगी दौर में चहुंमुखी विकास का दारोमदार युवाओं पर है। युवाओं को अपना फर्ज और कत्तüव्य समझते हुए सशक्त भारत के निर्माण में योगदान देना चाहिए। यह बात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में कही।
दीक्षांत भाषण में मुखर्जी ने कहा कि भारत को संस्कृति,ज्ञान,सामाजिक मूल्यों के कारण विश्व गुरू कहा जाता था। प्राचीन काल में नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालय सरीखे उत्कृष्ट ज्ञान के केद्रों ने देशी-विदेशी विद्यार्थियों को हमेशा प्रभावित किया। आर्यभट्ट,भास्कर,चरक,सुश्रुत जैसे महान लोगों के बूते भारत की विश्व में तूती बोलती थी। मौजूदा समय देश में 699 विश्वविद्यालयों,33 हजार कॉलेजों में 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं लेकिन तकनीकी और आर्थिक के बावजूद शैक्षिक स्तर पर काफी प्रभाव पड़ा है। उच्च शिक्षण संस्थाओं में नैतिक,संस्कारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देना होगा। देश के कई विश्वविद्यालयों,कॉलेजों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नई नियुक्तियों को कहा गया है। ताकि युवाओं को शिक्षक बनने का अवसर मिले। नौजवानों को भी महती जिम्मेदारी समझते हुए पिछड़ों एवं कमजोर तबकों के विकास,महिलाओं-बालिकाओं के सम्मान और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने कहा कि आर्थिक प्रगति में पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ घातक है। उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा इसका परिचायक है। हमें ग्लोबल वार्मिग के खतरे को समझना होगा। संसाधनों के सीमित इस्तेमाल और आधारभूत विकास पर ध्यान देना जरूरी है। युवाओं और शिक्षण संस्थाओं को नैतिक और संस्कारित शिक्षा पर ज्यादा देना होगा। राज्य और देश में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या,निर्दोष लोगों की हत्याएं,माहौल खराब करने वाली ताकतों को नहीं रोका गया तो समस्याएं बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि युवाओं को देश और समाज के विकास में अहम भूमिका निभानी चाहिए। उनके शिक्षण संस्थाओं से अर्जित ज्ञान,अनुभव से देश को फायदा होगा। वैश्विकरण,सूचना प्रौद्योगिकी,तकनीकी और आर्थिक विकास से हालात बदले हैं। राज्य में आईआईटी,आईआईएम,केन्द्रीय विश्वविद्यालय,एम्स सरीखे नामचीन संस्थान हैं। शिक्षण संस्थाओं को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने के लिए पुरजोर प्रयास करने होंगे। युवाओं और संस्थानों के बूते ही देश शीघ्र विकसित राष्ट्र बन सकेगा।
केन्द्रीय कम्पनी मामलात राज्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि 21 वीं सदी युवाओं की है। चुनौतियों के दौर में युवाओं,शिक्षकों को अथक प्रयास करने होंगे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान ने अल्प समय में पहचान बनाई है। इससे निकटवर्ती इलाकों,राज्य और देश को फायदा होगा। नौजवानों को अभिभावकों और लोगों की आशानुकूल कड़ी मेहनत कर चहुंमुखी विकास में अहम योगदान देना चाहिए। इससे पूर्व कुलपति प्रो. एम. एम. सालुंखे ने वार्षिक रिपोर्ट पेश की। कुलसचिव एम. एस. यादव ने धन्यवाद दिया।
टॉप 200 में नहीं शुमार
राष्ट्रपति मुखर्जी ने भारतीय और केन्द्रीयकृत प्रौद्योगिकी संस्थानों,केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में शैक्षिक पिछड़ेपन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विश्व के सर्वोच्च 200 संस्थानों में भारतीय शिक्षण संस्थाओं का कहीं स्थान नहीं है। उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या में अभिवृद्धि के बजाय इनमें उत्कृष्ट शोध और शैक्षिक उन्नयन को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से आ±वान किया कि देश ने शिक्षा,रोजगार और विकास के अवसर दिए हैं। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर उन्हें देश के विकास में अहम योगदान देना चाहिए।
राजस्थान केन्द्रीय विवि का द्वितीय दीक्षांत समारोह
अजमेर। देश ने नौजवानों को शिक्षा रोजगार और अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन अवसर दिए हैं। वैश्विक प्रतियोगी दौर में चहुंमुखी विकास का दारोमदार युवाओं पर है। युवाओं को अपना फर्ज और कत्तüव्य समझते हुए सशक्त भारत के निर्माण में योगदान देना चाहिए। यह बात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में कही।
दीक्षांत भाषण में मुखर्जी ने कहा कि भारत को संस्कृति,ज्ञान,सामाजिक मूल्यों के कारण विश्व गुरू कहा जाता था। प्राचीन काल में नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालय सरीखे उत्कृष्ट ज्ञान के केद्रों ने देशी-विदेशी विद्यार्थियों को हमेशा प्रभावित किया। आर्यभट्ट,भास्कर,चरक,सुश्रुत जैसे महान लोगों के बूते भारत की विश्व में तूती बोलती थी। मौजूदा समय देश में 699 विश्वविद्यालयों,33 हजार कॉलेजों में 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं लेकिन तकनीकी और आर्थिक के बावजूद शैक्षिक स्तर पर काफी प्रभाव पड़ा है। उच्च शिक्षण संस्थाओं में नैतिक,संस्कारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देना होगा। देश के कई विश्वविद्यालयों,कॉलेजों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नई नियुक्तियों को कहा गया है। ताकि युवाओं को शिक्षक बनने का अवसर मिले। नौजवानों को भी महती जिम्मेदारी समझते हुए पिछड़ों एवं कमजोर तबकों के विकास,महिलाओं-बालिकाओं के सम्मान और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने कहा कि आर्थिक प्रगति में पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ घातक है। उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा इसका परिचायक है। हमें ग्लोबल वार्मिग के खतरे को समझना होगा। संसाधनों के सीमित इस्तेमाल और आधारभूत विकास पर ध्यान देना जरूरी है। युवाओं और शिक्षण संस्थाओं को नैतिक और संस्कारित शिक्षा पर ज्यादा देना होगा। राज्य और देश में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या,निर्दोष लोगों की हत्याएं,माहौल खराब करने वाली ताकतों को नहीं रोका गया तो समस्याएं बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि युवाओं को देश और समाज के विकास में अहम भूमिका निभानी चाहिए। उनके शिक्षण संस्थाओं से अर्जित ज्ञान,अनुभव से देश को फायदा होगा। वैश्विकरण,सूचना प्रौद्योगिकी,तकनीकी और आर्थिक विकास से हालात बदले हैं। राज्य में आईआईटी,आईआईएम,केन्द्रीय विश्वविद्यालय,एम्स सरीखे नामचीन संस्थान हैं। शिक्षण संस्थाओं को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने के लिए पुरजोर प्रयास करने होंगे। युवाओं और संस्थानों के बूते ही देश शीघ्र विकसित राष्ट्र बन सकेगा।
केन्द्रीय कम्पनी मामलात राज्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि 21 वीं सदी युवाओं की है। चुनौतियों के दौर में युवाओं,शिक्षकों को अथक प्रयास करने होंगे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान ने अल्प समय में पहचान बनाई है। इससे निकटवर्ती इलाकों,राज्य और देश को फायदा होगा। नौजवानों को अभिभावकों और लोगों की आशानुकूल कड़ी मेहनत कर चहुंमुखी विकास में अहम योगदान देना चाहिए। इससे पूर्व कुलपति प्रो. एम. एम. सालुंखे ने वार्षिक रिपोर्ट पेश की। कुलसचिव एम. एस. यादव ने धन्यवाद दिया।
टॉप 200 में नहीं शुमार
राष्ट्रपति मुखर्जी ने भारतीय और केन्द्रीयकृत प्रौद्योगिकी संस्थानों,केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में शैक्षिक पिछड़ेपन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विश्व के सर्वोच्च 200 संस्थानों में भारतीय शिक्षण संस्थाओं का कहीं स्थान नहीं है। उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या में अभिवृद्धि के बजाय इनमें उत्कृष्ट शोध और शैक्षिक उन्नयन को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से आ±वान किया कि देश ने शिक्षा,रोजगार और विकास के अवसर दिए हैं। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर उन्हें देश के विकास में अहम योगदान देना चाहिए।
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