दलित युवती को निर्वस्त्र किया
दमोह। जिले के पथरिया थाने के इमलिया गांव में 18 वर्षीय एक दलित युवती को निर्वस्त्र करने मामला सामने आया है। लाज बचाने के लिए युवती को अपने खेत से गांव की ओर भागना पड़ा। तब कहीं जाकर उसकी इज्जत बच पाई।
पीडित शनिवार को एसपी कार्यालय पहुंची और आपबीती सुनाई। एसपी ने मामले की जांच के निर्देश दे दिए हैं।
पीडिता ने आवेदन में लिखा है कि वह 19 जुलाई की दोपहर अपने पिता के साथ खेत पर काम कर रही थी। उसी दौरान गांव के महेश हरिया, प्रदीप आदिवासी, राजेश आदिवासी, लपड़े पटेल और बिहारी आदिवासी आए।
उन्होंने पहले तो उसके पिता से अभद्रता करते हुए मारपीट की। इसका उसने विरोध किया तो आरोपियों ने उसकी चुनरी फेंक दी और कपड़े फाड़ दिए।
युवती का कहना है कि वह निर्वस्त्र हालत में ही गांव की ओर मदद की आस में दौड़ी, पहले तो गांव के लोग मदद के लिए आगे नहीं आए, लेकिन कुछ समय बाद गांव के रामजी रैकवार, गोलू ठाकुर व रामदास रैकवार व कैलाश आए और उन्होंने आरोपियों से बचाया। पीडित के पिता ने बताया कि घटना के बाद वे सीधे पथरिया थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद वे एसपी के पास आए हैं।
इस मामले में एसपी ने तत्काल ही पथरिया टीआई व एसडीओपी से पूरे मामले की जांच करते हुए रिपोर्ट तत्काल पेश करने के निर्देश दिए हैं। एसपी एके पांडेय ने बताया कि पुलिस अपना काम कर रही है। जांच के बाद की कुछ कहा जा सकता है।
जमीन को लेकर था विवाद
घटना की मुख्य वजह जमीन का विवाद बताया जा रहा है। पीडिता के पिता ने बताया कि जिस खेत में वह अपनी बेटी के साथ काम कर रहा था, उस खेत पर आरोपियों की नजर है और वे खेत हथियाना चाहते हैं।
घटना वाले दिन भी आरोपी पूरी तैयारी के साथ खेत पर आए थे और काम करने से मना किया था। आरोपी ने कहा था कि इस जमीन को छोड़ दो, जब मैंने इतना कहा कि हम पिछले 30 साल से जमीन पर खेती कर रहे हैं, तब आरोपियों ने पहले मुझसे मारपीट की और जब मेरी बेटी बचाने आई तो उसके साथ मारपीट करते हुए उसे निर्वस्त्र कर दिया।
दमोह। जिले के पथरिया थाने के इमलिया गांव में 18 वर्षीय एक दलित युवती को निर्वस्त्र करने मामला सामने आया है। लाज बचाने के लिए युवती को अपने खेत से गांव की ओर भागना पड़ा। तब कहीं जाकर उसकी इज्जत बच पाई।
पीडित शनिवार को एसपी कार्यालय पहुंची और आपबीती सुनाई। एसपी ने मामले की जांच के निर्देश दे दिए हैं।
पीडिता ने आवेदन में लिखा है कि वह 19 जुलाई की दोपहर अपने पिता के साथ खेत पर काम कर रही थी। उसी दौरान गांव के महेश हरिया, प्रदीप आदिवासी, राजेश आदिवासी, लपड़े पटेल और बिहारी आदिवासी आए।
उन्होंने पहले तो उसके पिता से अभद्रता करते हुए मारपीट की। इसका उसने विरोध किया तो आरोपियों ने उसकी चुनरी फेंक दी और कपड़े फाड़ दिए।
युवती का कहना है कि वह निर्वस्त्र हालत में ही गांव की ओर मदद की आस में दौड़ी, पहले तो गांव के लोग मदद के लिए आगे नहीं आए, लेकिन कुछ समय बाद गांव के रामजी रैकवार, गोलू ठाकुर व रामदास रैकवार व कैलाश आए और उन्होंने आरोपियों से बचाया। पीडित के पिता ने बताया कि घटना के बाद वे सीधे पथरिया थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद वे एसपी के पास आए हैं।
इस मामले में एसपी ने तत्काल ही पथरिया टीआई व एसडीओपी से पूरे मामले की जांच करते हुए रिपोर्ट तत्काल पेश करने के निर्देश दिए हैं। एसपी एके पांडेय ने बताया कि पुलिस अपना काम कर रही है। जांच के बाद की कुछ कहा जा सकता है।
जमीन को लेकर था विवाद
घटना की मुख्य वजह जमीन का विवाद बताया जा रहा है। पीडिता के पिता ने बताया कि जिस खेत में वह अपनी बेटी के साथ काम कर रहा था, उस खेत पर आरोपियों की नजर है और वे खेत हथियाना चाहते हैं।
घटना वाले दिन भी आरोपी पूरी तैयारी के साथ खेत पर आए थे और काम करने से मना किया था। आरोपी ने कहा था कि इस जमीन को छोड़ दो, जब मैंने इतना कहा कि हम पिछले 30 साल से जमीन पर खेती कर रहे हैं, तब आरोपियों ने पहले मुझसे मारपीट की और जब मेरी बेटी बचाने आई तो उसके साथ मारपीट करते हुए उसे निर्वस्त्र कर दिया।
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