मंगलवार, 23 जुलाई 2013

"सरकार को ले डूबेंगे मंत्री"

"सरकार को ले डूबेंगे मंत्री"

जयपुर। प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में सोमवार को मंत्रियों और जिलाध्यक्षों की निष्क्रियता का मुद्दा छाया रहा। मंत्रियों की कार्यप्रणाली से नाराज पदाधिकारियों ने कह दिया कि विधानसभा चुनाव में मंत्री ही सरकार को ले डूबेंगे। तीन घंटे की बैठक में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुरूदास कामत ने कहा कि काम नहीं करने वालों की छुट्टी तय है।
सूत्रों के अनुसार संगठन की मजबूती के लिए बुलाई बैठक की शुरूआत ही तनावपूर्ण माहौल में हुई।

सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा ने मंत्रियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक भी मंत्री ऎसा नहीं, जिसने पूरे प्रदेश का दौरा किया हो। कामत की क्लास पर सवाल उठाते हुए शर्मा ने कहा कि आप ऎसे लोगों से फीडबैक ले रहे हैं जो हारे हुए हैं। इस पर कामत ने कहा कि मैं हर कार्यकर्ता से फीडबैक लूंगा, चाहे वह हारा हुआ हो या जीता हुआ।

तो दूसरे को मौका
पीडब्ल्यूडी मंत्री भरत सिंह ने कहा कि ब्लॉक व जिलाध्यक्ष कागजी और निष्क्रिय हैं, ऎसा लगता है कि वे ऊपर से थोपे हैं। उन्होंने कहा, अभी के हालातों के मद्देनजर मैंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है, इस पर कामत ने कहा कि आप नहीं लड़ेंगे तो किसी और को मौका देंगे। आप पूरे सिस्टम पर ही सवाल उठा रहे हैं, पहले क्यों चुप रहे?

हमें बदनाम कर रहे
सांसद व प्रदेश उपाध्यक्ष रघुवीर मीणा ने कहा, निष्क्रियता के आरोप लगा हमें बदनाम किया जा रहा है। ऎसा लगता है तो इसे हमारा इस्तीफा मान लें। विधायक कर्नल सोनाराम ने कहा, राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी और मुझसे पूछे बिना ही रिफाइनरी लीलाला से पचपदरा कर दी गई। रिफाइनरी लीलाला में ही लगनी चाहिए।

दो घंटे लेट पहुंचे अशोक चांदणा, पड़ी डांट
सूत्रों के अनुसार युवक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चांदणा दो घंटे देरी से बैठक में पहुंचे तो कामत ने कहा कि मैं मुम्बई से चलकर समय पर यहां आ गया, लेकिन आप यहीं से समय पर नहीं आ पाए।

तबादले कर भागे मंत्री
विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास व रघु शर्मा ने तबादलों पर नाराजगी जताते हुए कहा, मंत्री तबादले करके अपने क्षेत्रों में भाग गए हैं, लोग परेशान हो रहे हैं। हमें पता ही नहीं चला और हमारे लोग बदल दिए गए।

दिखा सख्ती का असर
प्रदेश कार्यकारिणी के 146 सदस्यों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें से 122 सदस्य मौजूद रहे। आलाकमान की सख्ती का असर यह रहा कि जो पदाधिकारी नहीं आए उन्होंने लिखित में नहीं आने का कारण बताते हुए एप्लीकेशन भेजी।

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