गुजरात में बने टाइमरों से बिहार में धमाके!
नई दिल्ली। बिहार के महाबोधि मंदिर परिसर में हुए धमाकों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक धमाके करने के लिए आतंकियों ने जिन टाइमरों का इस्तेमाल किया गया था वे गुवाहाटी से खरीदे गए थे। ये टाइमर गुजरात में बने हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि 7 जुलाई को सीरियल ब्लास्ट मामले की जांच कर रही एनआईए के जांचकर्ताओं को पता चला है कि जो बम नहीं फटे थे,उनके साथ लगी घडियां (टाइमर)लोटस कंपनी की थी और ये राजकोट के एक प्लांट में बनी थी। घडियों की खेप गुवाहाटी भेजी गई थी। इनमें से कुछ घडियां ही एक खरीदार ने खरीदी थी।
सूत्रों ने बम धमाकों में स्थानीय लोगों का हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया है क्योंकि बमों के साथ जोड़े गए गैस सिलेण्डर बिहार से ही खरीदे गए थे। जांचकर्ताओं को इस बात के पर्याप्त संकेत मिले हैं कि धमाकों में मंगोलियन नैन नक्श वाले लोगों का हाथ हो सकता है।
हमले में म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के शामिल होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। धमाके म्यांमार के रखीन प्रांत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई कथित हिंसा की प्रतिक्रिया स्वरूप किए गए थे। गौरतलब है कि महाबोधि मंदिर परिसर में और बाहर कुल 13 बम प्लांट किए गए थे। इनमें से दस बम फटे थे। धमाकों में दो बौद्ध भिक्षु घायल हुए थे। इनमें एक म्यांमार का और एक तिब्बत का था।
नई दिल्ली। बिहार के महाबोधि मंदिर परिसर में हुए धमाकों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक धमाके करने के लिए आतंकियों ने जिन टाइमरों का इस्तेमाल किया गया था वे गुवाहाटी से खरीदे गए थे। ये टाइमर गुजरात में बने हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि 7 जुलाई को सीरियल ब्लास्ट मामले की जांच कर रही एनआईए के जांचकर्ताओं को पता चला है कि जो बम नहीं फटे थे,उनके साथ लगी घडियां (टाइमर)लोटस कंपनी की थी और ये राजकोट के एक प्लांट में बनी थी। घडियों की खेप गुवाहाटी भेजी गई थी। इनमें से कुछ घडियां ही एक खरीदार ने खरीदी थी।
सूत्रों ने बम धमाकों में स्थानीय लोगों का हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया है क्योंकि बमों के साथ जोड़े गए गैस सिलेण्डर बिहार से ही खरीदे गए थे। जांचकर्ताओं को इस बात के पर्याप्त संकेत मिले हैं कि धमाकों में मंगोलियन नैन नक्श वाले लोगों का हाथ हो सकता है।
हमले में म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के शामिल होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। धमाके म्यांमार के रखीन प्रांत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई कथित हिंसा की प्रतिक्रिया स्वरूप किए गए थे। गौरतलब है कि महाबोधि मंदिर परिसर में और बाहर कुल 13 बम प्लांट किए गए थे। इनमें से दस बम फटे थे। धमाकों में दो बौद्ध भिक्षु घायल हुए थे। इनमें एक म्यांमार का और एक तिब्बत का था।
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